वीडियो: हिमंता बिस्वा शर्मा की अगुवाई वाली असम की भाजपा सरकार पर लगातार सांप्रदायिकता बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले उनके विभिन्न बयान इसकी तस्दीक करते हैं. उधर, स्थानीय लोग सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद से नाराज़ है और इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हैं. वहां चुनाव में कौन-से मुद्दे प्रभावी रहेंगे, इस बारे में द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से बात कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
प्रधानमंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र के निवासी वीआईपी सीट के गुमान में भले जीते रहें, लेकिन इससे उनकी सामाजिक-राजनीतिक चेतना पर कोई फ़र्क पड़ता दिखाई नहीं देता. और न प्रधानमंत्री की उपस्थिति ऐसे क्षेत्रों की समस्याओं को सुलझा पाती है.
वीडियो: सिक्किम में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हैं, जहां सत्तारूढ़ एसकेएम दोबारा जीत की उम्मीद में है लेकिन विपक्षी एसडीएफ से उसे कड़ी टक्कर मिल रही है. वहीं,मेघालय और त्रिपुरा की दो-दो लोकसभा सीटों पर भी रोचक मुक़ाबला देखने को मिल रहा है. तीनों राज्यों की राजनीति पर द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
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सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे एक पत्र में कुछ गुटों द्वारा सोचे-समझे दबाव, ग़लत सूचना के ज़रिये न्यायपालिका को कमज़ोर करने के बढ़ते प्रयासों की बात की है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ा ख़तरा भाजपा से है.
बीते महीने एक से तीन मार्च तक गुजरात के जामनगर में उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की शादी से जुड़ा एक समारोह हुआ था, जिसके लिए जामनगर के डिफेंस एयरपोर्ट को पांच दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का अस्थायी दर्जा दिया गया था. अब सामने आया है कि इस अवधि में वहां लगभग 600 फ्लाइट आई-गई थीं और इनका ज़िम्मा भारतीय वायुसेना ने संभाला था.
भाजपा नेताओं अनंत कुमार हेगड़े और ज्योति मिर्धा के बाद अब फ़ैज़ाबाद के मौजूदा भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि पार्टी 2024 के चुनावों में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना चाहती है ताकि वह संविधान में संशोधन कर सके.
दिल्ली की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे लंबे समय से स्थायी कर्मचारी के दर्जे, न्यूनतम वेतन की गारंटी और 2022 में हड़ताल में भाग लेने के चलते निष्कासित सहकर्मियों की तत्काल बहाली की मांग कर रही हैं और इन्हें न माने जाने के कारण लोकसभा चुनाव में प्रमुख दलों- भाजपा, कांग्रेस और आप का बहिष्कार करेंगी.
विपक्षी दलों ने भाजपा के घोषणा पत्र को लेकर कहा कि इसका नाम 'माफ़ीनामा' रखा जाना चाहिए. भाजपा ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन हक़ीक़त यह है कि आज किसानों की आय घट गई है और क़र्ज़ दोगुना हो गया है.
भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' और कॉमन इलेक्टोरल रोल के व्यवस्था के साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड का ज़िक्र भी किया है. 2019 के घोषणा पत्र के विपरीत इस बार देशभर में चरणबद्ध तरीके से एनआरसी किए जाने और किसानों की आय दोगुनी करने के वादे का उल्लेख नहीं है.
चुनाव आयोग को लिखे इस पत्र में कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने आयोग द्वारा चुनावी समय में केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष के ख़िलाफ़ केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल पर कार्रवाई न करने को 'बेहद चिंताजनक' बताया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार चुनाव शुरू होने के ऐलान के पहले सरकारी ख़र्चे से अपना प्रचार बड़े पैमाने पर कर चुकी थी. इस तरह वह पहले ही उस रेस में दौड़ना शुरू कर चुकी थी जहां विपक्षी दल इसके शुरू होने घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे.
वीडियो: आगामी 19 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हालांकि, सीएम पेमा खांडू समेत भाजपा के दस प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके निर्वाचन क्षेत्र में उनके ख़िलाफ़ कोई नामांकन ही नहीं हुआ है और वे मतदान से पहले ही 'जीते' हुए माने जा रहे हैं. क्या ऐसा होना लोकतंत्र में जनता के उसके प्रतिनिधि चुनने के अधिकार के लिए ख़तरा है? प्रदेश की राजनीति पर द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से
चुनावी बॉन्ड को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट बताती है कि कम से कम 20 ऐसी नई कंपनियों ने बॉन्ड के माध्यम से लगभग 103 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिनका अस्तित्व तीन साल से भी कम समय का रहा है. क़ानूनन इस तरह की कंपनियां राजनीतिक चंदा नहीं दे सकतीं.