यूपी पुलिस ने शामली की एक लड़की के परिवार की इच्छा के विरुद्ध शादी के मामले में लड़के के भाई और पिता को दिल्ली से स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ़्तार किया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने तब यूपी पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात कहते हुए उसे काफ़ी फटकारा था.
दिल्ली हाईकोर्ट दो लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्हें कथित तौर पर अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों ने इस दौरान उन्हें बेरहमी से पीटा था. उनका यह भी आरोप है कि पुलिस की ज़्यादती को लेकर की गई उनकी शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि कुलपति एम. जगदीश कुमार के पास केंद्रों या विशेष केंद्रों के अध्यक्षों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है, क्योंकि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विधान में नियुक्ति का अधिकार कार्य परिषद को दिया गया है. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही जेएनयू के नौ केंद्रों के प्रमुखों के ‘कोई भी बड़ा फ़ैसला’ लेने पर भी रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के 29 अक्टूबर के उस फैसले के ख़िलाफ़ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने पश्चिम बंगाल में सभी तरह के पटाखों की बिक्री, इस्तेमाल और ख़रीद पर प्रतिबंध लगा दिया था.
यूपी पुलिस पर आरोप है कि उसने एक लड़की के परिवार की इच्छा के विरुद्ध शादी करने के मामले में लड़के के भाई और पिता को दिल्ली से दिल्ली पुलिस को सूचित किए बिना गिरफ़्तार किया है और पिछले डेढ़ महीने से उनका कोई पता नहीं चल रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे लेकर यूपी पुलिस को फटकारते हुए कहा कि अगर ज्ञात हुआ कि दिल्ली पुलिस को बताए बिना ऐसा किया गया है तो उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
दिल्ली हाईकोर्ट में विशेष, हिंदू और विदेशी विवाह क़ानूनों के तहत समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के अनुरोध वाली कई याचिकाएं लंबित हैं, जिन पर 30 नवंबर को अंतिम सुनवाई होगी. इस साल फरवरी में केंद्र ने इन याचिकाओं को ख़ारिज करने की मांग करते हुए अदालत में तर्क दिया था कि भारत में विवाह 'पुराने रीति-रिवाजों, प्रथाओं, सांस्कृतिक लोकाचार और सामाजिक मूल्यों' पर निर्भर करता है.
अदालत ने दहेज हत्या के एक आरोपी को ज़मानत देते हुए कहा कि यदि निर्धारित अवधि में चार्जशीट दायर नहीं की जाती, तो विचाराधीन क़ैदी को ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी के स्वतंत्र होने के अधिकार को जांच जारी रखने और आरोपपत्र दायर करने के राज्य के अधिकार पर प्राथमिकता दी जाती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठता और पदोन्नति के संदर्भ में एक कर्मचारी को आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि पहले कोर्ट ये तय करे कि ऐसे संगठन आरटीआई के दायरे में आते हैं या नहीं.
वीडियो: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद को लापता हुए पांच साल हो चुके हैं. नजीब कहां और किस हालत में हैं, इस सवाल का जवाब न तो जेएनयू प्रशासन के पास है और न ही किसी जांच एजेंसी के पास. बीते दिनों छात्र संगठनों ने इस मामले की फ़िर से जांच की मांग को लेकर विश्वविद्यालय परिसर में मार्च निकाला था.
बीते एक अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने किशोरों के ख़िलाफ़ एक साल से अधिक समय से लंबित मामले तत्काल प्रभाव से ख़त्म करने का आदेश दिया था. इस पर कोई क़दम न उठाने जाने पर दिल्ली सरकार को फटकारते हुए कोर्ट ने कहा कि बच्चों व किशोरों को इंतज़ार नहीं कराया जा सकता.
दिल्ली हाईकोर्ट में दी गई अर्ज़ी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह मामले में दिए गए आदेश के आधार पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति ख़ारिज करने की मांग की गई थी, जिससे अदालत ने इनकार कर दिया.
दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले साल 18 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रहा था, जिसमें निजी और सरकारी स्कूलों को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग अथवा वंचित समूह श्रेणी के छात्रों को गैजेट और इंटरनेट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव दिल्ली के कड़कड़डूमा ज़िला अदालत में दंगों संबंधी कई मामलों की सुनवाई कर रहे थे. उनका स्थानांतरण नई दिल्ली ज़िले की राउज़ एवेन्यू अदालत में विशेष न्यायाधीश (पीसी कानून) (सीबीआई) के रूप में किया गया है. जस्टिस यादव ने दिल्ली दंगों को लेकर पुलिस की जांच को लेकर सवाल उठाते हुए उसे कई बार फटकार लगा चुके हैं. उन्होंने अधिकतर मामलों में जांच के मापदंड को घटिया बताया था.
दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दंगों संबंधी एक मामले को सुनते हुए कहा कि पुलिस गवाहों में से एक शपथ लेकर ग़लत बयान दे रहा है. कोर्ट ने ऐसा तब कहा जब एक पुलिसकर्मी ने तीन कथित दंगाइयों की पहचान की लेकिन एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी. यह पहली बार नहीं हैं जब अदालत ने दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस पर सवाल उठाए हैं.
सुपरटेक लिमिटेड ने 31 अगस्त को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले में संशोधन की अपील की थी, जिसमें नोएडा स्थित कंपनी के दो 40 मंज़िला टावरों को तीन महीने के भीतर गिराने के निर्देश दिए गए थे.