सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी बताती है कि कुल 30 चरणों में हुई चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर कमीशन के रूप में 12,04,59,043 रुपये का ख़र्च आया और बॉन्ड की छपाई की लागत 1,93,73,604 रुपये रही.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने कार्यक्रम में कहा कि सरकारी नीतियों की समीक्षा करने में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है. न्यायिक समीक्षा के उद्देश्यों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि प्रशासनिक कार्य और नीति, स्थापित सिद्धांतों और संवैधानिक न्यायशास्त्र के अनुरूप हों.
सेंसेक्स की सूचीबद्ध कंपनियों ने सामूहिक तौर से पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक पार्टियों को चंदे के तौर पर 628 करोड़ रुपये दिए हैं. भारती एयरटेल ने सबसे ज़्यादा 241 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
कांग्रेस को सबसे ज़्यादा चंदा देने वालों में वेदांता (125 करोड़ रुपये), वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड (110 करोड़ रुपये) और एमके जालान समूह की कंपनियां (69.35 करोड़ रुपये) हैं.
चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सबसे अधिक चंदा पाने वालों में भाजपा के बाद तृणमूल कांग्रेस का नंबर आता है. इसे कुल 1609.53 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसका एक तिहाई हिस्सा (542 करोड़ रुपये) लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने दिया.
चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर जारी किए गए नवीनतम डेटा के अनुसार, भाजपा ने 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 के बीच कुल 6060.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए.
साल 2024 में छापे गए 1 करोड़ रुपये के 8,350 करोड़ रुपये के बॉन्ड भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस योजना की शुरुआत से अब तक जुटाई गई रकम से भी अधिक हैं.
डीएमके को फ्यूचर गेमिंग ग्रुप से कम से कम 504 करोड़ रुपये मिले हैं, वहीं इंडिया सीमेंट लिमिटेड के स्वामित्व वाली चेन्नई सुपर किंग्स क्रिकेट लिमिटेड, जिसकी सहयोगी कंपनी पर इस साल की शुरुआत में ईडी ने छापा मारा था, उसने एआईडीएमके को 2019 में पांच करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी पारदर्शिता की बात करते हैं, लेकिन चुनावी बॉन्ड राजनीतिक फंडिंग की सबसे अपारदर्शी प्रणाली है. इसके ज़रिये भाजपा ने विधायक ख़रीदने और सरकारें गिराने का काम किया.
भारतीय स्टेट बैंक से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी बताती है कि 5 से 12 दिसंबर 2022 तक संपन्न हुई चुनावी बॉन्ड बिक्री की 24वीं किस्त में 260 चुनावी बॉन्ड की कुल बिक्री में से 114 करोड़ रुपये के बॉन्ड अकेले मुंबई में बेचे गए थे. 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत से लेकर 24वीं किस्त तक एसबीआई ने 11,699.83 करोड़ रुपये के कुल 20,734 चुनावी बॉन्ड बेचे हैं.
लोकसभा चुनाव के दौरान इस मामले को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली एक पीठ ने ही चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाने से मना कर दिया था.
माकपा महासचिव ने चुनावी बॉन्ड को छोटे राजनीतिक दलों के वजूद को ख़तरा बताते हुए कहा कि छोटी पार्टियों को ज़िंदा रखने के लिए चुनावी बॉन्ड के प्रावधानों को हटाना होगा.
चुनावी बॉन्ड जारी करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए माकपा ने याचिका में कहा है कि यह क़दम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है. इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ जाएगा.
मोदी सरकार द्वारा चुनावी बांड की पहल पर कांग्रेस, माकपा और आप ने कहा यह दलों को चंदा देने वालों की जानकारी छुपाने में मददगार साबित होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीते मंगलवार को राजनीतिक दलों के लिए चुनावी बॉन्ड का ऐलान किया. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि चुनावी बॉन्ड से कॉरपोरेट एवं राजनीतिक दलों के बीच की सांठगांठ को तोड़ने में सफलता भी नहीं मिलेगी.