जयंती विशेष: 19वीं सदी के उत्तरार्ध में महिला अधिकारों की स्थिति कहीं बदतर थी. ऐसे में ख़ुद बाल विवाह का शिकार हुईं बॉम्बे की रखमाबाई ने इस विवाह के विरुद्ध अपनी पूरी शक्ति से मुखर हुईं, तो पितृसत्ता व पुनरुत्थान के सारे पैरोकार तिलमिलाहट से भरकर उनके विरुद्ध हमलावर हो उठे थे.
भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता विधेयक को लेकर विपक्षी कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने कांग्रेसी विधायकों को प्रावधानों का अध्ययन या समीक्षा करने का समय दिए बिना ही विधेयक पेश कर दिया और वह बिना बहस के क़ानून पारित करना चाहती है.
झारखंड हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद में गुज़ारा-भत्ता राशि में संशोधन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एक संतुलन बनाने पर ज़ोर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पत्नी को दिया जाने वाला गुज़ारा भत्ता बहुत अधिक न हो, जिससे पति को कठिनाई हो, न ही कम हो, जो पत्नी को ग़रीबी में धकेल दे.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पुलिस कॉन्स्टेबल को अपनी तलाक़शुदा पत्नी को प्रति माह छह हज़ार रुपये का गुज़ारा भत्ता देने का निर्देश देते हुए कहा कि पति होने के नाते याचिकाकर्ता पर अपनी पत्नी के भरण-पोषण की व्यवस्था करने का वैधानिक दायित्व है.
मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा कि एक मुस्लिम महिला के पास यह विकल्प है कि वह ‘खुला’ के ज़रिये शादी को समाप्त करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल परिवार अदालत में कर सकती है और जमात के कुछ सदस्यों की एक स्वघोषित संस्था को ऐसे मामलों के निपटारे का कोई अधिकार नहीं है.
केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आज फैमिली कोर्ट युद्ध का मैदान बन गए हैं, जो तलाक़ की मांग करने वाले पक्षों की पीड़ा बढ़ा रहे हैं. अदालत ने तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत एक वर्ष की अलगाव की न्यूनतम अवधि के निर्धारण को चुनौती देने वाली एक याचिका पर अपने फैसले में टिप्पणी की कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
केंद्र सरकार ने राज्यसभा में इस बात से इनकार किया कि वह देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कोई समिति गठित करने पर विचार कर रही है. समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी वादों में प्रमुख रहा है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि समान नागरिक संहिता का दायरा विवाह-तलाक़, ज़मीन-जायदाद, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान क़ानून लागू करने का होगा, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों.
अदालत ने फैमिली कोर्ट के तलाक़ की मंज़ूरी देने के को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की दो अपीलें ख़ारिज करते हुए कहा कि पत्नी के शरीर को अपनी संपत्ति मानना और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना और कुछ नहीं बल्कि वैवाहिक बलात्कार है.
उच्चतम न्यायालय ने एक सैन्य अधिकारी को उसकी पत्नी से तलाक़ की मंज़ूरी दे दी. सैन्य अधिकारी ने एक सरकारी कॉलेज में शिक्षक पत्नी पर मानसिक क्रूरता का आरोप लगाकर तलाक मांगा था. दोनों की शादी 2006 में हुई थी. वे कुछ महीने तक साथ रहे, लेकिन शादी की शुरुआत से ही उनके बीच मतभेद उत्पन्न हो गए और वे 2007 से अलग रहने लगे थे.
एक तलाक याचिका की सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की. हालांकि, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वित्तीय स्वतंत्रता और शिक्षा के साथ एक महिला को यह जानना चाहिए कि उसे परिवार के साथ कैसे पेश आना है और शादी टूटने का कारण नहीं बनना चाहिए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में हिंदू समाज का कोई विकल्प नहीं है और हिंदू समाज के पास एक परिवार की तरह व्यवहार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
पिछली जनगणना के अनुसार देश में 20 लाख से ज़्यादा महिलाएं अपने पति से अलग रहती हैं, जिन्हें छोड़ा गया है. ऐसा क़ानून आना चाहिए जिससे न केवल मुस्लिम बल्कि इस तरह पत्नियों को छोड़ देने वाले सभी पतियों को सज़ा मिल सके.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक संबंध टूटने के बाद भी महिला अपने पूर्व पति के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है.