एटा पुलिस के अनुसार, दो मई को जिले के पावस गांव में 7 और तीन मई को लखमीपुर गांव में 10 गायों के शव मिले थे. गायें पास में स्थित एक सरकारी गोशाला की थीं. दोनों घटनाओं के संबंध में दो एफ़आईआर दर्ज किए गए हैं.
तापी ज़िले की एक अदालत ने कथित गो तस्करी के मामले में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाते हुए कहा कि विज्ञान ने साबित कर दिया है कि गाय के गोबर से बने घर परमाणु विकिरण से प्रभावित नहीं होते हैं और गोमूत्र का उपयोग कई लाइलाज बीमारियों का इलाज है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंडियन वेटरीनरी एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि दूध के अतिरिक्त गाय-भैंसों का गोबर, गोमूत्र आदि से भी कई वस्तुएं तैयार होती हैं. हम चाहें तो अपनी अर्थव्यवस्था को इन गतिविधियों से सुदृढ़ कर सकते हैं और देश को भी आर्थिक रूप से संपन्न बना सकते हैं.
स्थानीय शहरी निकायों के प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार ने आवारा मवेशियों की समस्या कम करने के प्रयास किए हैं लेकिन इसे लेकर समाज को जागरूक करने की ज़रूरत है ताकि परिवार गायों को गोद ले सकें.
केंद्र सरकार ने बीते पांच जनवरी को घोषणा की थी कि गाय की देसी नस्ल और इसके फायदे के बारे में रुचि पैदा करने की कोशिश के तहत 25 फरवरी को गौ-विज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. इस परीक्षा की यह कहते हुए आलोचना की जा रही थी कि यह अंधविश्वास फैलाने और देश में शिक्षा क्षेत्र का भगवाकरण करने की कोशिश है.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग आम लोगों में देसी गायों के बारे में रुचि पैदा करने के लिए छात्रों और नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन गौ विज्ञान परीक्षा आयोजित करेगा. इसके लिए जारी पाठ्यक्रम में आयोग ने देसी-विदेशी गायों में अंतर बताते हुए अजीब दावे किए हैं.
‘एक ऐसी सरकार जो ‘सबका विकास’ के वादे पर सत्ता में आई थी, अब समाज के सबसे कमज़ोर लोगों को सुरक्षा देने को लेकर अनिच्छुक नज़र आ रही है.’
पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर ज़िले के एक गांव में ग्रामीणों को कुछ लोगों पर गाय चोर होने का संदेह हुआ तो पकड़कर उनकी पिटाई की जिससे उनकी मौत हो गई.
गोवंश चिकित्सा मोबाइल वैन सेवा के तहत बीमार गायों का इलाज करने के साथ उन्हें पशु चिकित्सालय पहुंचाया जाएगा.
पूरे उत्तर प्रदेश में तथाकथित ‘अवैध बूचड़खाने’ वास्तव में सार्वजनिक म्युनिसिपल बूचड़चाने हैं, जो भीषण उपेक्षा के कारण बदहाली का शिकार हैं.
गोवध और गायों के परिवहन पर पाबंदी को गोरक्षक दलों द्वारा हिंसक ढंग से लागू करने का ख़ामियाज़ा किसानों को उठाना पड़ रहा है. किसान अनुपयोगी मवेशी बेचकर कुछ पैसे कमा लेने के विकल्प से भी वंचित हो गए हैं.