देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे जैन समुदाय के प्रदर्शनों की वजह क्या है?

बीते कुछ दिनों से जैन समुदाय के लोग देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके प्रदर्शनों के केंद्र में झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पारसनाथ पहाड़ी पर बना जैन तीर्थ स्थल 'सम्मेद शिखर' और गुजरात के भावनगर ज़िले में शत्रुंजय पहाड़ी पर बना एक जैन मंदिर है.

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अहमदाबाद में जैन समुदाय के लोगों का एक प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

बीते कुछ दिनों से जैन समुदाय के लोग देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके प्रदर्शनों के केंद्र में झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पारसनाथ पहाड़ी पर बना जैन तीर्थ स्थल ‘सम्मेद शिखर’ और गुजरात के भावनगर ज़िले में शत्रुंजय पहाड़ी पर बना एक जैन मंदिर है.

झारखंड स्थित सम्मेद शिखर जी. (फोटो साभार: steemit dot com)

नई दिल्ली: जैन समुदाय के सदस्य पिछले दो हफ्तों से अपने दो पवित्र स्थलों- झारखंड में पारसनाथ पहाड़ी पर सम्मेद शिखर और गुजरात के पालीताना में शत्रुंजय पहाड़ी- से संबंधित मांगों को लेकर गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, झारखंड में मुद्दा पारसनाथ पहाड़ी को एक पर्यटन स्थल और एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किए जाने को लेकर है, जबकि गुजरात में विवाद एक मंदिर में तोड़फोड़ और संबंधित सुरक्षा चिंताओं को लेकर है.

झारखंड विवाद

सम्मेद शिखर एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ है, जिसके बारे में माना जाता है कि वहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया था. यह पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है.

फरवरी 2019 में झारखंड सरकार ने गिरिडीह जिले के पारसनाथ क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में अधिसूचित किया था. उसी साल अगस्त में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पहाड़ी को ‘पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र’ घोषित किया था और कहा था कि इस क्षेत्र में ‘ईको-टूरिज्म’ की जबरदस्त क्षमता है.

हालिया विरोध प्रदर्शनों के बीच गिरिडीह जिला प्रशासन का कहना है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान कोई विरोध नहीं हुआ. उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि झारखंड में वर्तमान में भी कोई विरोध प्रदर्शन नहीं देखा गया है.

‘शिखरजी’ के प्रवक्ता ब्रह्मचारी तरुण भैयाजी का कहना है कि उन्हें सरकारी अधिसूचना के बारे में हाल ही में पता लगा है.

उनका कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार ने पहाड़ी को पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र और पर्यटन स्थल घोषित करते समय मुख्य हितधारक जैन समुदाय के लोगों से परामर्श नहीं किया था. उन्हें अधिसूचना के बारे में तीन सालों से अधिक समय बीतने के बाद दिसंबर 2022 में तब पता चला जब किसी ने इसके बारे में पढ़ा.

उनका कहना, ‘पर्यटक के रूप में आने वाला व्यक्ति मौज-मस्ती करता है, जो हम नहीं चाहते हैं. हम चाहते हैं कि इस स्थान की मर्यादा बनी रहे. किसी भी समुदाय के लोग तब तक आ सकते हैं जब तक वे हमारे द्वारा अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों का पालन करते हैं.’

उनका कहना है कि पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने से इसलिए समस्या है क्योंकि फिर पॉल्ट्री फार्म आदि के जरिये स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाएगा, जो हम अपने पवित्र स्थल पर होने देना नहीं चाहते हैं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले कहा था कि वे इस मामले को देख रहे हैं और अधिसूचना भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान जारी की गई थी.

गौरतलब है कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने फैसले के खिलाफ ‘अनशन’ कर रहे एक जैन मुनि का मंगलवार को जयपुर में निधन हो गया.

फैसले के खिलाफ जयपुर में शांति मार्च में भाग लेने के बाद सुज्ञेयसागर महाराज (72) शहर के सांगानेर इलाके में संघीजी मंदिर में अनशन पर बैठ गए थे. मालपुरा गेट पुलिस थाने के थानाधिकारी सतीश चंद ने बताया कि वह ‘व्रत’ पर थे और 25 दिसंबर के बाद से उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था. उनका बुधवार सुबह निधन हो गया.

इस बीच, खबर है कि ‘श्री सम्मेद शिखरजी ‘ को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के खिलाफ आए प्रतिवेदनों पर अल्पसंख्यक आयोग आगामी 17 जनवरी को सुनवाई करेगा. उसने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव तथा झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को तलब किया है.

आयोग की विज्ञप्ति के अनुसार, जैन समुदाय की तरफ से आयोग के समक्ष कई प्रतिवेदन आए हैं. अल्पसंख्यक आयोग ने इन प्रतिवेदनों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के इस इस निर्णय से पूरे देश के जैन समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.

आयोग पहले ही राज्य सरकार से जैन समुदाय के लोगों की मांग पर विचार करने का आग्रह कर चुका है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि जैन समुदाय से जुड़े इस मुद्दे का समाधान करने के लिए आयोग 17 जनवरी को प्रतिवेदनों पर सुनवाई करेगा.

