देश के ग़रीब प्रधानमंत्री ने चुनावी ख़र्चे का इतिहास ही बदल दिया है, इसलिए कॉरपोरेट को भी ज्यादा चंदा देना होगा. कॉरपोरेट नहीं बताना चाहते हैं कि वे किसे और कितना चंदा दे रहे हैं. उनकी सुविधा के लिए प्रधानमंत्री ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का चतुर क़ानून बनाया और बड़ी आसानी से जनता को बेच दिया कि चुनावी प्रक्रिया को क्लीन किया जा रहा है.
अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी का हवाला देकर प्रधानमंत्री मोदी बड़े पूंजीपतियों से अपने करीबी रिश्तों को लेकर हो रही आलोचना को नहीं टाल सकते.
माकपा महासचिव ने चुनावी बॉन्ड को छोटे राजनीतिक दलों के वजूद को ख़तरा बताते हुए कहा कि छोटी पार्टियों को ज़िंदा रखने के लिए चुनावी बॉन्ड के प्रावधानों को हटाना होगा.
चुनावी बॉन्ड जारी करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए माकपा ने याचिका में कहा है कि यह क़दम लोकतंत्र को कमतर करके आंकने वाला है. इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ जाएगा.
मोदी सरकार द्वारा चुनावी बांड की पहल पर कांग्रेस, माकपा और आप ने कहा यह दलों को चंदा देने वालों की जानकारी छुपाने में मददगार साबित होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीते मंगलवार को राजनीतिक दलों के लिए चुनावी बॉन्ड का ऐलान किया. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा कि चुनावी बॉन्ड से कॉरपोरेट एवं राजनीतिक दलों के बीच की सांठगांठ को तोड़ने में सफलता भी नहीं मिलेगी.