घटना चंपावत ज़िले के सुखीढांग के एक सरकारी स्कूल की है, जहां 66 छात्रों में से 40 ने इस महीने की शुरुआत में नियुक्त एक दलित महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था. काम से हटाए जाने के बाद महिला ने उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराते हुए आपत्ति जताने वाले छात्रों के माता-पिता के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है.
इससे पहले डीयू के कुलपति योगेश सिंह द्वारा गठित एक समिति ने सिफ़ारिश की थी कि एडमिशन प्रक्रिया में पर्याप्त निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित करनी चाहिए. केरल बोर्ड के छात्रों को शत-प्रतिशत अंक मिलने के कारण बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय में उनके दाख़िले की तादाद बढ़ गई है.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स और नेटवर्क ऑफ वूमेन इन मीडिया इन इंडिया द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट उन महिला पत्रकारों पर केंद्रित है, जो अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में रह रही हैं और जो बाहर हैं, जिनकी आजीविका को तालिबान के आने के चलते भारी झटका लगा है.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा 20 साल में पहली बार स्कूल की ड्रेस में बदलाव किया गया था. 2017 में भाजपा ने सरकारी स्कूलों के यूनिफॉर्म का रंग बदला था और कांग्रेस ने उस समय इस पर भगवा होने का आरोप लगाया था. नया यूनिफॉर्म ‘सर्फ ब्लू’ और ‘डार्क ग्रे’ रंग का होगा.
वीडियो: नरेंद्र मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी, लेकिन कोरोना वायरस के दौरान उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के अजगैन गांव के एक स्कूल में ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा का लाभ बच्चे नहीं उठा सके. यह स्कूल राज्य की राजधानी लखनऊ से महज 47 किमी. दूर है, जहां किसी भी बच्चे के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट नहीं है. इतना ही नहीं मिड-डे मील बनाने वाली महिला को पिछले साल जून से वेतन नहीं मिला है.
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी प्रशासन के सदाचार प्रचार एवं अवगुण रोकथाम संबंधी मंत्रालय द्वारा जारी नए धार्मिक दिशानिर्देशों के मुताबिक़, अफ़ग़ान चैनलों को महिलाओं के अभिनय वाले ड्रामा और सोप ओपेरा का प्रसारण न करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही शरिया क़ानून के ख़िलाफ़ मानी जाने वाली फिल्मों पर भी प्रतिबंध लगाने को कहा गया है.
यह नियमावली इसकी सामग्री को लेकर विवादों में थी, जिसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एनसीईआरटी को दस्तावेज़ में ‘विसंगतियों’ को ठीक करने के लिए कहा था. जानकारों का कहना है कि इस नियमावली में कुछ भी ग़लत नहीं है, यह स्कूलों में ट्रांसजेंडर्स के लिए समावेशी माहौल बनाने की बात करता है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने गुजरात के भुज में एक कानूनी सेवा शिविर और जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी शिक्षा समावेशी नहीं है. कुछ गांवों और बड़े शहरों में जो शिक्षा प्रदान की जाती है, उनकी गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है. हमें इन सब पर विचार करना चाहिए. जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, सतत विकास मानकों के अनुसार शिक्षा के मामले में हम कमज़ोर रहेंगे.
पश्चिम बंगाल के प्राथमिक स्कूलों के अध्यापकों के एक समूह 'शिक्षा आलोचना' द्वारा महामारी के दौरान पढ़ाई को लेकर जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि स्कूल परिसर के बाहर अपना काम जारी रखना कितना चुनौतीपूर्ण था लेकिन अध्यापकों ने उसे किया. यह रिपोर्ट पढ़ी जानी चाहिए, अध्यापकों की वकालत के लिए नहीं, यह समझने के लिए कि प्राथमिक शिक्षा कितना जटिल मसला है और उसके कितने पक्ष हैं.
बीते कुछ सालों में राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित लगभग हर बड़ी परीक्षा किसी न किसी विवाद में फंसी है, जिससे राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरियां पाने के लिए अंतहीन इंतज़ार करना पड़ रहा है.
वर्तमान में जिस तरह से धार्मिक शिक्षा के लिए रास्ता सुगम किया जा रहा है, ऐसे में यह भी याद रखना चाहिए कि जैसे-जैसे यह शिक्षा आम होती जाएगी, वह वैज्ञानिक चिंतन के विकास को बाधित करेगी. नागरिकों को यह बताना ज़रूरी है कि धार्मिक चेतना और वैज्ञानिक चेतना समानांतर धाराएं हैं और आपस में नहीं मिलतीं.
इरफ़ान हबीब, आदित्य मुखर्जी और पंकज झा जैसे प्रमुख इतिहासकारों ने यूजीसी द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए इसे इतिहास को 'विकृत करने' का प्रयास कहा है, साथ ही एक विषय के तौर पर इतिहास का महत्व कम करने का आरोप लगाया है.
शिक्षा से संबंधित प्लेटफॉर्म अनएकेडेमी के एक शिक्षक एक वायरल वीडियो में आदिवासी समुदाय के लोगों को लेकर नस्लीय टिप्पणी करते नज़र आए. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक छात्रा द्वारा इस वीडियो को ट्वीट करने पर इसकी चौतरफा आलोचना हुई, जिसके बाद इसे अनएकेडेमी के पेज से हटा दिया गया.
पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती शनिवार को उस समय विवादों में आ गए जब सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कथित तौर पर उन्हें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त क़दम न उठाने के लिए शिक्षकों के एक वर्ग को ज़िम्मेदार ठहराते हुए देखा गया.
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के अंतरिम मेयर ने कहा है कि देश के नए तालिबान शासकों ने शहर की कई महिला कर्मचारियों को घर पर ही रहने का आदेश दिया है. केवल उन महिलाओं को काम करने की अनुमति दी गई है, जिनके स्थान पर पुरुष काम नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि इनमें डिजाइन और इंजीनियरिंग विभागों में कुशल कामगारों के अलावा महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालयों की देखरेख करने वाली महिलाएं शामिल हैं.