लेखक, कलाकारों की मांग- अरुंधति रॉय व शेख़ शौक़त हुसैन पर दर्ज यूएपीए केस की मंज़ूरी वापस ली जाए

दिल्ली के एलजी ने 14 साल पुराने एक मामले में लेखक अरुंधति रॉय और कश्मीर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर शेख़ शौकत हुसैन के ख़िलाफ़ यूएपीए केस चलाने की मंजूरी दी है. अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान 'हम देखेंगे' का कहना है कि यूएपीए का इस्तेमाल राजनीतिक असहमति को कुचलने के लिए किया जा रहा है.

दिल्ली: एलजी ने चौदह साल पुराने मामले में अरुंधति रॉय के ख़िलाफ़ यूएपीए केस चलाने की अनुमति दी

लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय और कश्मीर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर शेख़ शौकत हुसैन पर यूएपीए का यह मामला साल 2010 में एक कार्यक्रम में दिए वक्तव्य से जुड़ा है. उपराज्यपाल के फैसले की चौतरफ़ा आलोचना हो रही है.

कारवां पत्रिका का दावा- दिल्ली पुलिस ने पत्रकारों पर दर्ज एफआईआर के बारे में 4 साल बाद बताया

कारवां का कहना है कि 11 अगस्त 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में उनके तीन पत्रकारों पर भीड़ ने हमला किया था और उन्होंने इस बारे में पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी. अब पुलिस का कहना है कि उनकी एफआईआर के विरोध में एक 'काउंटर एफआईआर' भी दर्ज की गई थी, जिसे अब तक पत्रिका या पत्रकारों को नहीं दिखाया गया.

वैश्विक संस्थाओं ने अमेरिका से न्यूज़क्लिक पर कार्रवाई में शामिल पुलिस अधिकारियों पर प्रतिबंध की मांग की

दुनिया भर में पत्रकारिता की स्थिति पर निगरानी रखने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ग्वेर्निका 37 चैंबर्स ने भारत में पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में शामिल दिल्ली पुलिस के चार अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए अमेरिका से इसलिए सिफ़ारिश की है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में प्रेस की स्वतंत्रता में बाधा डालने वाले लोगों पर कार्रवाई करने का वादा किया था.

दिल्ली: आतंकी हमले की साज़िश में गिरफ़्तार दो लोगों को बरी करने के लिए पुलिस ने कोर्ट में आवेदन दिया

दिल्ली पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के कथित पूर्व साउथ इंडिया कमांडर टी. नज़ीर और संदिग्ध आईएसआईएस आतंकवादी सी. ख्वाज़ा मोइनुद्दीन को आतंकवाद के एक मामले में बरी करने के लिए एक अदालत में आवेदन दायर किया है. पुलिस ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि दोनों के अपराध को साबित करने वाला कोई सबूत ही नहीं मिल पाया है.

राजद्रोह मामले में शरजील इमाम को दिल्ली हाईकोर्ट से ज़मानत मिली

आईआईटी से स्नातक करने के बाद जेएनयू से पीएचडी कर रहे शरजील इमाम जनवरी 2020 से जेल में हैं. दिल्ली हाईकोर्ट से राजद्रोह के एक मामले में मिली ज़मानत के बावजूद वे जेल में ही रहेंगे क्योंकि उन पर दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में यूएपीए के तहत आरोप लगे हैं.

फिर ख़ारिज हुई उमर ख़ालिद की ज़मानत याचिका, 2020 से जेल में हैं

इससे पहले 18 अक्टूबर, 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने उमर की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज की थी. उमर दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में सितंबर 2020 से जेल में हैं. इस केस में अब तक न तो सुनवाई शुरू हुई और न ही आरोप तय हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी अवैध बताई, रिहाई का आदेश

शीर्ष अदालत ने कहा कि यूएपीए मामले में न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी अमान्य है क्योंकि इसमें सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था.

अमर्त्य सेन समेत शिक्षाविदों ने भारत में आलोचकों को बिना मुक़दमे लंबी क़ैद में रखने की आलोचना की

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन सहित अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों ने बड़ी संख्या में लेखकों, पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स को बिना मुक़दमे के लंबे समय तक क़ैद में रखने की आलोचना की और कहा कि ऐसे कारावास को भारतीय संसद द्वारा पारित ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम में संशोधन के माध्यम से विधायी समर्थन दिया गया है.

दिल्ली: प्रेस क्लब समेत कई मीडिया संगठनों ने फोटो जर्नलिस्ट के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई की निंदा की

मंगलवार को दिल्ली के पटेल चौक पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इसी प्रदर्शन की कवरेज के दौरान हिंदुस्तान टाइम्स के फोटो जर्नलिस्ट सलमान अली दिल्ली पुलिस के साथ झड़प में घायल हो गए.

यूपी: अपहृत लड़के की मौत के बाद पुलिस ने आठ आरोपियों के पांव में गोली मारी

बीते हफ्ते यूपी के औरैया के एक जौहरी के बेटे का अपहरण कर लिया गया था, जिसका शव अगले दिन दिल्ली में मिला. अब यूपी पुलिस ने कहा है कि जब वह मामले के आठ आरोपियों को पकड़ने गई तो उन्होंने भागने की कोशिश की, जिसके बाद उसने उन पर गोली चलाई.

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से नमाज़ियों से बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी पर रिपोर्ट तलब की

हाल ही में सामने आए एक वायरल वीडियो में दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर मनोज तोमर को शहर के इंद्रलोक इलाके में मक्की जामा मस्जिद के पास नमाज पढ़ने वालों को लात मारते देखा गया था. इस घटना से उपजे आक्रोश के बीच उन्हें निलंबित कर दिया गया था.

समस्या सड़क पर नमाज़ पढ़ने में नहीं, उसे देखने के तरीके में है

क्या वाकई सड़कों पर सभी प्रकार के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा सकते हैं? तब तो बीस मिनट की नमाज़ से ज़्यादा हिंदुओं के सैकड़ों धार्मिक आयोजन प्रभावित होने लग जाएंगे, जो कई दिनों तक चलते हैं. बैन करने की हूक सड़कों के प्रबंधन बेहतर करने की नहीं है, एक समुदाय के प्रति कुंठा और ज़हर उगलने की ज़िद है.