बीते 24 अगस्त को मैसूर शहर के बाहरी इलाके में एक छात्रा के साथ कथित रूप से पांच लोगों ने बलात्कार किया और उनके पुरुष मित्र पर भी हमला किया. इसके बाद गृहमंत्री अर्गा ज्ञानेंद्र ने कहा था कि वह सुनसान जगह है, उन्हें वहां नहीं जाना चाहिए था. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गृहमंत्री के बयान से असहमति जताते हुए उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था.
घटना मैसूर शहर के बाहरी इलाके में हुई. बताया गया है कि छात्रा मंगलवार को अपने पुरुष मित्र के साथ चामुंडी हिल्स की ओर से आ रही थीं, जब एक समूह ने उन्हें रोककर पैसे मांगे. पैसे न मिलने उन्होंने पुरुष पर हमला किया और छात्रा के साथ बलात्कार किया.
झारखंड के दुमका ज़िले के रानीश्वर थाना क्षेत्र का मामला है. पुलिस ने बताया कि पीड़ित महिला के बयान पर दो महिलाओं समेत 12 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर लिया गया है. महिला का आरोप है कि उसके पास से 25 हज़ार रुपये भी छीन लिए गए.
उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले का मामला. 30 वर्षीय महिला ने 14 अगस्त को अपने पड़ोसी विपिन यादव के ख़िलाफ़ घर में घुसकर मारपीट करने और छेड़खानी करने का मामला दर्ज करवाया था. पुलिस ने आरोपी युवक को हिरासत में ले लिया था. आरोप है कि इसी से नाराज़ होकर उसके मां-बाप ने महिला पर किरोसिन छिड़ककर आग लगा दी थी.
आधिकारिक तौर पर इस पुलिस मुठभेड़ का अभी तक कोई नाम नहीं है, लेकिन राज्य के कुछ वरिष्ठ पुलिसकर्मी इसे ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ कहते हैं. मार्च 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद यूपी पुलिस ने 8,472 मुठभेड़ों में 3,302 कथित अपराधियों को गोली मारकर घायल किया. इस दौरान कई कथित अपराधी पैर में गोली लगने से घायल हुए.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा में बताया कि प्रदेश में जनवरी 2017 से जून 2021 के दौरान महिलाओं की हत्या के 2,663 मामले दर्ज किए गए हैं. इस अवधि में सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या के 37 मामले दर्ज किए गए.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने राज्यसभा को बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों के उत्पीड़न से संबंधित मामलों में जहां 2017 की तुलना में 2018 में 11.15 प्रतिशत की कमी आई थी, वहीं, 2019 में इनकी संख्या में 11.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई. साल 2015 से 2019 के बीच उत्तर प्रदेश में लगातार सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि 20 मार्च, 2017 से 20 जून, 2021 तक की अवधि में अपराधियों के साथ मुठभेड़ में पुलिस बल के 13 जवान वीरगति को प्राप्त हुए तथा 1,122 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. सरकार के चार वर्ष से अधिक के कार्यकाल में गैंगस्टर अधिनियम के तहत कुल 15 अरब 74 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्तियों के जब्तीकरण की कार्यवाही की गई है.
असम विधानसभा में राज्य में मुठभेड़ों की बढ़ती संख्याओं पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बताया कि गत दो महीनों के दौरान पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में 15 कथित अपराधी मारे गए, जबकि 23 अन्य घायल हुए. ये मुठभेड़ कथित अपराधियों द्वारा पुलिस के हथियार छीनकर हमला करने और भागने की कोशिश के दौरान हुई.
वकील ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दी गई अपनी शिकायत में दावा किया है कि पुलिस ने फ़र्ज़ी मुठभेड़ों में छोटे अपराधियों को गोली मारी है. हाल में ऐसी 20 से अधिक मुठभेड़ हुई हैं. सभी कथित अपराधी ड्रग डीलर, पशु तस्कर, डकैत जैसे छोटे किस्म के अपराधी थे, आतंकवादी नहीं थे. इनके हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित होने की संभावना भी नहीं थी.
यह घटना साल 2018 की है. मुंबई की विशेष अदालत ने कहा कि घटना के समय पीड़ित की उम्र 13 साल थी और वह नियमित तौर पर बेस्ट बस से स्कूल जाती थी. उस समय आरोपी की उम्र 54 साल थी और उसने बच्ची से ऐसे शब्द कहे, जिससे उसके मन में इतना डर पैदा हो गया कि उसने बस से स्कूल जाने से इनकार कर दिया. इस तरह की घटनाएं बच्चियों के विकास में बाधा डालती हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में शामिल कुल 78 मंत्रियों में से चार के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं. इसके साथ ही 90 फीसदी मंत्री करोड़पति हैं.
असम में बीते दो महीने में कथित तौर पर हिरासत से भागने का प्रयास कर रहे क़रीब 12 संदिग्ध अपराधियों को मार गिराया गया है, जिसे लेकर विपक्ष के सवालों के बाद इन्हें उचित ठहराते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि आरोपी पहले गोली चलाए या भागने की कोशिश करे, तो क़ानूनन पुलिस को गोली चलाने की अनुमति है.
असम में बीते दो महीने में कथित तौर पर हिरासत से भागने का प्रयास कर रहे क़रीब 12 संदिग्ध अपराधियों को मार गिराया गया है, जिसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मुठभेड़ों को उचित ठहराते हुए कहा कि आरोपी पहले गोली चलाए या भागने की कोशिश करे, तो क़ानूनन पुलिस को गोली चलाने की अनुमति है.
ओडिशा के मयूरभंज ज़िले का मामला. पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान बालीभोल गांव की 62 वर्षीय जमुना हंसदा के रूप में हुई है. इस संबंधमें दो युवकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.