मई 2023 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करते हुए कई घोषणाएं की थी, जिनमें से एक हिंसा में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देना था. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, इसके लिए पर्याप्त धन जारी नहीं हुआ है.
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अनुसार, 1993 के बाद से सीवर और सेप्टिक टैंक से होने वाली मौतों के 1,248 मामलों में से इस साल मार्च तक 1,116 मामलों में मुआवज़े का भुगतान किया गया है. 81 मामलों में भुगतान अभी भी लंबित है, जबकि 51 मामले बंद कर दिए गए हैं.
गोरखपुर ज़िले में नेशनल हाईवे 28 पर बाईपास निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि का कम मुआवज़ा पाने से नाराज़ 26 गांवों के किसानों ने उचित मुआवज़ा न मिलने पर भाजपा को वोट न देने का नारा बुलंद करते हुए उनके गांव में 'भाजपा नेताओं का प्रवेश वर्जित' लिखे बैनर और पोस्टर लगाए हैं.
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त वायुसैनिक को 2002 में एक सैन्य अस्पताल में ख़ून चढ़ाने के बाद एड्स संक्रमित होने के कारण 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवज़ा देने का निर्देश दिया था. उनकी चिकित्सा स्थिति के कारण उन्हें सेवा से हटा दिया गया था. उन्हें व्यक्तिगत कलंक का भी सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनका तलाक़ हो गया था.
ओडिशा के अंगुल ज़िले के रेंगाली बांध पर 45 साल पहले बांध के निर्माण के लिए दी गई ज़मीन के लिए पर्याप्त मुआवज़े की मांग को लेकर क़रीब सौ लोग पिछले 12 दिनों से जल सत्याग्रह कर रहे हैं. उनकी मांग उस भूमि रिकॉर्ड (पट्टा) को नियमित करने की भी है, जो उन्हें पुनर्वास उद्देश्य के लिए सरकार से मिला था.
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पूर्वोत्तर राज्यों के मामलों की सुनवाई करने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार ने कहा कि मणिपुर हिंसा में एक विशेष तारीख तक 180 लोग मारे गए थे, लेकिन 93 लोगों को ही 10 लाख रुपये का मुआवज़ा मिला है. चार सप्ताह के भीतर सरकार सभी को मुआवज़ा जारी करे.
बीते साल अक्टूबर में नवरात्रि उत्सव के दौरान गुजरात के खेड़ा ज़िले के उंधेला गांव में एक गरबा कार्यक्रम पर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की भीड़ ने कथित तौर पर पथराव किया था. इसके बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी मुस्लिम युवकों को सार्वजनिक तौर पर खंभे से बांधकर लाठियों से पिटाई करते हुए दिखे थे.
गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का केबल पुल अक्टूबर 2022 में ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों सहित 135 लोग मारे गए थे. घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा कि ओरेवा कंपनी ने एक ‘अक्षम एजेंसी’ को काम सौंपा और बिना तकनीकी विशेषज्ञों के परामर्श के काम किया गया.
इसी महीने में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध का पानी ओवरफ्लो हो गया था, जिससे भरूच, नर्मदा, वडोदरा, पंचमहल और दाहोद जिलों में बाढ़ आ गई थी. आरोप है कि बीते 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्मदिन पर उन्हें ‘खुश’ करने के लिए बांध में पानी को दो दिन तक रोककर रखा गया था, जिसे एक साथ छोड़े जाने के कारण बाढ़ आ गई.
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद इस फैसले को मंज़ूरी दे दी है. वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग और भीड़ द्वारा हिंसा से निपटने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी करते हुए निर्देश दिया था कि राज्य सरकारें ‘लिंचिंग/भीड़ द्वारा हिंसा पीड़ित मुआवज़ा योजना’ तैयार करेंगी.
अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष हन्नान मोल्लाह ने कहा कि केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान 26 से 28 नवंबर तक 30 शहरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे. उनकी लंबित मांगों में ऋण माफ़ी, एमएसपी कार्यान्वयन, प्रदर्शनकारी किसान परिवारों के लिए मुआवज़ा आदि शामिल हैं.
केरल हाईकोर्ट एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसे वर्ष 2012 में तिरुवनंतपुरम के थंपनूर रेलवे स्टेशन पर एक रेलवे पुलिसकर्मी की बंदूक से चली गोली लग गई थी. फैसले में अदालत ने रेलवे को आदेश दिया कि वह व्यक्ति को 8.2 लाख रुपये की राशि बतौर मुआवज़ा प्रदान करे.
गुजरात हाईकोर्ट के जज समीर दवे ने मोरबी केबल पुल हादसे के पांच आरोपियों को ज़मानत देने के बाद ओरेवा समूह के एक प्रबंधक की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया. पिछले साल अक्टूबर में हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी.
वीडियो: पिछले 57 दिनों से बेहतर मुआवज़े की मांग को लेकर सैकड़ों किसान ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि जीएनआईडीए ने उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए हैं.