आयोग के अध्यक्ष इक़बाल सिंह लालपुरा ने दिल्ली के कड़कड़डूमा स्थित जैन मंदिर का दौरा भी किया, जहां कुछ लोग ‘श्री सम्मेद शिखरजी ‘ से जुड़े मामले को लेकर अनशन कर रहे हैं.

अहमदाबाद में जैन समुदाय के लोगों का एक प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

गुजरात विवाद

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुजरात में विवाद की शुरुआत दिसंबर माह के शुरुआती दिनों में हुई, जब श्वेतांबर जैनों के एक संगठन सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढ़ी (एसएकेपी) के सुरक्षा प्रबंधक ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई कि किसी ने ‘आदिनाथ दादा का पागला’ (पहले जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के पांव की संगमरमर की नक्काशी) को 26-27 नवंबर की दरमियानी रात तोड़ दिया. यह जैनों द्वारा पवित्र मानी जाने वाली शत्रुंजय पहाड़ी के समीप रोहिशाला गांव में एक छोटे से मंदिर में रखा है.

23 दिसंबर को पुलिस ने रोहिशाला के एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद मामले को सुलझाने का दावा किया था. पुलिस ने कहा कि व्यक्ति मंदिर में चोरी के इरादे से घुसा था, लेकिन जब उसे कुछ भी कीमती सामान नहीं मिला तो उसने खीझकर पत्थर मारकर पागला तोड़ दिया.

जब पुलिस तोड़फोड़ के मामले की जांच कर रही थी, इस बीच शत्रुंज्य पहाड़ी से जुड़ा एक और मामला सामने आ गया, जिसमें एक स्थानीय हिंदू धर्मगुरु स्वामी शरणानंद और एसएकेपी के बीच शत्रुंजय पहाड़ी के ऊपर नीलकंठ महादेव मंदिर के परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर विवाद छिड़ गया.

शरणानंद ने दावा किया कि एसएकेपी हिंदू मंदिर में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा सकता है. 15 दिसंबर को मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरों के लिए लगाए गए खंभे हटा दिए गए. नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी के वेतन का भुगतान कर रहे एसएकेपी ने इसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

जैन प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शत्रुंजय पहाड़ी और उसके आसपास के क्षेत्र को संरक्षित किया जाए ताकि उसकी पवित्रता बनी रहे. वे तोड़फोड़ मामले में आगे की जांच भी चाहते हैं.

शत्रुंजय महातीर्थ रक्षा समिति के प्रवक्ता अभय शाह ने कहा, ‘पुलिस का दावा है कि उसने तोड़-फोड़ के मामले को सुलझा लिया है और मकसद चोरी था, लेकिन यह हमें आश्वस्त करने वाला नहीं लगता है. ‘

पुलिस का दावा है कि उसने तोड़-फोड़ के मामले को सुलझा लिया है, यह कहते हुए कि मकसद चोरी था, लेकिन यह हमें आश्वस्त करने वाला नहीं लगता. हताशा में कोई (मूर्ति के) पैर ही क्यों तोड़ेगा? हम मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने की मांग करते हैं.’

शाह के मुताबिक, वे शत्रुंजय पहाड़ी के आसपास अवैध खनन और जमीन हड़पने पर भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

अहमदाबाद में एक जैन ट्रस्ट के सचिव का कहना है कि पिछले साल 26 नवंबर को तोड़फोड़ किए जाने के बाद से समुदाय के सदस्यों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में 85 से अधिक रैलियां निकाली हैं. उन्होंने कहा कि समुदाय ने जिलाधिकारी कार्यालय में मांगों की सूची के साथ एक ज्ञापन भी सौंपा.

अहमदाबाद शहर के समग्र जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपगछ श्री महासंघ के सचिव प्रणव शाह ने कहा कि सभी मांगें अवैध गतिविधियों से संबंधित हैं और राज्य सरकार को उनसे निपटने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि समुदाय पहाड़ियों पर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है.

शाह ने कहा कि सड़कों के किनारे लगे ठेले और दुकानों को भी हटा दिया जाना चाहिए और इलाके में बने नकली शराब के अड्डों को बंद करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘पहाड़ियों में खनन और जमीन हड़पने जैसी सभी अवैध गतिविधियों को रोका जाना चाहिए और अवैध निर्माण को हटाने के लिए पहाड़ियों की मैपिंग की जानी चाहिए – ये हमारी मुख्य मांगें हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमने प्रशासन के सहयोग से पालीताना और आसपास के क्षेत्रों के विकास का एक खाका तैयार किया है. पूरे भारत का जैन समुदाय इस दिशा में काम कर सकता है.’

इस बीच, गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने मंगलवार को कहा कि भावनगर जिले के शत्रुंजय हिल्स क्षेत्र में कथित अवैध गतिविधियों के संबंध में जैन समुदाय की शिकायतों से निपटने के लिए राज्य सरकार एक कार्यबल का गठन करेगी.

संघवी ने सूरत में संवाददाताओं से कहा, ‘मुख्यमंत्री (भूपेंद्र पटेल) ने एक कार्यबल बनाने का फैसला किया, जो मुद्दों का गहन अध्ययन करने के बाद कार्रवाई करेगा.’ मंत्री ने बताया कि शत्रुंजय हिल्स में एक पुलिस चौकी स्थापित की जाएगी और एक पुलिस उप-निरीक्षक वहां प्रभारी होगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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