बंगाल सरकार पर एनजीटी ने अपशिष्ट प्रबंधन में ख़ामी के चलते 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को लंबे समय के लिए टाला नहीं जा सकता. प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करना राज्य और स्थानीय निकायों की संवैधानिक ज़िम्मेदारी है. पश्चिम बंगाल सरकार सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की स्थापना को प्राथमिकता देती नज़र नहीं आ रही है.

सेंट्रल विस्टा परियोजना: उखाड़कर कहीं और लगाए गए 402 पेड़ों में से केवल 30 फीसदी जीवित बचे

वन विभाग ने दिल्ली हाईकोर्ट को एक हलफनामा सौंपा है, जिसमें बताया गया है कि निर्माण के दौरान केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ में उखाड़े गए 400 से अधिक पेड़ों में से केवल 121 जीवित बचे हैं.

पंजाब सरकार ने विरोध के चलते मटेवारा वन-सतलुज नदी के पास टेक्सटाइल पार्क परियोजना रद्द की

पंजाब के लुधियाना में मटेवारा जंगल और सतलुज नदी के पास 1,000 एकड़ ज़मीन में टेक्सटाइल पार्क बनाना प्रस्तावित था. पिछली कांग्रेस सरकार की इस परियोजना का आम आदमी पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए विरोध किया था लेकिन सत्ता में आते ही उसने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया, जिसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था.

महाराष्ट्र: आरे में मेट्रो कारशेड बनाने के सरकारी फैसले के बाद पर्यावरणविद नई लड़ाई को तैयार

मुंबई के आरे वन क्षेत्र में मेट्रो-3 कारशेड परियोजना को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण लेकर आए थे. जिसे बाद में आई देवेंद्र फडणवीस सरकार ने भी आगे बढ़ाया था, जबकि पर्यावरण कार्यकर्ता लगातार इसके विरोध में थे. 2019 में जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में आई तो उसने इस परियोजना पर रोक लगा दी, लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने फिर से आरे वन क्षेत्र में मेट्रो परियोजना को आगे

हिमाचल प्रदेश: मेगा सोलर पार्क परियोजना से स्पिति पर मंडराए ख़तरे के बादल

हिमाचल प्रदेश के स्पिति में प्रस्तावित 880 मेगावॉट का सोलर पार्क विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित परियोजना है, जो इस संवेदनशील इलाके की जनजातीय जनता और दुर्लभ वन्य जीवों के लिए जोखिमभरा साबित हो सकता है.

छत्तीसगढ़: हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का विरोध, आदिवासियों-कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने परसा कोयला खनन परियोजना के लिए हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई और खनन गतिविधि को अंतिम मंज़ूरी दे दी है, जिसके ख़िलाफ़ आदिवासी और कार्यकर्ता ​‘चिपको आंदोलन’ जैसा प्रदर्शन कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि पेड़ों की कटाई और खनन से 700 से अधिक लोगों के विस्थापित होने की संभावना है. इससे आदिवासियों की स्वतंत्रता और आजीविका को ख़तरा है.

वन क्षेत्र बढ़ा, लेकिन 10 सालों में 52 बाघ अभयारण्यों का हिस्सा 22.62 वर्ग किलोमीटर घटा: सरकार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, शेरों को रहने के लिहाज़ से उपयुक्त वन क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों के दौरान 33.43 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के कुल वन क्षेत्र में साल 2019 के मुक़ाबले 2,261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कॉन्फ्रेंस के लक्ष्य कृषि में सुधार के बिना संभव नहीं

वीडियो: बीते नवंबर महीने में स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कॉन्फ्रेंस जिसे ‘सीओपी26’ (COP26) भी कहा जाता है, को लेकर दो पर्यावरणविदों- वंदना शिवा और श्याम शरण (पूर्व विदेश सचिव और भारतीय सीओपी वार्ताकार) से द वायर के इंद्र शेखर सिंह से बातचीत.

भारत ने सुरक्षा परिषद में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा संबंधी प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट किया

भारत ने इस क़दम का विरोध करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर चर्चा का उचित मंच ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ यानी यूएनएफसीसीसी है, न कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद. भारत के अलावा वीटो का अधिकार रखने वाले रूस ने इस प्रस्ताव के विपक्ष में वोट किया, जबकि चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया.

जम्मू कश्मीर: वन क्षेत्र बढ़ाने के वादे के उलट प्रशासन ने सशस्त्र बलों को अतिरिक्त वन भूमि दी

साल 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्ज़ा ख़त्म किए जाने के बाद से 250 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि ग़ैर-वन कार्यों के लिए ट्रांसफर किया गया है. ये भूमि पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील है और यहां कई लुप्तप्राय जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से कुछ इलाकों में रहने वाले लोगों का आरोप है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने इन प्रस्तावों को मंज़ूरी देने से पहले यहां की पंचायत समितियों या स्थानीय लोगों से परामर्श नहीं किया

चारधाम राजमार्ग के चौड़ीकरण से तिब्बत की ओर से चीन का ख़तरा कम नहीं होगा

उत्तराखंड के जोखिमग्रस्त पारिस्थितिक क्षेत्रों में सड़कों, ख़ासकर राजमार्ग का निर्माण अनिवार्य तौर पर इस तरह से होना चाहिए कि ये भारत के लिए अपने ही पांव में कुल्हाड़ी मारने वाले न साबित हों.

सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना को मंज़ूरी की सूरत में सुरक्षा उपाय को लेकर सुझाव मांगे

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस मामले में अभी तक अपना मत नहीं बनाया है. साथ ही कहा कि वह जो सवाल पूछ रही है, वे इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए हैं. केंद्र ने शीर्ष अदालत के आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन करने की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने चारधाम राजमार्ग परियोजना के लिए निर्धारित कैरिजवे की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था.

क्या अदालत देश की रक्षा ज़रूरतों को दरकिनार कर कह सकती है कि पर्यावरण की जीत होगी: कोर्ट

केंद्र ने शीर्ष अदालत के आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन करने की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने चारधाम राजमार्ग परियोजना के लिए निर्धारित कैरिजवे की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्र की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ सभी विकास टिकाऊ और संतुलित होने चाहिए. 

हसदेव अरण्य में कोयला खनन मंज़ूरी: कार्यकर्ता बोले- केंद्र आदिवासियों के अधिकार कुचल रहा है

केंद्र सरकार ने 21 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के परसा कोयला ब्लॉक में खनन के लिए दूसरे चरण की मंज़ूरी दी. सरकार ने कहा कि यह मंज़ूरी राज्य सरकार की सिफ़ारिशों पर आधारित थी. खनन के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे संगठन छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि सरकार की प्राथमिकता लोग नहीं, बल्कि कॉरपोरेट मुनाफ़ा है. यह क़दम आदिवासी अधिकारों और पर्यावरण पर हमला है.

छत्तीसगढ़: विरोध के बीच केंद्र ने परसा कोयला खदान में दूसरे चरण के खनन को मंज़ूरी दी

हसदेव अरण्य जंगल के लिए आंदोलन चला रहे समूहों में से एक छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की ओर से कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें अडानी समूह की मदद करने की कोशिश कर रही हैं, जो परसा ब्लॉक के लिए माइन डेवलेपर और ऑपरेटर हैं.आदिवासियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. हमारी मांग है कि इस मंज़ूरी को रद्द किया जाए.

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