पिछले कुछ समय में नूर ने अपनी रिपोर्ट्स से देश के ऊर्जा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया था. इन्हीं में से एक रिपोर्ट पर देश के बड़े कॉरपोरेट घराने द्वारा मानहानि का मुकदमा भी किया गया है.
कृषि मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी की वजह से किसानों को खाद और बीज खरीदने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा था.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बहुत सारे निर्णयों के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की सहमति लेनी होती है. भारत एक केंद्र से काम नहीं कर सकता है. भारत तब काम करता है जब कई लोग मिलकर बोझ उठा रहे हों.
आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने कहा कि देश की वृद्धि दर ऐसे समय में गिरने लगी जब वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर गति पकड़ रही थी. मौजूदा आर्थिक वृद्धि दर संतोषजनक नहीं है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी का लक्ष्य सरकार द्वारा नकदी को ज़ब्त करना नहीं, संगठित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना और करदाताओं की संख्या बढ़ाना था. पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी से पहले का अपना बयान याद करें जेटली.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी लागू करते समय बताया था कि इससे काला धन और नकली नोट ख़त्म हो जाएंगे. हालांकि आरबीआई के निदेशकों ने इस तर्क को ख़ारिज कर दिया था.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उस समय चलने वाले 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का परिणाम यह हुआ कि गरीबों के लिए अधिक संसाधन मिले, बुनियादी ढांचा बेहतर हुआ और नागरिकों का जीवन स्तर भी बेहतर हुआ है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में त्रुटिपूर्ण ढंग से और सही तरीके से विचार किए बिना नोटबंदी का कदम उठाया था. छोटे और मंझोले कारोबार भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं जिसे नोटबंदी ने पूरी तरह से तोड़ दिया.
जन गण मन की बात की 305वीं कड़ी में विनोद दुआ संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया भाषण, इसके राजनीतिक महत्व और देश की अर्थव्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने रिजर्व बैंक से आरटीआई के तहत नोटबंदी से संबंधित बैंक अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों, विभिन्न खातों में जमा धन और लोगों द्वारा आदान-प्रदान की गई मुद्रा की कुल मात्रा के बारे में जानकारी मांगी थी.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा न कि नोटबंदी से.
सरकार में हर कोई दूसरा टॉपिक खोजने में लगा है जिस पर बोल सकें ताकि रुपये और पेट्रोल पर बोलने की नौबत न आए. जनता भी चुप है. यह चुप्पी डरी हुई जनता का प्रमाण है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, मार्च 2017 तक लोन न चुकाने का मार्जिन 8,249 करोड़ था जो मार्च 2018 तक बढ़कर 16,111 करोड़ रुपये हो गया.
कांग्रेस अध्यक्ष ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री ने 15-20 पूंजीपतियों के लिए नोटबंदी की थी. यह ग़लती नहीं बल्कि छोटे उद्योगों और छोटे व्यापारियों पर हमला था.
वर्तमान समय में संस्थाएं गोल हासिल करने वाली वाली कंपनी और व्यक्ति, टारगेट हासिल करने वाला एजेंट बनकर रह गया है.