आर्थिक उदारीकरण के 30 साल पूरे होने पर मनमोहन सिंह ने कहा, आगे का रास्ता 1991 से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 के ऐतिहासिक बजट के 30 साल पूरा होने के मौके पर कहा कि पिछले तीन दशकों में हमारे देश ने शानदार आर्थिक प्रगति की, परंतु वह कोविड-19 के कारण हुई तबाही और करोड़ों नौकरियां जाने से बहुत दुखी हैं. मनमोहन सिंह 1991 में नरसिंह राव की अगुवाई में बनी सरकार में वित्त मंत्री थे और 24 जुलाई, 1991 को अपना पहला बजट पेश किया था. इस बजट को देश में आर्थिक उदारीकरण की बुनियाद

करेंसी छापकर राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण न करे रिज़र्व बैंक: अर्थशास्त्री पिनाकी चक्रवर्ती

हाल के समय में विभिन्न हलकों से यह मांग की जा रही है कि भारतीय रिज़र्व बैंक को करेंसी की छपाई कर राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण करना चाहिए. रिज़र्व बैंक द्वारा राजकोषीय घाटे के मौद्रिकरण का आशय यह है कि केंद्रीय बैंक सरकार के किसी आपात ख़र्च को पूरा करने के लिए करेंसी छापे और राजकोषीय घाटे को पूरा करे. पिनाकी चक्रवर्ती ने उम्मीद जताई कि कोरोना वायरस की यदि कोई बड़ी तीसरी लहर नहीं होती है, तो भारत का

गुजरात: एक साल में राष्ट्रीयकृत बैंकों की 278 शाखाएं कम हुईं, निजी बैंकों की शाखाओं में बढ़ोतरी

गुजरात राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा संचालित 5,257 शाखाओं की तुलना में 2020-21 में यह संख्या घटकर 4,979 हो गई ​है. दूसरी ओर निजी बैंकों की शाखाओं में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मार्च 2021 के अंत में 116 शाखाओं के जुड़ने के बाद इनकी शाखाओं की संख्या बढ़कर 2,225 हो गई है.

भारत सरकार के भ्रम के कारण कोविड-19 संकट पैदा हुआ: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि भारत सरकार ने भ्रम में रहते हुए कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए काम करने के बजाय अपने कामों का श्रेय लेने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि श्रेय पाने की कोशिश करना और श्रेय पाने वाला अच्छा काम न करना बौद्धिक नादानी का एक स्तर दिखाता है, जिससे बचना चाहिए. भारत ने यही करने की कोशिश की.

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से एक करोड़ लोग हुए बेरोज़गार: सीएमआईई

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आकलन के अनुसार, बेरोज़गारी दर मई में 12 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 8 प्रतिशत थी. यानी इस दौरान क़रीब एक करोड़ भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसका मुख्य कारण कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर है.

स्वतंत्रता के बाद कोविड-19 देश की शायद सबसे बड़ी चुनौती: रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के कहा कि महामारी के बाद यदि हम समाज के बारे में गंभीरता से सवाल नहीं उठाते हैं तो यह महामारी जितनी ही बड़ी त्रासदी होगी. उन्होंने कहा कि महामारी के चलते भारत के लिए यह त्रासदी भरा समय है और इस महामारी का एक प्रभाव यह है कि कई जगहों पर विभिन्न कारणों के चलते सरकार लोगों की मदद के लिए मौजूद नहीं थी.

नया सामाजिक सुरक्षा क़ानून मज़दूरों के हक़ में कितना हितकारी होगा

सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.

सरकार ने आईडीबीआई बैंक के निजीकरण को दी मंज़ूरी, कर्मचारी संघ ने किया विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंज़ूरी दे दी. इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कुल हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से ज़्यादा है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने इसका विरोध करते हुए कहा कि बैंक इसलिए मुश्किलों में आया, क्योंकि कुछ कॉरपोरेट घरानों ने उसके ऋण वापस न कर धोखाधड़ी की.

2021 में भारत की वार्षिक जीडीपी 2019 से कम रहने के आसार: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2021-22 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि चालू वित्त वर्ष (2020-21) में महामारी और सामान्य कारोबारी गतिविधियों पर उसके प्रभाव के कारण इसमें 7.7 प्रतिशत से अधिक गिरावट का अनुमान है.

सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है: आरबीआई गवर्नर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को 2021-22 का बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव किया था. रिज़र्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने भरोसा जताया कि कोरोना वायरस संक्रमण की नई लहर से आर्थिक वृद्धि में सुधार की रफ़्तार प्रभावित नहीं होगी.

बैंक यारी-दोस्ती में कर्ज़ न बांटें, उच्च गुणवत्ता मानकों पर ध्यान दें: मुख्य आर्थिक सलाहकार

फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमणियन ने कहा कि 1990 के शुरुआती वर्षों में बैंकिंग को कमज़ोर गुणवत्ता के कर्ज़ देने की समस्या से जूझना पड़ा. ख़ासतौर पर बड़ी राशि के कर्ज़ गुणवत्ता मानकों का पालन किए बिना पूंजीवादी मित्रों को दिए गए, जिससे समस्या बढ़ गई.

वर्ष 2020-21 के नौ महीनों में बैंकों ने 1.15 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाला: सरकार

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19, और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान क्रमश: 2.36 लाख करोड़ रुपये और 2.34 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है. ऐसे ऋण जिसकी वसूली नहीं हो पाती है, बैंक उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं.

सरकार के बिना सोच-विचार के लिए गए फ़ैसले के चलते देश में बेरोज़गारी चरम पर: मनमोहन सिंह

केरल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर दृष्टिपत्र पेश करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि संघवाद और राज्यों के साथ नियमित परामर्श भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति का आधार स्तंभ है, जो संविधान में निहित है, पर मौजूदा केंद्र सरकार ने इससे मुंह मोड़ लिया है.

निजीकरण के लिए बैंक ऑफ इंडिया समेत चार बैंकों का चयन: रिपोर्ट

सरकार ने निजीकरण के लिए जिन चार बैंकों का चयन किया गया है वे बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया हैं. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है.

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