अमेरिकी सरकार की एजेंसी यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) द्वारा पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव वाले स्टार्ट-अप एएसएआर के सहयोग से यह अध्ययन किया गया है. अध्ययन में पाया गया कि ग़रीब परिवारों के लिए एलपीजी सिलेंडर को फिर से भरने की कीमत इसके उपयोग में एक बड़ी बाधा है.
भाजपा ने ईंधन की क़ीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, हालांकि सत्ता में आने पर उसने पेट्रोल, डीज़ल के दामों को कम करने के अपने वादे को पूरा नहीं किया और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कारकों को ज़िम्मेदार बताने लगी.
वीडियो: देश में रसोई गैस की कीमतें 1000 रुपये के पार पहुंच गई हैं. संकटग्रस्त परिवारों का कहना है कि बढ़ती कीमतों के संकट के बीच वे अपने वाहनों में पेट्रोल या डीजल डाले बिना तो रह सकते हैं, लेकिन एलपीजी सिलेंडर के बिना कैसे रह सकते हैं.
दो महीनों से कम समय में रसोई गैस की क़ीमत में यह चौथी वृद्धि है. जुलाई से अब तक 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर के दाम में कुल 90 रुपये बढ़ाए गए हैं. इसके अलावा लगभग तीन हफ्ते के ठहराव के बाद ईंधन की क़ीमतों में सातवीं बार हुई वृद्धि के साथ देश के ज़्यादातर बड़े शहरों में पेट्रोल सौ रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया है.
घरेलू रसोई गैस की कीमत पिछले सात वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है. एक मार्च 2014 को घरेलू गैस का खुदरा मूल्य 410.5 रुपये प्रति सिलेंडर था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की जो कीमतें हैं, वह साल 2014 की तुलना में बहुत अधिक थीं. फ़िर भी कांग्रेस ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की तुलना में कीमतों को बहुत कम रखा था. भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू ने मांग