सरकार चालू वित्त वर्ष में हिंदुस्तान ज़िंक में कुछ हिस्सेदारी बेचेगी: दीपम सचिव

केंद्र सरकार के पास इस समय हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड में 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सरकार ने 2002 में इसका 26 प्रतिशत हिस्सा वेदांता समूह को बेच दिया था. वेदांता ने नवंबर 2003 में बाज़ार से 20 प्रतिशत और सरकार से 18.92 प्रतिशत हिस्सा और ख़रीद लिया था. इसके बाद उसकी हिस्सेदारी इसमें बढ़कर 64.92 प्रतिशत हो गई है.

साल 2014 से सरकारी कंपनियों की बिक्री से चार लाख करोड़ रुपये जुटाए गए: केंद्र

वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से विनिवेश और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री से 4.04 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए हैं. सबसे ज़्यादा 1.07 लाख करोड़ रुपये की राशि 59 मामलों में बिक्री पेशकश के ज़रिये जुटाई गई है.

अब देश की जनता को ही सिकुड़ते लोकतंत्र के विरुद्ध खड़ा होना होगा

मोदी सरकार एक ऐसा राज्य स्थापित करने की कोशिश में है जहां जनता सरकार से जवाबदेही न मांगे. नागरिकों के कर्तव्य की सोच को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. मोदी सरकार बिना आपातकाल की औपचारिक घोषणा के ही अधिकारहीन कर्तव्यपालक जनता गढ़ रही है.

सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की दिशा में काम आगे बढ़ा: वित्तीय सेवा विभाग सचिव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की मंशा जताई थी. सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज़ बैंक के निजीकरण की सिफ़ारिश की है.

सरकार ने शिपिंग कॉरपोरेशन की बिक्री की तैयारी की, सितंबर तक बोलियां आमंत्रित करने की संभावना

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर, 2020 में शिपिंग कॉरपोरेशन के रणनीतिक विनिवेश या निजीकरण को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी थी. शिपिंग कॉरपोरेशन का निजीकरण अब चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है. सरकार ने 2022-23 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.

एलआईसी का आईपीओ खुला, कांग्रेस ने शेयर भाव और मूल्यांकन को लेकर सवाल उठाए

खुदरा व संस्थागत निवेशकों के लिए एलआईसी के आईपीओ को खोलते हुए सरकार का लक्ष्य अपने 3.5% शेयर बेचकर 21,000 करोड़ रुपये जुटाना है. वहीं, कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने ऑफरिंग का मूल्य काफी कम रखा है और इसे 30 करोड़ पॉलिसीधारकों के भरोसे की कीमत पर औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है.

कई कोशिशों के बाद केंद्र सरकार ने आख़िरकार पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेची

तीन प्रयासों के बाद केंद्र सरकार ने हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनी पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी एक निजी कंसोर्टियम स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी है. यह विनिवेश बीते 12 महीनों में सरकार की दूसरी बड़ी बिक्री है. इससे पहले सरकार ने एयर इंडिया की हिस्सेदारी टाटा ग्रुप को बेची थी.

आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जारी: शीर्ष अधिकारी

वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय ने बताया कि आईडीबीआई बैंक में बेची जाने वाली हिस्सेदारी की मात्रा प्रचार-प्रसार ख़त्म होने के बाद पता चल जाएगी. फिलहाल आईडीबीआई बैंक का प्रबंधकीय नियंत्रण एलआईसी के पास है. सरकार के पास इस बैंक की 45.48 फ़ीसदी हिस्सेदारी है, जबकि एलआईसी के पास 49.24 फ़ीसदी हिस्सा है.

एलआईसी को बेचने की जल्दी में क्यों है केंद्र सरकार

वैश्विक बाजार स्थिति के चलते जहां कई अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है, वहीं भारतीय जीवन बीमा निगम के साथ ऐसा नहीं हुआ है. क्या आम भारतीयों के लिए प्रमुख बचत का ज़रिया रहे एलआईसी को इस तरह आनन-फानन बेचा जाना चाहिए?

बैंक निजीकरण और क्रिप्टो विनियमन विधेयक के संसद में पेश न होने की क्या वजह है

सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी विनियमन और बैंक निजीकरण पर प्रमुख वित्तीय क्षेत्र के विधेयकों को इसलिए भी स्थगित कर दिया है कि बाज़ार परिदृश्य को क़ानून लाने के लिए अनुकूल नहीं देखा जा रहा है. इसके अलावा कोरोना महामारी के आर्थिक प्रभाव और ओमीक्रॉन स्वरूप के बढ़ते ख़तरे भी महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्होंने वित्तीय क्षेत्र के विधेयकों को स्थगित करने के सरकार के निर्णय को प्रभावित किया है.

अमेज़ॉन पर हमला और राष्ट्रीय मौद्रिकरण पर चुप्पी संघ परिवार के अंतर्विरोध को उजागर करती है

अगर महज़ दो फीसदी बाज़ार हिस्सेदारी वाले अमेज़ॉन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 कहा जा सकता है, तो फिर केंद्र सरकार को क्या कहा जाए जो एक तरफ सरकारी एकाधिकार रहे जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की बिक्री के लिए विदेशी पूंजी को दावत दे रही है, दूसरी तरफ ऊर्जा और रेलवे जैसे रणनीतिक क्षेत्र में थोक भाव से निजीकरण को बढ़ावा दे रही है?

मोदी सरकार को मौद्रिकरण योजना का लाभ कुछ ही कॉरपोरेट समूहों को मिलने की स्थिति से बचना होगा

बैंक फंडों तक पहुंच वाले संभवतः चार या पांच कॉरपोरेट समूह ही हवाई अड्डों, बंदरगाहों, कोयला खदानों, गैस पाइपलाइनों और बिजली उत्पादन परियोजनाओं के दीर्घावधिक लीज़ के लिए बोली लगाएंगे. ऐसे में कहने के लिए भले ही स्वामित्व सरकार के पास रहे, पर ये सार्वजनिक संपत्तियां कुछ चुनिंदा कॉरपोरेट समूहों की झोली में चली जाएंगी, जो पहले ही एक सीमा तक एकाधिकार की स्थिति में हैं.

विधानसभा चुनाव: टीएमसी का चुनावी अभियान बंगाल के लोगों की उम्मीदों के ठीक उलट है

दस सालों से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज़ तृणमूल कांग्रेस का चुनावी अभियान राज्य के सबसे ज्वलंत मुद्दों से बेख़बर है. इसके बजाय पार्टी का प्रयास भाजपा की ही तरह विभाजन पैदा करना नज़र आता है.

2020-21 में सरकारी उपक्रमों में हिस्सेदारी बेचकर सरकार ने 32,835 करोड़ रुपये जुटाए

अगले वित्त वर्ष में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी का आईपीओ लाने की सरकार की योजना है. इसके अलावा एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल, एनआईएनल और शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण की प्रक्रिया भी दूसरे चरण में पहुंच गई है. इन उपक्रमों के लिए सरकार को कई रुचि पत्र मिले हैं.

सरकारी कंपनियों के विनिवेश के बाद निजी क्षेत्र को आरक्षण लागू नहीं करना होगा: रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र का मानना है कि सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के बाद नौकरी में आरक्षण लागू करने की न तो जरूरत है और न ही यह क़ानूनी रूप से संभव है. हालांकि सरकार ने कहा है कि वे इन कंपनियों में एससी, एसटी, ओबीसी समेत पूर्ववर्ती कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.