द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में फेसबुक के आंतरिक दस्तावेज़ों और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से कहा गया है कि कंपनी ने नेटफ्लिक्स, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, स्पॉटिफाई और याहू जैसी निजी कंपनियों को यूजर्स के निजी संदेश और उनके दोस्तों की संपर्क जानकारियां पढ़ने की अनुमति दी है.
फ़र्ज़ी ख़बर और डेटा चोरी के मामलों को लेकर फेसबुक सरकार की निगरानी में है. भारत सरकार ने जनवरी से जून 2018 के बीच ये जानकारी मांगी थी. फेसबुक से सूचना मांगने के मामले में 68 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है.
इन लोगों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के लिए सोशल मीडिया पर अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने का आरोप है.
जन गण मन की बात की 271वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जयपुर दौरे और भारत मेें आए दिन होने वाले इंटरनेट बैन पर चर्चा कर रहे हैं.
एक अमेरिकी अख़बार के मुताबिक, फेसबुक के हुआवेई, लेनोवो, ओप्पो और टीसीएल के साथ डेटा साझा समझौते हैं, जिसके चलते ये कंपनियां उपयोगकर्ताओं के डेटा तक निजी पहुंच रखती हैं.
भारत के चुनाव आयुक्त को एक थैंक्यू नोट जल्द ही मार्क ज़ुकरबर्ग को भेज देना चाहिए क्योंकि फेसबुक तो उसका पार्टनर है. जहां दुनिया की संस्थाएं चुनावों में फेसबुक की साज़िशी भूमिका को लेकर सतर्क हैं वहीं भारत का चुनाव आयोग फेसबुक से करार कर चुका है.
फेसबुक के प्रवक्ता ने बताया कि भारत में 335 लोगों के ऐप इंस्टॉल करने के कारण उनके दोस्तों के रूप में 5,62,120 अन्य लोगों के प्रभावित होने की संभावना है.
मीडिया बोल की 42वीं कड़ी में उर्मिलेश सोशल मीडिया पर वायरल हुए अररिया वीडियो की मीडिया रिपोर्टिंग, राज्यसभा चुनाव और कैंब्रिज एनालिटिका को लेकर हुए डेटा लीक विवाद पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 215वीं कड़ी में विनोद दुआ फेसबुक से जुड़े डेटा चोरी विवाद और लोकपाल की नियुक्ति को लेकर अन्ना हज़ारे द्वारा फिर से आंदोलन शुरू करने पर चर्चा कर रहे हैं.
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से डेटा चोरी के आरोपों का सामना कर रही कैंब्रिज एनालिटिका से अपने-अपने चुनावी अभियान में मदद ले चुकी हैं.
लोगों की व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग के मामले में फेसबुक के ख़िलाफ़ अमेरिका में जांच शुरू. अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग इस बात की जांच कर रहा है कि क्या फेसबुक ने उपभोक्ताओं के लाखों आंकड़े एक राजनीतिक परामर्श एजेंसी को दिए थे.
फेसबुक के ज़रिये हुई शादी के एक मामले में दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला ने की टिप्पणी.
स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी बता रही हैं कि एक लोकतंत्र में अगर सरकार नागरिकों पर हमला कर रही है तो हम किस लोकतंत्र में रह रहे हैं?
वैशाखनंदन शब्द की उत्पति पर दर्जनों पोस्ट लिखकर ‘गधा विमर्श’ का ऐसा माहौल बना दिया गया है गोया जो वैशाखनंदन न समझ पाए वो भी उन्हीं के उत्तराधिकारी हैं.
‘जुमला जयंती पर आनंदित, पुलकित, रोमांचित वैशाखनंदन’ वाक्य में व्यंग्य अवश्य है, घृणा कतई नहीं.