वीडियो: नए आईटी नियमों के तहत गूगल के बाद फेसबुक ने भी अपनी पहली मासिक पारदर्शिता रिपोर्ट दी है. दोनों कंपनियों ने बताया है कि उन्होंने स्थानीय क़ानूनों या व्यक्तिगत अधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर मिलीं शिकायतों के बाद हज़ारों की संख्या में सामग्रियां अपने प्लेटफॉर्म से हटाई हैं. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की हार्ड न्यूज़ के संपादक संजय कपूर, सत्य हिंदी के संपादक आशुतोष और वरिष्ठ पत्रकार अनुराधा भसीन से बातचीत.
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का पालन करते हुए जारी की गई अपनी पहली मासिक अनुपालन रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. वहीं, इंस्टाग्राम ने इस दौरान नौ श्रेणियों में उसके मंच पर डाली गईं 20 लाख सामग्रियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात कही है. इससे पहले गूगल ने बताया था कि अप्रैल में 59,350 सामग्रियों को उसके प्लेटफॉर्म से हटाया गया है.
नए आईटी नियमों के तहत गूगल ने अपनी पहली मासिक पारदर्शिता रिपोर्ट दी है, जिसमें कहा है कि उसे स्थानीय क़ानूनों या व्यक्तिगत अधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर शिकायतें मिलीं, जिसके परिणामस्वरूप 59,350 सामग्रियां प्लेटफॉर्म से हटाई गईं.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ‘रॉयटर्स इंस्टिट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म’ द्वारा किए सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में पुराने प्रिंट ब्रांड और सरकारी प्रसारक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो अधिक भरोसेमंद हैं, जबकि प्रिंट मीडिया, सामान्य तौर पर समाचार चैनलों की तुलना में अधिक भरोसेमंद माने गए.
सनातन संस्था के तीन फेसबुक पेज सितंबर 2020 में ब्लॉक कर दिए गए थे. संस्था का कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
सरकार ने कुछ दिन पूर्व ट्विटर को दिए एक नोटिस में कहा था कि उसे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून संबंधी नए नियमों के अनुपालन का आख़िरी मौका दिया जाता है. उसे तत्काल नियमों का अनुपालन करना है. अगर वह इसमें विफल रहती है, तो उसे आईटी क़ानून और अन्य दंडात्मक प्रावधानों के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पत्र लिखकर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘इंडियन वैरिएंट’ शब्द को कोरोना वायरस के बी 1.617 वैरिएंट के साथ नहीं जोड़ा है. संगठन ने 11 मई को कहा था कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है.
फेसबुक की नवीनतम पारदर्शिता रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा इससे पहले जनवरी-जून 2020 की तुलना में 13.3 प्रतिशत ज़्यादा है. भारत में राज्यों एवं केंद्र सरकार द्वारा ऐसे अनुरोधों की संख्या 2013 से लगातार बढ़ रही है. जनवरी और जून 2013 के बीच सरकार ने लगभग 3,250 अनुरोध किए थे, जो 2020 की इसी अवधि में दस गुना बढ़कर 35,600 हो गया.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 18 मई को कंपनी को एक पत्र लिखकर कहा कि सात दिन के भीतर संतोषजनक जवाब न मिलने पर क़ानून के अनुरूप ज़रूरी क़दम उठाए जाएंगे. पत्र में वॉट्सऐप का इस बात की तरफ ध्यान दिलाया कि किस तरह उसकी निजता नीति मौजूदा भारतीय क़ानूनों और नियमों के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती है.
फेसबुक के स्वामित्व वाले सोशल नेटवर्किंग मंच वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने हालांकि ये साफ़ नहीं किया कि कंपनी ने किन कारणों से अपने रुख़ में बदलाव किया है. वॉट्सऐप ने जनवरी में अपनी नई निजता नीति को 8 फरवरी से लागू करने की घोषणा की थी, जिसे दुनियाभर में कड़ी आलोचना के बाद 15 मई तक टाल दिया गया था.
फेसबुक ने बृहस्पतिवार की सुबह एक बयान जारी करते हुए कहा कि उसने ग़लती से उस हैशटैग को बाधित किया, जिसमें प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े (#ResignModi) की मांग की जा रही है. कंपनी ने स्पष्ट किया कि यह मोदी सरकार के आदेश पर नहीं किया गया.
एक मृतक महिला के पति ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उनकी दिवगंत पत्नी की तस्वीर को हाथरस बलात्कार पीड़ित बताकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, गूगल और ट्विटर से जवाब मांगा है.
द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया है कि फेसबुक ने कथित तौर पर फ़र्ज़ी एकाउंट के ज़रिये भाजपा सांसद की लोकप्रियता को बढ़ने दिया, जबकि महीनों पहले इसके बारे में एक कर्मचारी ने कंपनी को अवगत करा दिया गया था.
फेसबुक के स्वामित्व वाले सोशल नेटवर्किंग मंच वॉट्सऐप ने जनवरी में अपनी नई निजता नीति को 8 फरवरी से लागू करने की घोषणा की थी, जिसे दुनियाभर में कड़ी आलोचना के बाद 15 मई तक टाल दिया गया था.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, वॉट्सऐप और यूट्यूब को भारत में व्यवसाय करना है तो बच्चों के अधिकार के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, अन्यथा इनको इस तरह से चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती.