डीयू के दौलतराम कॉलेज की एक एडहॉक शिक्षक डॉक्टर ऋतु सिंह को अगस्त 2020 में अचानक नौकरी से निकाल दिया गया था. उनका दावा है कि इसकी वजह जातिगत भेदभाव है, जिसे लेकर वे कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय के ख़िलाफ़ अगस्त 2023 से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं.
रघुवीर सहाय ने बहुत पहले लिखा था इस देश में स्वाधीन दिमाग़ से लोग डरते हैं. वह अब नियम है.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने 29 जून (ईद-उल-जुहा) को कार्य दिवस के रूप में चिह्नित किया है क्योंकि डीयू के शताब्दी समारोह का समापन कार्यक्रम 30 जून को होना है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि हैं. डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने इस क़दम को ‘बेहद सांप्रदायिक’ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.
देश के महाविद्यालयों, कॉलेजों में पढ़ाने का क्या एकमात्र रास्ता जुगाड़ रह गया है?
कुछ वक़्त पहले तक कहा जा रहा था कि विश्वविद्यालयों को राष्ट्रवादी भावना का प्रसार करना है. उस दौर में परिसर में राष्ट्रध्वज लगाना और वीरता दीवार बनाना ज़रूरी था. अब राष्ट्रवाद का चोला उतार फेंका गया है और बिना संकोच के हिंदुत्व का प्रचार किया जा रहा है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के अध्यापक समरवीर सिंह की आत्महत्या से उस गहरी बीमारी का पता चलता है जो दिल्ली विश्वविद्यालय को, उसके कॉलेजों को बरसों से खोखला कर रही है; कि स्थायी नियुक्ति का आधार योग्यता नहीं, भाग्य और सही जगह पहुंच है.
शिक्षा मंत्रालय ने योगेश त्यागी पर अवकाश पर रहते हुए विश्वविद्यालय में नियमों का उल्लंघन कर नियुक्तियां करने के आरोप में जांच करने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति मांगी थी, जो स्वीकार कर ली गई है.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने घरेलू परीक्षाओं को 'ओपन बुक एग्जाम' मोड में लेने के निर्देश दिए हैं, जिसके लिए तकनीकी संसाधन अनिवार्य हैं. लेकिन असमान वर्गों से आने वाले छात्रों के पास ये संसाधन हैं, यह कैसे सुनिश्चित किया गया? अगर विश्वविद्यालय ने उन्हें दाखिले के समय लैपटॉप या स्मार्ट फोन मुहैया नहीं करवाया तो वह इनके आधार पर परीक्षा लेने की बात कैसे कर सकता है?
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि कुलपति योगेश त्यागी ने यूनिवर्सिटी के स्टाफ द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के लिए दिए गए करीब चार करोड़ रुपये बिना किसी की सलाह के पीएम केयर्स फंड में ट्रांसफर किए हैं.