एंबुलेंस कर्मचारी संघ का आरोप है कि उन्हें कोरोना वायरस महामारी के दौरान सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें जनवरी से वेतन भी नहीं मिला है.
मामला बोटाद जिले के विकालिया गांव का है. परिजनों का आरोप है कि बीते 28 मार्च को 40-50 पुलिसकर्मी उनके घर से आठ पुरुष सदस्यों को उठाकर ढासा पुलिस स्टेशन ले गए थे. बाद में उन पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने का मामला दर्ज कर बुरी तरह से पीटा था.
घटना बिहार के भोजपुर ज़िले के आरा की है. मुसहर समुदाय से आने वाले आठ वर्षीय राकेश की मौत 26 मार्च को हो गई थी. उनकी मां का कहना है कि लॉकडाउन के चलते उनके पति का मजदूरी का काम बंद था, जिसके चलते 24 मार्च के बाद उनके घर खाना नहीं बना था.
व्यापार पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने से विकासशील देशों के लिए गंभीर संकट पैदा होगा लेकिन चीन और भारत इससे बच सकते हैं.
बीते 28 मार्च को स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन सरकारी कंपनी एचएलएल लाइफकेयर ने दक्षिण पश्चिम रेलवे के मुख्य मेडिकल निदेशक को भेजे एक ईमेल में कहा कि लॉकडाउन के चलते सुरक्षा उपकरण पहुंचने में 25 से 30 दिन का समय लग सकता है.
दिल्ली में निज़ामुद्दीन पश्चिम इलाके के एक मरकज़ में 13 मार्च से 15 मार्च तक हुई धार्मिक सभा में भाग लेने वाले कुछ लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण फैल गया है. सेना और दिल्ली पुलिस ने निज़ामुद्दीन पश्चिम में एक प्रमुख इलाके की घेराबंदी की. सभा में शामिल 153 लोग एलएनजेपी में भर्ती. राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के मामले बढ़कर 97 हो गए हैं.
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण ट्राई के निर्देश पर बीएसएनएल, एमटीएनएल और एयरटेल ने प्रीपेड ग्राहकों की वैधता 20 अप्रैल तक बढ़ाने और 10 रुपये का अतिरिक्त टॉकटाइम देने की घोषणा की, जो प्रति उपभोक्ता कम खर्च करने वाले ग्राहकों के लिए सीमित होगी. इसका फायदा करीब आठ करोड़ ग्राहकों को होगा.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लागू 21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से बेरोज़गार होने वाले हज़ारों प्रवासी कामगारों के लिए खाना, पानी, दवा और समुचित चिकित्सा सुविधाओं जैसी राहत दिलाने का अनुरोध किया गया है.
वीडियो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लॉकडाउन के चलते हो रही परेशानियों के लिए जनता से माफी मांगी है. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र हुए लॉकडाउन के बाद दस मज़दूर हरियाणा के बल्लभगढ़ से उत्तर प्रदेश के देवरिया में अपने घर पहुंचे हैं. 800 किलोमीटर की यह यात्रा उन्होंने तीन दिनों में पैदल, ट्रक, ऑटो और सरकारी बस की मदद से पूरी की.
मामला उत्तर प्रदेश बरेली शहर का है. जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने कहा कि बरेली नगर निगम एवं फायर ब्रिगेड की टीम को बसों को सैनेटाइज करने के निर्देश थे, पर अतिसक्रियता के चलते उन्होंने ऐसा कर दिया. संबंधित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
कोरोना वायरस से निपटने में आर्थिक मदद देने के लिए केंद्र ने ‘पीएम केयर्स फंड’ की घोषणा की है. हालांकि इसके जैसा ही पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में प्राप्त राशि का काफ़ी कम हिस्सा ख़र्च किया जा रहा है और 2019 के आख़िर तक में इसमें 3800 करोड़ रुपये का फंड बचा था.
ट्रक के मालिक का कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, जहां भुखमरी है, वहां लोग मजबूर हैं? सरकार को देखना चाहिए कि लॉकडाउन की वजह से कहीं आटे वगैरह की कमी न हो.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी नियोक्ता, चाहे वह उद्योग में हों या दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में, लॉकडाउन की अवधि में अपने श्रमिकों के वेतन का भुगतान बिना किसी कटौती के करेंगे.
सरकार द्वारा ग़रीबों की मदद के नाम पर स्वास्थ्य संबंधी मामूली घोषणाएं की गई हैं. हमें नहीं पता अगर कोई ग़रीब कोरोना से संक्रमित हुआ तो उसे उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी. अगर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई तो बेड और वेंटिलिटर जैसी सुविधाएं मिलेंगी?