क्या किसी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और सरकार की आलोचना समाज की आलोचना है? क्या भाजपा को यह अहंकार हो गया है कि वही समाज है और जिसे उसने अपना भगवान मान लिया है, वह पूरे समाज का ईश्वर है? उसकी आलोचना, उस पर मज़ाक़ ईशनिंदा है?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को गुरुवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर असम पुलिस ने उस समय हिरासत में ले लिया गया, जब वे कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ जा रहे थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
बीती 4 फरवरी को साकेत ज़िला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शरजील इमाम, छात्र कार्यकर्ता आसिफ़ इक़बाल तन्हा और सफूरा ज़रगर एवं आठ अन्य को जामिया हिंसा मामले में बरी कर दिया था. न्यायाधीश वर्मा ने पाया था कि पुलिस ने ‘वास्तविक अपराधियों’ को नहीं पकड़ा, लेकिन आरोपियों को ‘बलि का बकरा’ बनाने में कामयाब रही.
जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा वहां चलाए जा रहे अतिक्रमण रोधी अभियान के ख़िलाफ़ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती राष्ट्रीय राजधानी में अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन करते हुए संसद भवन की ओर जा रही थीं, जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
2019 जामिया हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करने वाले दिल्ली की अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामले में पुलिस का तीन पूरक चार्जशीट दायर करना सबसे असामान्य था. इसने पूरक चार्जशीट दाखिल कर 'जांच' की आड़ में उन्हीं पुराने तथ्यों को पेश करने की कोशिश की.
जामिया नगर इलाके में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद के आवेदन पर नोटिस जारी कर तिहाड़ जेल के अधीक्षक से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी. उमर उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगा मामले में सितंबर 2020 से जेल में बंद हैं.
दिल्ली में हुए धर्म संसद में कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना 19 दिसंबर 2021 को हुई थी और एफ़आईआर पांच महीने बाद दर्ज की गई. इतना समय क्यों लगा? ऐसे मामलों में आरोपियों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए और केवल ‘नाम’ के लिए एफ़आईआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए.
फैक्ट चेक: दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर शंभू दयाल बीती चार जनवरी को एक महिला का फोन छीनकर भाग रहे आरोपी को पकड़ने गए थे, इस दौरान उन पर आरोपी ने चाकू से हमला कर दिया था. कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद सुदर्शन न्यूज जैसे कुछ मीडिया संस्थानों ने आरोपी को मुस्लिम बताते हुए घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी.
अगस्त 2019 में जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व नेता शेहला राशिद ने सिलसिलेवार ट्वीट कर भारतीय सेना पर जम्मू कश्मीर में लोगों को उठाने, छापेमारी करने और लोगों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे. अब इसके लिए दिल्ली के उपराज्यपाल ने उनके ख़िलाफ़ सीआरपीसी की धारा 196 के तहत मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी दी है.
यह मामला ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा अगस्त 2020 में किए गए एक ट्वीट से संबंधित है, जिसमें उन्होंने एक यूज़र की प्रोफाइल पिक्चर शेयर करते हुए पूछा था कि क्या अपनी पोती का फोटो लगाकर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करना सही है. इसके बाद यूज़र ने उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा दी थी.
बाहरी दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में रविवार को 20 वर्षीय युवती की स्कूटी को एक कार ने टक्कर मार दी थी और शव को करीब चार किलोमीटर तक घसीटते ले गए. युवती का शव नग्न हालत में मिलने पर उसके साथ बलात्कार का आरोप भी लगाया जा रहा है, हालांकि पुलिस ने इस बात से इनकार किया है.
गुजरात पुलिस ने क्राउड फंडिंग के कथित दुरुपयोग के मामले में तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले को दिल्ली से गिरफ़्तार किया है. इससे पहले मोरबी में पुल हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर हुए ख़र्च के संबंध में कथित तौर पर फ़र्ज़ी ख़बर प्रसारित करने के लिए छह दिसंबर को साइबर क्राइम ब्रांच ने गिरफ़्तार किया था.
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर कहा है कि 24 दिसंबर को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दिल्ली पहुंचने पर पुलिस राहुल गांधी के इर्द-गिर्द भीड़ को नियंत्रित कर घेरा बनाने में नाकाम रही, जबकि उन्हें ‘जेड प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है.
दिल्ली दंगों संबंधी मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार उमर ख़ालिद ने अपनी बहन की शादी के मद्देनज़र दो सप्ताह की अंतरिम ज़मानत मांगी थी. अदालत ने उन्हें 23 से 30 दिसंबर की अवधि के लिए ज़मानत देते हुए कहा कि वे इसके विस्तार की मांग न करें.