भारत बायोटेक ने ब्राज़ील के बाज़ार में कोवैक्सीन की बिक्री के लिए दवा निर्माता कंपनी प्रेसीसा मेडिकामेंटॉस और एनविक्सिया फार्मेस्यूटिकल्स लिमिटेड के साथ 20 नवंबर, 2020 को समझौता किया था. इसे लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद वहां के प्रशासन ने जांच शुरू की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 रोगियों के उचित इलाज पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले को सुनते हुए कहा कि अस्पताल कठिनाई के समय में राहत प्रदान करने के लिए होते हैं न कि नोट छापने की मशीन। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि आवासीय इलाकों में दो-तीन कमरे में चलने वाले ‘नर्सिंग होम’ सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते, इसलिए उन्हें बंद किया जाना चाहिए.
योगी सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग से पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले दो हज़ार से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने की सिफ़ारिश की है. सरकार के पास मुआवज़े के लिए कुल 3,092 आवेदन आए थे, जिनमें से 2,020 को पात्र माना गया है.
फादर स्टेन स्वामी की हिरासत, ख़ारिज होती ज़मानत, बुनियादी ज़रूरतों के लिए अदालत में अर्ज़ियां लगाना और अंत में अपनों से दूर एक अनजान शहर में उनका गुज़र जाना यह एहसास दिलाता है कि उनके ख़िलाफ़ कोई आरोप तय किए बिना और उन पर कोई मुक़दमा चलाए बगैर उन्हें सज़ा-ए-मौत मुक़र्रर कर दी गई.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में यूएपीए के तहत पिछले साल गिरफ़्तार किए गए आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की बीते पांच जुलाई को मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मैरी लॉलर ने कहा कि आरोपी के तौर पर हिरासत में उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया गया.
यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और ओईसीडी ने कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रभाव का सर्वेक्षण किया था. इसके अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने बताया कि सभी छात्र व्यक्तिगत रूप से स्कूली शिक्षा में नहीं लौटे, जो पढ़ाई को हुए नुकसान और स्कूल छोड़ने के बढ़ते जोखिम को दिखाता है.
साल के अंत तक सभी भारतीय वयस्कों को पूरी तरह से कोविड टीका लगाने की केंद्र की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए हर दिन कम से कम अस्सी लाख खुराक दी जानी है. हालांकि, खुराक की कमी के कारण कई राज्यों को टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है.
हाईकोर्ट जेएनयू शिक्षक संघ, छात्र संघ और दो संकाय सदस्यों की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कोविड-19 से निपटने के लिए परिसर में चिकित्सा सुविधाओं की मांग की गई थी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह समय बर्बाद नहीं कर सकती, साथ ही स्टेटस रिपोर्ट जमा करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोरोना संक्रमण को लेकर बरती जा रही ढिलाई के मद्देनज़र कहा है कि पर्यटकों का आगमन, तीर्थयात्राएं, धार्मिक उत्साह ज़रूरी हैं, लेकिन इसके लिए कुछ और महीने इंतज़ार किया जा सकता है. आईएमए ने सभी राज्यों से लोगों की भीड़भाड़ को रोकने की अपील की है.
बीते छह जुलाई को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता एवं वकील सुधा भारद्वाज ने अपने वकील के ज़रिये बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया था कि 2018 में उनकी गिरफ़्तारी के बाद जिस न्यायाधीश (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश) ने उन्हें हिरासत में भेज दिया था, उन्होंने एक विशेष न्यायाधीश होने का ‘दिखावा’ किया था और उनके द्वारा जारी किए गए आदेश के कारण उन्हें और अन्य आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा.
वीडियो: भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में पिछले साल आठ अक्टूबर को गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन पांच जुलाई को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में हो गया. उनके प्रियजनों ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मौत के लिए पूरी तरह से लापरवाह जेल, उदासीन अदालतें और दुर्भावनापूर्ण जांच एजेंसियां ज़िम्मेदार हैं.
एल्गार परिषद- भीमा कोरेगांव मामले के 10 आरोपियों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एनआईए और तलोजा जेल के पूर्व अधीक्षक ने स्टेन स्वामी को प्रताड़ित करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा चाहे वह जेल में भयावह बर्ताव हो, अस्पताल से उन्हें जेल में लाने की जल्दबाज़ी हो या पानी पीने के लिए सिपर जैसी छोटी सी चीज़ों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो, जिसकी स्वामी को अपने स्वास्थ्य के कारण ज़रूरत होती थी.
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ की मानवाधिकार संस्था द्वारा आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की मौत पर भारत सरकार की आलोचना करने के बाद विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि देश मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने क़ानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्हें गिरफ़्तार करने के बाद हिरासत में लिया था.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज का कहना है कि एक न्यायाधीश विशेष जज होने का ‘दिखावा’ किया था और उनके द्वारा जारी आदेश के कारण उन्हें और अन्य आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. बॉम्बे हाईकोर्ट ने उक्त न्यायाधीश की नियुक्ति, पद आदि पर मूल रिकॉर्ड पीठ के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में पिछले साल आठ अक्टूबर को गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन बीते सोमवार को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में हो गया. आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के प्रियजनों ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मौत के लिए पूरी तरह से लापरवाह जेल, उदासीन अदालतें और दुर्भावनापूर्ण जांच एजेंसियां ज़िम्मेदार हैं.