जब भाजपा नेताओं ने रिटायर जजों की फ़ौरन नियुक्तियों पर सवाल उठाए थे…

साल 2012 में भाजपा के दिवंगत नेता और पूर्व क़ानून मंत्री अरुण जेटली ने एक कार्यक्रम में सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति के चलन पर सवाल उठाए थे. इसी कार्यक्रम में मौजूद भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद दो सालों (नियुक्ति से पहले) का अंतराल होना चाहिए वरना सरकार अदालतों को प्रभावित कर सकती है और एक स्वतंत्र, निष्पक्ष न्यायपालिका कभी भी वास्तविकता नहीं बन पाएगी.

पूर्व न्यायाधीश जस्टिस नज़ीर की नियुक्ति पर विपक्ष ने कहा- न्यायपालिका की स्वतंत्रता को ख़तरा

जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 2019 के ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे थे. उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. उनसे पहले पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था, जबकि जस्टिस अशोक भूषण को उनकी सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

अयोध्या मामले में निर्णय देने वाली पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस नज़ीर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल होंगे

बीते जनवरी में रिटायर हुए जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के तीसरे ऐसे न्यायाधीश हैं, जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मोदी सरकार द्वारा किसी अन्य पद के लिए नामित किया गया है.