केंद्र सरकार ने लगातार जारी विरोध के बाद झारखंड में जैन समुदाय के धार्मिक स्थल सम्मेद शिखरजी से संबंधित पारसनाथ पहाड़ी पर सभी प्रकार की पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी है. हालांकि अब आदिवासी संगठनों ने पारसनाथ पहाड़ी को पहाड़ी देवता या शक्ति का सर्वोच्च स्रोत क़रार देते हुए जैन समुदाय से इसे मुक्त करने की मांग की है. मांगों पर ध्यान न देने पर विद्रोह की चेतावनी दी गई है.
बीते कुछ दिनों से जैन समुदाय के लोग देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके प्रदर्शनों के केंद्र में झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पारसनाथ पहाड़ी पर बना जैन तीर्थ स्थल 'सम्मेद शिखर' और गुजरात के भावनगर ज़िले में शत्रुंजय पहाड़ी पर बना एक जैन मंदिर है.
गुजरात के नर्मदा ज़िले के केवड़िया स्थित गोरा गांव की सरपंच के मुताबिक, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास स्थित एक अभयारण्य के आसपास के 121 गांवों को ईको सेंसेटिव ज़ोन में शामिल करने की योजना है. यहां की ज़मीनों का राज्य सरकार को सहमालिक बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसके लिए गांववालों से सहमति नहीं ली गई है.