दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ फैकल्टी में ‘भारतीय संविधान को चुनौतियां’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण मुख्य वक्ता थे. कार्यक्रम से एक दिन पहले छात्रों से हुए विवाद के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा है कि उनके ‘नियंत्रण से बाहर व्यवहार’ को देखते हुए कार्यक्रम रद्द किया गया. वहीं भूषण ने कहा कि जिस वक्ता के विचार इस सरकार के ख़िलाफ़ है, उसे इस विश्वविद्यालय में बोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि समान नागरिक संहिता का दायरा विवाह-तलाक़, ज़मीन-जायदाद, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान क़ानून लागू करने का होगा, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों.
शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार को वास्तविक समानता हासिल करने का सही उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले लगातार भेदभाव के पैटर्न को पहचानकर पूरा करना चाहिए.
वीडियो: भारत का संविधान बनाते समय यहां के अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संबंध में क्या निर्णय लिए गए थे? संविधान के अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यकों के क्या अधिकार हैं, हमारा संविधान की इस कड़ी में बता रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.
त्रिपुरा सरकार ने 2015 में एक अधिसूचना जारी कर शादीशुदा बेटियों को मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी का लाभ पाने से प्रतिबंधित कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा कि विवाहित बेटी को मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लाभ से वंचित करना संविधान की भावना के साथ-साथ लैंगिक समानता के ख़िलाफ़ है.
यह कितना बड़ा झूठ है कि कोई राज्य दंगे के कारण अंतरराष्ट्रीय ख्याति पाए, लेकिन झांकी सजाए लघु उद्योगों की.
पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के 12 भाजपा विधायकों को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था. राज्य सरकार ने उन पर विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. विधायकों ने अपने निलंबन पर विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.
शिक्षा मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बैनर तले 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक योजना बनाई है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को शामिल किया जाएगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं. इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देश वापस लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे.
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि बढ़ते मामलों की वजह केवल न्यायाधीशों की कमी नहीं है बल्कि इससे निपटने के लिए बुनियादी सुविधाओं की भी ज़रूरत है. ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराए बिना यह आशा करना कि जज और वकील कोर्ट की जर्जर इमारत में बैठक कर न्याय देंगे, उचित नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जनजातियों को गै़र-अधिसूचित किए जाने के लगभग 73 वर्षों बाद भी आदिवासी उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार होते हैं. भले ही एक भेदभावपूर्ण क़ानून को न्यायालय असंवैधानिक ठहरा दे या संसद निरस्त कर दे, लेकिन भेदभावपूर्ण व्यवहार फ़ौरन नहीं बदलता है.
संविधान दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अदालतों में मामले लंबित होने का मुद्दा बहुआयामी है. विधायिका अपने द्वारा पारित क़ानूनों के प्रभाव का अध्ययन नहीं करती और इससे कभी-कभी बड़े मुद्दे उपजते हैं. ऐसे में पहले से मुक़दमों का बोझ झेल रहे मजिस्ट्रेट हज़ारों केस के बोझ से दब गए हैं.
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम 21वीं सदी में रहते हैं, हमारे पास चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन बहुत से लोग जो उन पर चलते हैं, आज भी जाति व्यवस्था से प्रभावित हैं. हमारा मस्तिष्क कब चमकेगा? हम कब अपनी जाति आधारित मानसिकता का त्याग करेंगे.
वीडियो: भारत के संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के ख़तरे भरे कामों में रोज़गार पर नहीं लगाया जा सकता. इस अनुच्छेद में ख़तरे वाले कामों को कैसे परिभाषित किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने बाल श्रम पर क्या कहा है, समझा रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हम एक कल्याणकारी राज्य का हिस्सा हैं, उसके बावजूद लाभ इच्छित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें से ग़रीबी एक मुख्य चुनौती है.
वीडियो: क्या आप जानते हैं कि अनुच्छेद 23 के अनुसार किसी व्यक्ति को काम करने के लिए बाध्य करना या न्यूनतम आय का भुगतान नहीं करना या मानव की तस्करी करना असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों की मदद से अधिवक्ता अवनि बंसल मानव तस्करी और जबरन श्रम पर संविधान क्या कहता है, इसकी जानकारी दे रही हैं.