उत्तर प्रदेश: मेरठ में अतिक्रमण हटाओ अभियान के विरोध में आत्मदाह करने वाले किसान की मौत

उत्तर प्रदेश में मेरठ ज़िले के मवाना क्षेत्र का मामला. जिलाधिकारी ने बताया कि घटना बीते 4 जनवरी को वन और राजस्व विभाग द्वारा चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान से जुड़ी है. उन्होंने बताया कि किसान ने दावा किया था कि उन्हें ज़मीन के एक भूखंड से ग़लत तरीके से बेदख़ल किया गया था और कार्रवाई के विरोध में उन्होंने आत्मदाह कर लिया था.

छत्तीसगढ़: क़र्ज़ से परेशान किसान ने आत्महत्या की, ऋण माफ़ी पर भाजपा-कांग्रेस में तकरार

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल नारायणपुर ज़िले का मामला. किसान की आत्महत्या के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया कि हाल के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाली भाजपा ने 2 लाख रुपये तक के कृषि ऋण माफ़ करने का वादा किया था, लेकिन अब इससे पीछे हट रही है. वहीं, भाजपा विधायक ने कहा कि ऐसा वादा नहीं किया गया था.

यूपी: योगी आदित्यनाथ का छह सालों में कोई किसान आत्महत्या न होने का दावा ग़लत है

बीते सप्ताह लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीते छह सालों में राज्य में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की है. हालांकि, आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2017 से 2021 के बीच राज्य में 398 किसानों और 731 खेतिहर मज़दूरों ने आत्महत्या की.

महाराष्ट्र में रोज़ाना आठ किसान अपनी ज़िंदगी ख़त्म कर रहे हैं: एनसीपी

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और विपक्ष के नेता अजीत पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक कम से कम 1,203 किसानों ने अपनी जान ली है. शिंदे-फडणवीस सरकार कृषि के मामले में सबसे असंवेदनशील सरकारों में से एक है.

गुजरात ‘मॉडल’ का सच: राज्य में किसानों पर बिहार के मुक़ाबले दोगुना क़र्ज़

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि गुजरात के किसानों की तुलना में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के किसान बेहतर स्थिति में हैं. गुजरात के प्रत्येक किसान परिवार पर 56,568 रुपये का क़र्ज़ है, जबकि बिहार के एक किसान परिवार पर 23,534 रुपये का क़र्ज़ है.

पीएम मोदी 80 करोड़ ग़रीबों को फ्री-फंड का खाना दे रहे हैं, उन्हें बधाई देनी चाहिए: निशिकांत दुबे

लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जीडीपी को नकारते हुए कहा कि जीडीपी का इस देश के लिए कोई मतलब नहीं. भविष्य में इसका कोई बहुत ज़्यादा उपयोग नहीं होगा. उन्होंने देश में किसान आत्महत्या से भी इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या नहीं कर रहे हैं. हमने किसानों को इतनी ताकत दी है कि आज वे सरकार के ख़िलाफ़ भी दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं.

‘पंजाब: जिनां राहां दी मैं सार न जाणां’ कविता या कहानी नहीं, अतीत और आज का जीवंत दस्तावेज़ है

पुस्तक समीक्षा: अमनदीप संधू की किताब 'पंजाब: जर्नी थ्रू फॉल्ट लाइंस' के पंजाबी अनुवाद 'पंजाब: जिनां राहां दी मैं सार न जाणां' में वो पंजाब नहीं दिखता है जो फिल्मों, गीतों में दिखाया जाता रहा है. यहां इस सूबे की तल्ख़, खुरदरी और ज़मीनी हक़ीक़त से सामना होता है.

पंजाब: 18 सालों में 6 ज़िलों के नौ हज़ार किसानों ने आत्महत्या की, 88 फीसदी क़र्ज़ में थे- अध्ययन

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, मनसा, मोगा और बरनाला ज़िलों के सभी गांवों में घर-घर जाकर किया गया सर्वे बताता है कि साल 2000 से 2018 के बीच आत्महत्या करने वालों में सीमांत और छोटे किसानों की संख्या अधिक है. इनमें से 75 फीसदी किसान 35 वर्ष से कम उम्र के थे.

किसान आंदोलन: ‘ज़िंदा किसानों की बात न सुनने वाली सरकार मरे किसानों की बात क्या सुनेगी’

वीडियो: एक साल से जारी ऐतिहासिक किसान आंदोलन में किसानों ने बहुत कुछ खोया है. इस दौरान क़रीब 700 से ज़्यादा किसानों की मौत हुई, किसी ने आत्महत्या की, तो किसी की बीमारी के चलते जान गई. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों से बातचीत.

उत्तर प्रदेश: फ़सल नष्ट होने से कथित तौर पर परेशान किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या की

उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले का मामला. अधिकारियों ने परिजनों के हवाले से बताया कि किसान पर साहूकारों का तीन लाख रुपये क़र्ज़ भी था.

कृषि क़ानून: हरियाणा सरकार ने कहा, दिल्ली से सटी सीमाओं पर विभिन्न कारणों से 68 लोगों की मौत हुई

दो कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने विधानसभा में कहा कि अब तक हरियाणा से मृत प्रदर्शनकारियों के परिजनों को नौकरी और वित्तीय सहायता देने के लिए राज्य सरकार के विचारार्थ कोई प्रस्ताव नहीं है.

कृषि क़ानून रद्द करने को कथित तौर पर अपनी अंतिम इच्छा बताकर टिकरी बॉर्डर के पास किसान ने जान दी

पुलिस ने बताया कि किसान द्वारा कथित तौर पर छोड़े गए सुसाइड नोट में उनके द्वारा उठाए गए इस क़दम के लिए तीन कृषि क़ानूनों को जिम्मेदार ठहराया गया है. उन्होंने इसमें यह भी कहा है कि केंद्र को इन क़ानूनों को निरस्त करके उनकी आख़िरी इच्छा पूरी करनी चाहिए.

आंदोलन के 100 दिन पर किसानों ने कहा, कृषि क़ानून वापस नहीं लिए तो चुनाव में झेलना पड़ेगा ग़ुस्सा

दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 100 दिन पूरा होने पर खिल भारतीय किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि अगर सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती है तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिलेगा.

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