एक राष्ट्रपति चुनाव, जिसने ‘इंदिरा युग’ की शुरुआत की

प्रासंगिक: 1969 में हुए पांचवें राष्ट्रपति चुनाव ने इंदिरा गांधी को अबाध नियंत्रण स्थापित करने का मौका दिया, लेकिन इससे कहीं ज़्यादा इस ख़तरनाक विचार को बढ़ावा दिया कि सिर्फ़ एक नेता यह फैसला लेने में सक्षम है कि देश और उसकी जनता के लिए क्या सर्वश्रेष्ठ है.

विधायिका में मुसलमानों की घटती नुमाइंदगी लोकतंत्र के लिए बेहतर संकेत नहीं है

आंकड़े बताते हैं कि देश में मुसलमानों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बहुत तेज़ी से गिरता जा रहा है, जिसका मतलब होगा कि वह पूरी तरह से हाशिये पर चले जाएंगे.

‘फ़सल बीमा के लिए निजी कंपनियों को दिए 17,184 करोड़, किसानों को मिला सिर्फ़ 6808 करोड़’

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर लगाया पूंजीपतियों को भारी मुनाफ़ा पहुंचाने का आरोप, बोले- मोदी ने अपने पूंजीपति दोस्तों का 1,54,000 करोड़ माफ़ किया और देश में 35 किसान रोज़ आत्महत्या कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 52, वन बेल्ट वन रोड और कांग्रेस युक्त भाजपा

जन गण मन की बात की 52वीं कड़ी में विनोद दुआ चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’ और कांग्रेस युक्त भाजपा पर चर्चा कर रहे हैं.

दो फैसले, जिन्होंने बताया कि संविधान संसद से ऊपर है

न्यायपालिका को कमज़ोर करने की कोशिशें भारतीय लोकतंत्र के मूल चरित्र के लिए ख़तरा हैं. मगर अफ़सोस की बात है कि इसे बहुमत का समर्थन हासिल है.

विपक्षी एकता: कोई सूरत नज़र नहीं आती

भाजपा को मात देने के लिए विपक्षी दलों की गोलबंदी भले शुरू हो गई हो, लेकिन फ़िलहाल ऐसा कोई मुद्दा सामने नहीं आया है जो भाजपा के विरोध में हलचल पैदा कर सके.

जन गण मन की बात, ​एपिसोड 42: कांग्रेस का नाकारापन और प्रधानमंत्री का बड़बोलापन

जन गण मन की बात की 42वीं कड़ी में विनोद दुआ कांग्रेस के नाकारापन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़बोलेपन पर चर्चा कर रहे हैं.

लोकपाल के क्रियान्वयन को लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं: उच्चतम न्यायालय

संसद ने वर्ष 2013 में लोकपाल विधेयक पारित कर दिया था और यह वर्ष 2014 में लागू हो गया था. इसके बावजूद अब तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकी है.

जब चुनाव मुद्दों की जगह भावनाओं पर लड़ा जाएगा तो जीत भाजपा की होगी

जब एमसीडी चुनाव में साफ-सफाई, सड़कें, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार और पार्षदों का नकारापन मुद्दा नहीं बना तभी यह बात साफ हो गई थी कि भाजपा चुनाव में जीत हासिल कर चुकी है.

भाजपा के दस साल के कामकाज से नाखुश होने के बाद भी जनता ने उसे क्यों चुना?

दिल्ली ​नगर निगम चुनाव से पहले लगभग सभी ओपीनियन पोल में जनता भाजपा शासित एमसीडी के कामकाज से नाखुशी जताते हुए भी वोट भाजपा को ही देने की बात कर रही थी.

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