अमेठी ज़िला बार एसोसिएशन ने अपने महासचिव उमा शंकर मिश्रा के माध्यम से जिला प्रशासन, नगर पालिका परिषद और अमेठी के गौरीगंज पुलिस प्रशासन के ख़िलाफ़ एक जनहित याचिका लगाई थी, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने कथित तौर पर उनका घर तोड़ दिया था.
इस साल फरवरी में सेक्टर-109 की चिंटेल्स पैराडिसो सोसाइटी के एक रिहायशी टावर की छठी मंज़िल की छत गिरने से पहले फ्लोर तक की सभी छतें और फर्श ढह गए थे और हादसे में दो महिलाओं की जान गई थी. इसे गिराने का आदेश देते हुए ज़िला प्रशासन ने कहा कि टावर की संरचनात्मक कमियां ‘मरम्मत से परे’ पाई गई हैं.
ओडिशा के ढिंकिया गांव में जिंदल समूह 65,000 करोड़ की लागत से स्टील प्लांट लगाने जा रहा है. ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि 22 अक्टूबर को कंपनी के कुछ अधिकारियों ने स्थानीय गुंडों और पुलिस की मदद से क़रीब 20 घरों को गिरा दिया. ग्रामीणों का कहना है वे यहां 20 साल से रह रहे हैं.
सूरत नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर और दरगाह दोनों अवैध ढांचे थे और इसलिए इन्हें ढहाए जाने से पहले कोई नोटिस नहीं जारी किया गया था.
गोआलपाड़ा ज़िले के एसपी ने बताया कि उक्त मदरसा और उससे सटे दो मकानों का दो बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा कथित रूप से जिहादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसके विरोध में स्थानीय लोगों ने मदरसा ध्वस्त कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और ज़िला प्रशासन इस घटना में शामिल नहीं हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भाजपा नीत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मदरसों को कथित रूप से निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की है. संगठन ने आरोप लगाया कि आरएसएस से प्रभावित भाजपा की केंद्र और कुछ राज्यों की सरकारें अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुस्लिम समुदाय के प्रति नकारात्मक रुख़ अपना रही हैं.
आतंकी संगठनों के साथ कथित संबंधों को लेकर इस महीने गिराया जाने वाला असम का यह तीसरा मदरसा है. इससे पहले 29 अगस्त को बारपेटा ज़िले में एक मदरसे और 4 अगस्त को मोरीगांव ज़िले में एक मदरसे को प्रशासन द्वारा ढहा दिया गया था.
पटना स्थित सुल्तान पैलेस, 1922 में पटना के प्रसिद्ध बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद द्वारा बनवाया गया था, जिन्होंने पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में भी काम किया था. वह 1923 से 1930 तक पटना विश्वविद्यालय के पहले भारतीय कुलपति भी रहे थे. बिहार सरकार ने इस ऐतिहासिक इमारत को गिराकर उसके स्थान पर पांच सितारा होटल बनाने का फैसला किया, जिसका लोग विरोध कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के शंकर पटखौली और महराजगंज ज़िले के सोहवल गांवों में प्रशासन की तरफ़ से अवैध क़ब्ज़े का आरोप लगाते हुए क़रीब 50 परिवारों को घर छोड़ने और हज़ारों रुपये का जुर्माना भरने को कहा गया है.
झूठ का पहाड़ जब ढहने लगे, क्रूरता के क़िले की दीवार में सेंध लग जाए, रंगे सियार का उतरने लगे रंग, तो सबसे बड़ा सहारा है... बुलडोजर.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद अरशद मदनी समूह ने कहा कि प्रदर्शन हर भारतीय नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन वर्तमान शासकों के पास प्रदर्शन को देखने के दो मापदंड हैं. मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रदर्शन करे तो अक्षम्य अपराध, लेकिन अगर बहुसंख्यक समुदाय के लोग प्रदर्शन करें और सड़कों पर उतरकर हिंसक कृत्य करें तो उन्हें तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज भी नहीं किया जाता है.
अतीत में मुसलमानों को सज़ा देने के लिए क़त्लेआम किया जाता था, भीड़ उन्हें पीट-पीटकर मार डालती थी, उनको निशाना बनाकर हत्याएं होती थीं, वे हिरासतों, फ़र्ज़ी पुलिस मुठभेड़ों में मारे जाते या झूठे आरोपों में क़ैद किए जाते थे. अब उनकी संपत्तियों को बुलडोज़र से ढहा देना इस फेहरिस्त में जुड़ा एक नया हथियार है.
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद, सहारनपुर समेत कई शहरों में बीते 10 जून को भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा और पार्टी से निष्कासित नेता नवीन कुमार जिंदल की पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. यूपी पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनों के सिलसिले में अब तक 357 लोग गिरफ़्तार किया है और कुल 13 एफ़आईआर दर्ज की है.
द वायर के साथ बातचीत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके जस्टिस गोविंद माथुर ने कहा कि जैसा उत्तर प्रदेश में चल रहा है, ऐसा ही चलता रहा तो क़ानून या पुलिस की ज़रूरत ही नहीं रहेगी. जो भी हो रहा है वो मनमाना है.
उत्तर प्रदेश में हाल ही में प्रदर्शनकारियों के कथित 'अवैध निर्माण' को प्रशासन द्वारा तोड़ने की कार्रवाई पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह करते हुए देश के 12 पूर्व न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उन्हें आशा है कि अदालत ऐसे महत्वपूर्ण समय में नागरिकों और संविधान को निराश नहीं करेगी.