बनासकांठा ज़िले में एक गौशाला में ‘वेदालक्षणा पंचगव्य आयुर्वेद कोविड आइसोलेशन सेंटर’ शुरू हुआ है, जहां हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज़ों का दूध, घी और गोमूत्र से बनी दवाइयों से इलाज करने का दावा किया गया है. वहीं एक भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि हर सुबह खाली पेट गोमूत्र पीने से कोरोना वायरस ख़त्म हो जाएगा, हालांकि इस बात का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.
कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉक्टर राकेश मिश्रा का कहना है कि कोविड-19 से लड़ाई में स्वास्थ्य ढांचा बहुत दबाव में है. नए अस्पताल और सुविधाएं लाए जा सकते हैं, लेकिन प्रशिक्षित मानव संसाधन नहीं मिलेगा. इसलिए सबसे कारगर तरीका यही है कि लोगों को संक्रमित होने से बचाया जाए.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि राज्य में फंगल इंफेक्शन यानी म्यूकोरमाइकोसिस के 200 मरीज़ों का इलाज चल रहा है, जिनमें से आठ की आंख की रोशनी चली गई है, जबकि गुजरात में ऐसे मरीज़ों की संख्या 100 से अधिक है और सात मरीज़ों की आंख की रोशनी जा चुकी है.
अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लांसेट ने अपने संपादकीय में मोदी सरकार की आलोचना करते हुए लिखा है कि बार-बार चेतावनी देने के बाद भी सरकार लापरवाह बनी रही और भारत को कोरोना विजयी घोषित कर दिया. जर्नल ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आगामी अगस्त तक भारत में करीब 10 लाख कोरोना मौतें हो सकती हैं.
देशभर में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच मरीज़ों को समय पर वेंटिलेटर न मिलने की बात सामने आ रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के दर्जन भर से अधिक ज़िलों के अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी या ऑक्सीजन का उचित दबाव न होने जैसी कई वजहों के चलते उपलब्ध वेंटिलेटर्स ही काम में नहीं आ रहे हैं.
कोविड-19 संक्रमित मरीज़ों के इलाज के लिए समर्पित निजी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में भर्ती के लिए संशोधित राष्ट्रीय नीति में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि किसी भी मरीज़ को ऑक्सीजन या आवश्यक दवाओं आदि समेत किसी भी मद में सेवा देने से इनकार नहीं किया जा सकता, भले ही वह किसी दूसरे शहर का ही क्यों न हो.
उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी ज़िले के मोहम्मदी और बस्ती ज़िले के रूधौली से भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उनके यहां कोविड-19 के मामले तेज़ी से फैल रहे हैं और महत्वपूर्ण सुविधाओं के अभाव में लोगों तेजी से मर रहे हैं. भाजपा के कानपुर से सांसद सत्यदेव पचौरी ने ने भी डिप्टी सीएम को ऐसा ही पत्र लिखा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया गया कि हाल के समय में सरकार का ध्यान बड़े शहरों पर रहा है और छोटे ज़िले एवं शहर दुर्भाग्य से नज़रअंदाज़ कर दिए गए और मीडिया ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. अब ग्रामीण इलाकों में महामारी का प्रकोप बढ़ते हुए देखा जा रहा है और उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव में स्थिति ख़राब हुई है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा था कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने का आदेश पारित किया है. इससे तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन के आपूर्ति नेटवर्क व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और यह व्यवस्था पूरी तरह से ढह जाएगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्नाटक के लोगों को लड़खड़ाते हुए नहीं छोड़ा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित यह टास्क फोर्स कोविड-19 के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं के तर्कसंगत और समान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाएगा और महामारी के कारण सामने आईं अन्य चुनौतियों को पूरा करने के लिए सदस्यों के वैज्ञानिक और विशेष ज्ञान के आधार पर इनपुट देगा. अदालत ने केंद्र और राज्यों से इसे सहयोग करने के लिए कहा है.
कोविड-19 की दूसरी लहर ने जिस राष्ट्रीय आपदा को जन्म दिया है, वैसी आपदा भारत ने आजादी के बाद से अब तक नहीं देखी थी. इस बात के तमात सबूत सामने हैं कि इसे टाला जा सकता था और इसके प्राणघातक प्रभाव को कम करने के लिए उचित क़दम उठाए जा सकते थे.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि पता चला है कि भारत में हमारे आकार, आनुवांशिक विविधता और जटिलता से वायरस को अनुकूल माहौल मिलता है जिससे वह स्वरूप बदलकर अधिक ख़तरनाक रूप में सामने आता है. मुझे डर है कि जिस ‘डबल’ और ‘ट्रिपल म्यूटेंट’ को हम देख रहे हैं, वह शुरुआत भर हो सकती है.
गोमती नगर के सन हॉस्पिटल ने तीन मई को एक नोटिस में रोगियों के परिजनों से ऑक्सीजन की कमी के चलते उनके मरीज़ को अस्पताल से शिफ्ट करने की बात कही थी. इसके बाद लखनऊ प्रशासन ने अस्पताल पर ऑक्सीजन की कमी को लेकर 'झूठी ख़बर' फैलाने के आरोप में मामला दर्ज करवाया है. अस्पताल ने कहा है कि वे इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट जाएंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर अपनी ज़िम्मेदारियों और कर्तव्यों से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में कोविड संक्रमण के हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए, जिससे महामारी से बेहतर ढंग से निपटने के लिए क़दम उठाना और जवाबदेही तय करना सुनिश्चित हो सके.
राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले को सुन रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि केंद्र को अदालत के अगले आदेश तक रोज़ाना दिल्ली को 700 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी है. ऐसा न हो कि एक दिन के लिए आपूर्ति हुई और फिर 'टैंकर नहीं हैं' और परिवहन में दिक्कतें हैं, जैसे कई विरोध-पत्र दायर किए जाएं.