उत्तराखंड में किस मज़हब के लोग कहां व्यवसाय करें, इसका फैसला संविधान या क़ानून नहीं बल्कि कट्टरपंथी करेंगे! नफ़रत के बीज बोने वाले जिन लोगों को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए वे युगपुरुष बनकर क़ानून को ठेंगा दिखा रहे हैं और संविधान की शपथ लेने वाले उनके आगे दंडवत हैं.
2018 में 21वें विधि आयोग ने कहा था कि इस समय समान नागरिक संहिता की ज़रूरत नहीं है. अब 22वें विधि आयोग ने एक नई अधिसूचना जारी करते हुए इस बारे में जनता और धार्मिक संगठनों समेत विभिन्न हितधारकों राय मांगी है. विपक्ष ने इसे विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने की कोशिश बताया है.
कोर्ट सीबीएसई के दो भाइयों के कक्षा 10 और कक्षा 12 के बोर्ड प्रमाणपत्रों पर उनके पिता का सरनेम बदलने से मना करने के ख़िलाफ़ याचिका सुन रहा था. इसमें कहा गया था कि उनके पिता ने अपना सरनेम 'मोची' से बदलकर 'नायक' किया, क्योंकि उन्हें सरनेम के आधार पर जातिगत दुराग्रहों का सामना करना पड़ रहा था.
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शीर्ष अदालत और हाईकोर्ट के जजों के लिए रिटायरमेंट के बाद कोई राजनीतिक पद स्वीकारने के लिए दो साल का 'कूलिंग पीरियड' तय करने की मांग की है. उनका कहना है कि ऐसा न होने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में प्रतिकूल धारणा बन रही है.
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद का विशेष सत्र बुलाने और उन मुद्दों पर बहस की अनुमति देने की चुनौती दी, जिन पर विपक्ष चर्चा करना चाहता है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि जीवंत लोकतंत्र के बिना एक बड़ी इमारत (संसद) का कोई अर्थ नहीं है.
कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप से जुड़े पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे एक पत्र में कहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा 'सिविल सेवाओं के चरित्र को बदलने' और सिविल सेवकों पर केंद्र के प्रति 'विशेष निष्ठा दिखाने' के लिए दबाव डालने का प्रयास किया जा रहा है.
नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. विपक्षी दलों की मांग है कि उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराया जाए. 19 विपक्षी दलों ने एक बयान जारी कर कहा है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से निकाल दिया गया है, तो उनके लिए नई इमारत का कोई मोल नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि दिल्ली सरकार के पास सभी प्रशासनिक सेवाओं (ट्रांसफर-पोस्टिंग) पर अधिकार है. इसमें उपराज्यपाल का दख़ल नहीं होगा. हालांकि केंद्र ने एक अध्यादेश के ज़रिये इस फैसले को पलट दिया है. इस पर विपक्ष ने कहा कि यह सभी राज्य सरकारों के लिए चेतावनी का संकेत है.
कार्यक्रम का आयोजन महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले में स्थित मुंब्रा में सकल हिंदू समाज की ओर से किया गया था. पुलिस को लिखे पत्र में संगठनों ने कहा है कि कार्यक्रम में कठोर दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थन करते हुए भड़काऊ भाषण दिए गए, जिसके माध्यम से वक्ताओं ने विशेष रूप से मुस्लिम नागरिकों को निशाना बनाया है.
आरएसएस के एक कार्यक्रम में केंद्रीय क़ानून और न्याय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने कहा कि सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है, यहां तक कि जो सहिष्णु दिखाई देते हैं वे भी इसे एक ‘मास्क’ की तरह इस्तेमाल करते हैं. वे ऐसा सिर्फ़ सार्वजनिक जीवन में बने रहने के लिए करते हैं.
बीते कुछ समय से भाजपा, आरएसएस तथा उनके द्वारा पोषित-समर्थित अन्य संगठन सनातन शब्द के प्रयोग पर ज़ोर देते नज़र आ रहे हैं. क्या वे हिंदुत्व शब्द से पीछा छुड़ाना चाहते हैं? सांप्रदायिक और दमनकारी हिंदुत्व की राजनीति के कारण भाजपा और संघ की बदरंग हुई छवि क्या सनातन शब्द से उजली हो जाएगी?
फेडरेशन ऑफ कैथोलिक एसोसिएशन ऑफ आर्चडायसिस ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष और यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के राष्ट्रीय समन्वयक एसी माइकल ने दोनों समूहों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में धर्मांतरण विरोधी क़ानून, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर हमले और दलित ईसाइयों को आरक्षण लाभ से वंचित करने के मुद्दे उठाए हैं.
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि पीएम केयर्स फंड में 60 प्रतिशत धन सरकार स्वामित्व वाले उपक्रमों से आने के बावजूद इसमें कोई पारदर्शिता और जवाबदेही क्यों नहीं है. यह किसी ऑडिट या आरटीआई के दायरे में क्यों नहीं आता. पार्टी ने कहा कि अगर वह सत्ता में आती है, तो पीएम केयर्स फंड का कैग ऑडिट कराएगी.
सुप्रीम कोर्ट तेलंगाना सरकार द्वारा दायर एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य के राज्यपाल को उनके पास लंबित 10 विधेयकों को मंज़ूरी देने का आदेश देने की मांग की गई थी. कई ग़ैर-भाजपा शासित राज्य सरकारों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार राज्य विधानसभाओं को अपना काम नहीं करने देने के लिए राज्यपाल के कार्यालय का उपयोग कर रही है.
तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि सदन द्वारा पारित किए गए विधेयकों को मंज़ूरी देने के लिए राज्यपालों के लिए समयसीमा तय की जाए. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर ऐसा ही प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया है.