वित्त आयोग ने जीएसटी परिषद को एक या दो दरें रखने का सुझाव दिया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 37वीं बैठक में 15वं वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने परिषद को जीएसटी के तहत चार से अधिक दरें रखे जाने के बजाय एक या ज्यादा से ज्यादा दो दरें रखने पर विचार करने का सुझाव दिया.

सांसों की तरह अर्थव्यवस्था भी ऊपर-नीचे होती रहती हैः उमा भारती

देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा कि जहां तक मंदी के दौर की बात है, ये सांसों के आरोह और अवरोह की तरह होता है. सांस नीचे-ऊपर होती है लेकिन शरीर पूरा चल रहा होता है.

कपड़ा उद्योग में हो रही छंटनी की वजह क्या है?

वीडियो: अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आई मंदी के बीच रोज़गार को लेकर सवाल उठ रहे हैं. हरियाणा के उद्योग विहार फेज़-1 के कपड़ा उद्योग में काम करने वाले मज़दूरों का कहना है कि मांग और निर्माण में आई कमी के चलते उनकी नौकरियां गई हैं.

भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से काफी कमज़ोर: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की आर्थिक वृद्धि दर सात साल के न्यूनतम स्तर पर है. अप्रैल से जून तिमाही में यह सात साल के निचले स्तर 5 फीसदी आ गई है, जो बीते साल की इसी अवधि में 8 फीसदी थी.

अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए दुष्प्रचार नहीं, ठोस नीति की ज़रूरत: राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि इस समय दुष्प्रचार, मनगढ़ंत ख़बरों और युवाओं के बारे में मूर्खतापूर्ण बातें करने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि भारत को एक ठोस नीति की ज़रूरत है ताकि अर्थव्यवस्था की स्थिति को ठीक किया जा सके.

मीडिया बोल: मंदी के दौर में सत्ता का मोदी मंत्र कब तक?

वीडियो: मीडिया बोल के इस अंक में भारतीय अर्थव्यवस्था के गिरते स्तर पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश आर्थिक मामलों की विशेषज्ञ पत्रकार पूजा मेहरा, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की छात्रा आकृति भाटिया और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रहे हैं.

बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी ने कहा, सावन-भादो के महीने में हर साल रहती है मंदी

बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील मोदी ने कहा कि वैसे तो हर साल सावन-भादो में मंदी रहती है, लेकिन इस बार मंदी का ज्यादा शोर मचा कर कुछ लोग चुनावी पराजय की खीझ उतार रहे हैं.

भारत का संप्रभु बॉन्ड से पैसा जुटाने का फैसला काफी जोख़िम भरा है

अगर केंद्र की मोदी सरकार को विदेशों से डॉलर में क़र्ज़ लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है तो इसके पीछे पिछले पांच वर्षों के दौरान पनपने वाले आर्थिक संकट का हाथ है.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने जीडीपी पर अरविंद सुब्रमण्यम के दावे को ख़ारिज किया

देश के पूर्व मुख्य आर्थ‍िक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा था कि साल 2011-12 से 2016-17 के दौरान देश के जीडीपी आंकड़े को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया. इस दौरान जीडीपी सात फीसदी नहीं, बल्कि 4.5 फीसदी बढ़ी है.

2011-12 से 2016-17 के बीच में जीडीपी 7 फीसदी नहीं, बल्कि 4.5 फीसदी दर से बढ़ी: अरविंद सुब्रमण्यम

देश के पूर्व मुख्य आर्थ‍िक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है कि साल 2011-12 से 2016-17 के दौरान देश के जीडीपी आंकड़े को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया. इस दौरान जीडीपी सात फीसदी नहीं, बल्कि 4.5 फीसदी की दर से बढ़ी है.

अर्थव्यवस्था में जान फूंकना मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी

देश की कमज़ोर अर्थव्यवस्था के बीच प्रचंड जनादेश हासिल करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष कई बड़ी आर्थिक चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं.

बीते दस सालों में सात लाख करोड़ का क़र्ज़ बट्टे खाते में डाला गया, 80% मोदी सरकार में हुआ

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दस सालों में सात लाख करोड़ से ज़्यादा का बैड लोन राइट ऑफ हुआ यानी न चुकाए गए क़र्ज़ को बट्टे खाते में डाला गया, जिसका 80 फीसदी जो लगभग 5,55,603 करोड़ रुपये है, बीते पांच सालों में बट्टे खाते में डाला गया.

आर्थिक असमानता लोगों को मजबूर कर रही है कि वे बीमार तो हों पर इलाज न करा पाएं

सबसे ग़रीब तबकों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण के स्तर को देखते हुए यह समझ लेना होगा कि लोक सेवाओं और अधिकारों के संरक्षण के बिना न तो ग़ैर-बराबरी ख़त्म की जा सकेगी, न ही भुखमरी, कुपोषण और बाल मृत्यु को सीमित करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा.

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