राज्यसभा में शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने एक लिखित जवाब में बताया कि 31 अक्टूबर तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 5,182 शैक्षणिक पद रिक्त थे.
अनुसूचित जाति और जनजाति पर गठित संसदीय समिति को सौंपे गए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का डेटा बतात है कि 2018 में दिल्ली एम्स में 16 सीनियर फैकल्टी पद ख़ाली रहे क्योंकि चयन समिति ने एससी/एसटी और ओबीसी के 'उम्मीदवारों को उपयुक्त नहीं' पाया. 2022 में ऐसे 12 पद और खाली रहे थे.
एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर के कई अन्य एम्स में स्थिति बदतर है. दिल्ली स्थित एम्स में 19 प्रतिशत से कम फैकल्टी ओबीसी से हैं, जबकि अनिवार्य ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी प्रतिनिधित्व की कमी शीर्ष प्रबंधन पदों और ग़ैर-फैकल्टी पदों पर भी है.