बीते दिनों में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन का पॉपस्टार रिहाना, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग जैसी कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने समर्थन किया है. प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार उनका दर्द नहीं समझ रही है.
वीडियो: 26 जनवरी को कृषि क़ानूनों के विरोध में निकाले गए किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान राजधानी दिल्ली में हिंसा हो गई थी. इस दौरान उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले के 25 वर्षीय नवरीत सिंह की मौत हो गई थी. मामले के प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि उनकी मौत गोली लगने से हुई, वहीं पुलिस का दावा है कि उनकी मौत ट्रैक्टर पलटने की वजह से हुई.
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान असत्यापित ख़बरें प्रसारित करने के आरोप में कांग्रेस नेता शशि थरूर, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय और चार अन्य पत्रकारों के ख़िलाफ़ राजद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज हुआ है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह आरोप भी लगाया कि सड़कों पर कीलें व कंटीले तार लगाना, आंतरिक सड़कें बंद कर अवरोधक बढ़ाना, इंटरनेट सेवाएं बंद करना और भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रदर्शन करवाना सरकार, पुलिस और प्रशासन की ओर से हो रहे नियोजित ‘हमलों’ का हिस्सा हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए कपास पर 10 फ़ीसदी सीमा शुल्क की घोषणा की. कपास किसानों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता का मानना है कि इससे किसानों को कोई विशेष लाभ होने की संभावना नहीं है.
दिल्ली से होकर फ़िरोज़पुर से मुंबई जाने वाली पंजाब मेल को सोमवार को दिल्ली में न रोकते हुए रेवाड़ी के रास्ते आगे भेज दिया गया. बताया गया है कि इसमें हज़ार के क़रीब किसान सवार थे, जो किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आ रहे थे. रेलवे का कहना है कि परिचालन संबंधी कारणों से ट्रेन का रास्ता बदला गया.
कृषि क़ानूनों पर किसानों के विरोध के बीच मोदी सरकार ने बार-बार दावा किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी व्यवस्था ख़त्म नहीं होगी, पर आम बजट में इसे दिलाने वाली योजनाओं के फंड में बड़ी कटौती की गई है, जिसके चलते किसानों को उतनी एमएसपी भी नहीं मिलेगी, जितनी सरकार तय करती है.
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद लापता लोगों का पता लगाने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. मोर्चा ने अब तक 163 लोगों की पहचान की है, जो या तो जेल या फिर पुलिस हिरासत में हैं.
डिजिटल मीडिया आज़ाद आवाज़ों की जगह है और इस पर ‘सबसे बड़े जेलर’ की निगाहें हैं. अगर यही अच्छा है तो इस बजट में प्रधानमंत्री जेल बंदी योजना लॉन्च हो, मनरेगा से गांव-गांव जेल बने और बोलने वालों को जेल में डाल दिया जाए. मुनादी की जाए कि जेल बंदी योजना लॉन्च हो गई है, कृपया ख़ामोश रहें.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह किसानों को बताए कि कृषि क़ानूनों को वापस क्यों नहीं लेना चाहती और हम वादा करते हैं कि सरकार का सिर दुनिया के सामने झुकने नहीं देंगे. उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह इन क़ानूनों को निरस्त नहीं करने पर अड़ी हुई है.
इंडिया टुडे समाचार चैनल के वरिष्ठ एंकर और सलाहकार संपादक राजदीप सरदेसाई के एक महीने का वेतन भी काट दिया गया है. उन्होंने 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में एक प्रदर्शनकारी की मौत पर ट्वीट कर कहा था कि उनकी मौत पुलिस फायरिंग में हुई है. हालांकि पुलिस द्वारा घटना से संबंधित वीडियो जारी करने के बाद उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था.
आंदोलन का शाब्दिक अर्थ ही यही है कि वह स्थिरता, जड़ता को तोड़ता है. वह कर्णप्रिय हो, आवश्यक नहीं.
वकील के तौर पर काम करने के दौरान जस्टिस एसए बोबडे शेतकारी संगठन से जुड़े थे, जिसके प्रमुख अनिल घनवट कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों से बात करने के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की समिति में हैं. घनवट बोबडे के संगठन से अलग होने के बाद उभरे, पर वरिष्ठ किसान नेताओं ने उनके चयन पर सवाल उठाए हैं.
शिरोमणि अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि वे किसानों का समर्थन करने पीलीभीत गए थे, जहां से उन्हें गिरफ़्तार कर बरेली ले जाया गया और देर रात रिहा किया गया. पुलिस ने इससे इनकार किया है.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू राजेवाल) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों को खुला पत्र लिखकर कहा है कि किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के बारे में अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं. कुछ किसान विरोधी ताकतें उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को नाकाम करने में शिद्दत से जुटी हैं.