बिहार के जहानाबाद का मामला. शराब की अवैध बिक्री के आरोप में गिरफ़्तार शख़्स की बीते 23 जुलाई को हिरासत में मौत हो गई थी. इससे नाराज़ स्थानीय लोगों ने जहानाबाद-अरवल राजमार्ग पर हिंसक प्रदर्शन किया. भीड़ को नियंत्रित करने के प्रयास में एक वाहन ने महिला कॉन्स्टेबल को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई. इस संबंध में पांच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
मामला यादाद्री-भुवनगिरी ज़िले के अड्डागुडुर थाने का है, जहां बीते 18 जून को बावर्ची के रूप में काम करने वाली 40 वर्षीय मरियम्मा को चोरी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया. बताया गया कि कथित पुलिस प्रताड़ना के चलते थाने के लॉकअप में महिला की मौत हो गई. मामले में तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है.
असम के कछार ज़िले का मामला. बीते 18 जून को कर्फ़्यू के दौरान दुकान खुली रखने के आरोप में दुकानदार बाबुल बानिक को गिरफ़्तार किया गया था. दुकानदार ने पुलिस हिरासत में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उन्हें सिलचर मेडिकल कॉलेज रिफ़र कर दिया था, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई.
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले का मामला. एक नाबालिग लड़की के अपहरण के आरोपी दलित युवक की मां की शिकायत के आधार पर तीनों पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज करने के साथ उन्हें निलंबित कर दिया गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि तीनों पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे को मारने की मंशा से उसका गला घोंटा और डंडे से बेरहमी से उसकी पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई.
मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले का मामला. पुलिस ने मादक पदार्थ ब्राउन शुगर की तस्करी के आरोप में 21 वर्षीय युवक को गिरफ़्तार किया था. परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने युवक की रिहाई के लिए 50 लाख रुपये की मांग की थी. साथ ही ये भी दावा किया कि युवक के शव पर चोट के कई निशान मिले हैं.
गुजरात सरकार ने प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक निरंजन पटेल द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विधानसभा को बताया कि 2019 में पुलिस हिरासत में 70 मौतें हुईं, जबकि 2020 में 87 लोगों की जान गई थी.
कच्छ ज़िले के मुंद्रा थाने का मामला. 12 जनवरी को चोरी के संदेह में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया था, जिनमें से एक की मौत 19 जनवरी को हो गई थी. तब भी आरोप लगा था कि पुलिस की बर्बर पिटाई के बाद उनकी जान गई.
गुजरात के कच्छ ज़िले के मुंद्रा पुलिस स्टेशन का मामला. चोरी के संदेह में गिरफ़्तार किए गए एक मज़दूर की 19 जनवरी को मौत हो गई थी. आरोप है कि हिरासत में बेरहमी से उनकी पिटाई की गई थी. मामले में मुंद्रा पुलिस इंस्पेक्टर को भी लापरवाही बरतने की वजह से निलंबित किया गया है.
ओडिशा के पुरी और सुंदरगढ़ ज़िलों में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत के मामले सामने आए हैं, जिसे लेकर ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन हंगामा हुआ. अदालत की निगरानी में जांच के लिए ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है.
इस साल जून में पुलिस हिरासत में हुई जयराज और उनके बेटे बेनिक्स की मौत के मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें इतनी बुरी तरह से पीटा गया था कि उनका ख़ून दीवारों पर फैल गया था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें उनके ही कपड़ों से ख़ून पोंछने के लिए मजबूर किया.
एनसीआरबी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में कुल 53 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी.
पंजाब: पूर्व डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण मिलने के बाद फ़र्ज़ी मुठभेड़ के अन्य पीड़ित सामने आए
पंजाब में उग्रवाद के दौरान राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी पर प्रताड़ना, लोगों को गायब कराने का आदेश देने और फ़र्ज़ी मुठभेड़ में हत्याएं कराने के कई आरोप लगे हैं.
मामला श्रावस्ती ज़िले का है, जहां छेड़छाड़ के आरोप में हिरासत में लिए गए युवक वाजिद का शव लॉकअप में मिला था. युवक के परिजनों के अनुसार भूमि विवाद के चलते झूठे आरोप में फंसाकर वाजिद को गिरफ़्तार करवाया गया और फिर दो लाख रुपये रिश्वत देने से इनकार करने पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें प्रताड़ित किया.
उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले का मामला. चोरी मामले में युवक को गिरफ़्तार किया गया था. परिवारवालों ने हिरासत में पुलिस प्रताड़ना का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस का कहना है कि पेट में दर्द होने की शिकायत पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां युवक की मौत हो गई.
केरल के पथनमथिट्टा ज़िले का मामला. 28 जुलाई को कुछ वन अधिकारियों ने वनक्षेत्र में कैमरा नष्ट करने के आरोप में मथाई नामक किसान को गिरफ़्तार किया था. कुछ घंटों बाद उसका शव एक कुएं से बरामद किया गया था. मामले में किसी की भी गिरफ़्तारी न होने की वजह से परिवार ने उनके शव का अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया है.