बीते रविवार को बनारस घराने के प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र का दिल्ली के एक अस्पताल में कोविड-19 समस्याओं के चलते निधन हो गया. उनके लिए वेंटिलेटर उपलब्ध कराने के लिए काफ़ी प्रयास किए गए थे, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल सकी.
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल पा रहे है. ऑक्सीजन की कमी की भी ख़बरें आ रही हैं. साथ ही कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़ों में हेरफेर करने के आरोप भी योगी सरकार पर लग रहे हैं.
असम के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा का कहना है कि पिछले आदेश में यात्रियों को अन्य राज्यों से आने पर 72 घंटों के भीतर कोविड-19 जांच की निगेटिव रिपोर्ट दिखाने की मंज़ूरी थी, लेकिन अब उन्हें अनिवार्य रूप से कोरोना टेस्ट कराना होगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि मृत स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को मुआवजा या नौकरी के लिए कोविड-19 के संदर्भ में कोई विशेष योजना प्रस्तावित नहीं की गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा संसद में दिए गए बयान में काम के दौरान कोरोना से जान गंवाने वाले डॉक्टरों का ज़िक्र न होने से नाख़ुश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ऐसे 382 चिकित्सकों की सूची जारी करते हुए उन्हें शहीद घोषित करने की मांग की है.
भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम रहे चार एनजीओ ने शहर में कोविड-19 से हुई मौतों पर जारी रिपोर्ट में बताया है कि 11 जून तक भोपाल में कोरोना से 60 मौतें हुई थीं, जिनमें से 48 गैस पीड़ित थे.
घटना फरीदाबाद के बीके अस्पताल की है, जहां एक विवाद में मारे गए युवक का शव अस्पताल की मोर्चरी से गायब हो गया था. परिजनों द्वारा पूछताछ के बाद सामने आया कि अस्पताल प्रशासन ने इसे कोरोना संक्रमित लावारिस शव समझकर अंतिम संस्कार कर दिया. मामले में एफआईआर दर्ज की गई है.
यह मुंबई के राजावाड़ी अस्पताल का मामला है. पारिवारिक विवाद में एक युवक की हत्या कर दी गई थी, जिनके शव की कोरोना जांच में उसे संक्रमित पाया गया. अस्पताल को शक़ है कि ग़लती से शव किसी और को सौंप दिया गया है.
गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले भोपाल ग्रुप ऑफ इंफॉर्मेशन एंड एक्शन और संभावना ट्रस्ट ने भोपाल में अब तक हुई कुल मौतों में से 36 की जानकारी निकाली है, जिसमें सामने आया है कि इनमें से बत्तीस गैस पीड़ित हैं. संगठनों का दावा है कि गैस जनित दुष्प्रभावों के चलते कोरोना का पीड़ितों पर गंभीर असर हो रहा है. इसके बावजूद सरकार इनके लिए आवश्यक क़दम उठाने में कोताही बरत रही है.
बीते सप्ताह एक मीडिया रिपोर्ट में उत्तर और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के डेटा के आधार पर बताया गया था कि दिल्ली में कोविड मरीज़ों के लिए जारी एसओपी के तहत 410 अंतिम संस्कार किए गए हैं. उस समय तक दिल्ली में कोरोना से 106 मौतें दर्ज हुई थीं.