दिल्ली: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आप के बहिष्कार की बात कही

दिल्ली की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे लंबे समय से स्थायी कर्मचारी के दर्जे, न्यूनतम वेतन की गारंटी और 2022 में हड़ताल में भाग लेने के चलते निष्कासित सहकर्मियों की तत्काल बहाली की मांग कर रही हैं और इन्हें न माने जाने के कारण लोकसभा चुनाव में प्रमुख दलों- भाजपा, कांग्रेस और आप का बहिष्कार करेंगी.

साल 2022 में हुआ दिल्ली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का एक प्रदर्शन. (फाइल फोटो: आस्था सव्यसाची/द वायर)

नई दिल्ली: दिल्ली की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने मांगे पूरी न होने पर आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बहिष्कार का ऐलान किया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन (डीएसडब्ल्यूएएचयू) से जुड़ी कार्यकर्ता अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बीते लंबे समय से संघर्षरत हैं. इनका कहना है कि इनकी मांगें नहीं मानी जा रही हैं और इसलिए ये आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों- भाजपा, कांग्रेस और आप का बहिष्कार करेंगी.

इन कार्यकर्ताओं की मांगों में स्थाई कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम वेतन की गारंटी और 2022 में हड़ताल में भाग लेने के चलते निष्कासित सहकर्मियों की तत्काल बहाली शामिल हैं.

महिलाओं का कहना है कि बढ़ती महंगाई के दौर में ज्यादातर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए इतने कम वेतन में गुजारा मुश्किल हो गया है.

दिल्ली के खजूरी खास की 45 वर्षीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गीता नेगी ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में काम का बोझ बढ़ गया है, लेकिन महंगाई दर के अनुसार उनका वेतन नहीं बढ़ा है. वह हर दिन 45 मिनट पैदल चलकर अपने आंगनवाड़ी केंद्र जाती हैं. इसके बाद हर गतिविधि को मैनुअल रूप से अपने फोन पर लॉग इन करते हुए आस-पास में जागरूकता फैलाती हैं.

गीता नेगी पिछले 16 वर्षों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं. उन्होंने कहा, ‘इतना सब करने के बावजूद हमें एक्स्ट्रा काम के लिए ओवरटाइम नहीं दिया जाता है. हमें किसी भी समय अपनी नौकरी से हटाया जा सकता है, जैसा कि पहले भी हुआ है.’

नौकरी की असुरक्षा, डीएसडब्ल्यूएएचयू से जुड़े 18,000 कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है, क्योंकि इस संगठन से जुड़े 884 श्रमिकों और सहायकों को 2022 में नौकरी से निकाल दिया गया था. इनमें से 551 को उनकी नौकरी वापस देने की पेशकश की गई, वहीं कुछ अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए छोटी-मोटी नौकरियां कर रही हैं, जबकि कुछ अभी भी बहाली की उम्मीद में हैं.

दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) की ओर से मार्च 2022 में भेजे गए नोटिस में कहा गया था कि उन्हें इसलिए बर्खास्त किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने एक हड़ताल में भाग लिया था.

मालूम हो कि ये कार्यकर्ता सरकारी कर्मचारी का दर्जा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए न्यूनतम वेतन 25,000 रुपये और सहायिकाओं के लिए 20,000 रुपये की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.

फिलहाल इन कार्यकर्ताओं की बर्खास्तगी का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में है.

स्थायी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम वेतन की गारंटी

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हाल ही में दिल्ली आंगनवाड़ी यूनियन ने एक चार्टर जारी किया था, जिसे हर पार्टी के कार्यालय में भेजा गया था.

यूनियन की अध्यक्ष शिवानी ने कहा कि उनकी प्राथमिक चिंताओं में हटाए गए कर्मचारियों की तत्काल बहाली, साथ ही उन महीनों के लिए वेतन का भुगतान, बढ़ते खर्चों के अनुरूप वेतन में वृद्धि और स्थायी कर्मचारियों के रूप में मान्यता शामिल है, जिससे अन्य लाभ जैसे ग्रेच्युटी और भविष्य निधि सुनिश्चित होंगे.

ज्ञात हो कि साल 2022 की हड़ताल के बाद दिल्ली सरकार ने कार्यकर्ताओं और सहायकों के लिए मासिक वेतन बढ़ाकर क्रमशः 12,720 और 6,810 रुपये कर दिया था. हालांकि न्यूनतम वेतन के लिए उनका संघर्ष जारी रहा, जो वर्तमान में कुशल श्रमिकों के लिए 21,215 रुपये, अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए 19,279 रुपये और अकुशल श्रमिकों के लिए 17,494 रुपये है.

42 वर्षीय पूनम रानी तब निकाले गए कर्मचारियों में से थीं और अब यूनियन को उनके दैनिक कार्यों में सहायता कर रही हैं.

उनका कहना है, ‘जब से ऑनलाइन काम शुरू किया गया है, अधिकांश कर्मचारी अपने रिचार्ज बिलों का भुगतान करने के लिए संघर्ष करते हैं क्योंकि हमारा वेतन बहुत कम है.’

उन्होंने कहा कि वे बर्खास्तगी के लिए आप से और 2018 में ‘दिवाली उपहार’ के रूप में वेतन वृद्धि का वादा करने के बावजूद इसे पूरा न करने के लिए भाजपा से निराश है. जहां तक ​​कांग्रेस का सवाल है, तो पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि वह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए केंद्र के वेतन योगदान को दोगुना कर देगी, लेकिन इसमें उन्हें स्थायी कर्मचारियों के रूप में मान्यता देने या उनकी बहाली की मांग का कोई जिक्र नहीं है.

रिवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया (आरडब्ल्यूपीआई) जो एक ‘स्वतंत्र कम्युनिस्ट’ पार्टी है, ने अपने अभियान में श्रमिकों की मांगों को शामिल किया है और वादा किया है कि उनकी प्रत्येक मांग पूरी की जाएगी. उम्मीदवारों ने इसे लेकर पहले ही कार्यकर्ताओं से अपील करना शुरू कर दिया है.

इस पार्टी की ओर से अदिति उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी और उन्होंने समयपुर बादली में कई आंगनवाड़ी केंद्रों का दौरा किया है और कार्यकर्ताओं को पार्टी के वादों का आश्वासन दिया है.

भाजपा की ओर से मनोज तिवारी उत्तर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. संगठन का कहना है कि वह आरडब्ल्यूपीआई उम्मीदवार योगेश स्वामी का समर्थन करेंगे. अदिति का मुकाबला भाजपा के योगेंद्र चंदोलिया से होगा. कन्हैया कुमार और उदित राज क्रमशः दिल्ली उत्तर पूर्व और दिल्ली उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्रों से कांग्रेस की ओर से चुनावी मैदान में हैं.

हालांकि, यूनियन अध्यक्ष शिवानी का कहना है कि वे आरडब्ल्यूपीआई का समर्थन करेंगे क्योंकि यह ‘एकमात्र पार्टी’ है जिसने उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया है.

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