हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि कोरोनिल किट की आधी लागत पतंजलि और आधी हरियाणा सरकार के ‘कोविड रिलीफ फंड’ ने वहन की है. रामदेव की एलोपैथी के ख़िलाफ़ टिप्पणी को लेकर उठ रहे विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने यह घोषणा की गई है. रामदेव ने एलोपैथी को एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस बताया था.
उत्तर प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संघों द्वारा पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान हुए कोविड संक्रमण से जान गंवाने के बाद वाले कर्मचारियों की सूची जारी करने के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी ऐसी ही लिस्ट जारी करते हुए पीड़ित परिवारों को अनुग्रह राशि और आश्रितों की नौकरी देने की मांग की है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 26,948,874 हो गई है और मृतकों का आंकड़ा 307,231 है. विश्व में संक्रमण के कुल 16.73 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं और 34.73 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भाजपा सांसद गौतम गंभीर अच्छी मंशा से दवाएं बांट रहे थे, लेकिन महामारी के बीच उनके द्वारा उठाए गए इस क़दम को अदालत 'ज़िम्मेदाराना व्यवहार' नहीं मानती है. कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के दो विधायकों के ख़िलाफ़ भी जांच के आदेश दिए हैं.
भारत में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 222,315 नए मामले सामने आए हैं और इस अवधि में 4,454 और लोगों की हुई है. विश्व में संक्रमण के कुल मामले 16.71 करोड़ से ज़्यादा हैं और 34.63 लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट तीन मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दाख़िल आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रवासी कामगारों को खाद्य सुरक्षा, नकदी हस्तांतरण, परिवहन सुविधा तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश केंद्र और राज्य सरकारों को देने का अनुरोध किया गया है.
शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन याचिकाओं में केंद्र तथा राज्यों को 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समान नीति अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
देश में कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सा सुविधाओं की कमी के चलते कुछ लोगों ने अपने संबंधियों के लिए विदेशों से ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर मंगा दिया था, जिस पर केंद्र सरकार ने एक मई से 12 प्रतिशत एकीकृत जीएसटी लगा दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र के इस क़दम को असंवैधानिक क़रार देते हुए इस संबंध में जारी की गई अधिसूचना को ख़ारिज कर दिया है.
मध्य प्रदेश भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने अपने शिकायती ज्ञापन में कहा है कि कमलनाथ ने 22 मई को कहा था कि दुनिया में जो कोरोना फैला हुआ है, अब उसे ‘इंडियन वैरिएंट’ कोरोना के नाम से जाना जा रहा है. वह जनता को भ्रमित और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने झूठा आरोप लगाया कि सरकार लाखों लोगों की मौत का आंकड़ा छिपा रही है. यह बयान जनता में भय उत्पन्न करने वाला है.
रामदेव द्वारा एलोपैथी को स्टुपिड और दिवालिया साइंस कहने पर मेडिकल बिरादरी ने कड़ा विरोध जताया था. बयान को वापस लेते हुए रामदेव ने कहा कि उन्होंने आयुर्वेद और योग का उपयोग करके भी महामारी के दौरान कई लोगों की जान बचाई है, इसका भी सम्मान किया जाना चाहिए.
बीते कुछ सालों से बहुसंख्यकवाद पर सामाजिक ऊर्जा और विचार दोनों ख़र्च किए गए, लेकिन आज संकट की इस घड़ी में बहुसंख्यकवादी इंफ्रास्ट्रक्चर कितना काम आ रहा है? महामारी ने यह अवसर दिया है कि अपनी प्राथमिकताएं बदलकर संकुचित, उग्र और छद्म राष्ट्रवाद को त्याग दिया जाए.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा कि पिछले अनुभव से कोई सीख न लेने और चुनाव के दौरान लापरवाही बरतने तथा धार्मिक आयोजनों पर समय रहते रोक न लगाए जाने जैसे कारक भी दूसरी लहर के घातक प्रसार के लिए ज़िम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञों की लगातार अनदेखी एक बहुत बड़ा जुर्म है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह राष्ट्रीय महामारी है या राज्य केंद्रित समस्या? केंद्र ने स्थिति को संभालने के लिए न तो हम पर छोड़ा है, न ही इसे ठीक से संभाल रहा है. हमें दवाएं आयात करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि केंद्र अनुमति नहीं देता है.
दिल्ली परिवहन विभाग ने बताया कि बीते 19 अप्रैल से 14 मई के बीच 8,07,032 प्रवासी कामगार दिल्ली से बसों के ज़रिये अपने गृह राज्यों के लिए रवाना हुए. इनमें से 3,79,604 प्रवासी लॉकडाउन के पहले सप्ताह में निकले.
एक वीडियो का हवाला देते हुए देश में डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा था कि रामदेव कह रहे हैं कि ‘एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है’ इस पर आईएमए सहित कई संस्थाओं ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कहा था कि रामदेव के ख़िलाफ़ महामारी अधिनियम के तहत मुक़दमा चलाना चाहिए, क्योंकि ‘अशिक्षित’ बयान देश के शिक्षित समाज के लिए एक ख़तरा है, साथ ही ग़रीब लोग इसका शिकार हो