खेड़ा सार्वजनिक पिटाई को लेकर गुजरात पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की फटकार समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में खेड़ा जिले के एक गांव में मुस्लिम समुदाय के पांच लोगों को सार्वजनिक रूप से पीटने के लिए गुजरात पुलिस को कड़ी फटकार लगाई. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जस्टिस  बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मंगलवार को अदालत की अवमानना और संदिग्धों को हिरासत में लेने और पूछताछ करने के बारे में दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए 14 दिन की सजा के खिलाफ चार पुलिसकर्मियों की अपील पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान जस्टिस गवई ने नाराजगी जाहिर करते हुए पुलिसकर्मियों से पूछा कि क्या उनके पास ऐसी कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार है. अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए जस्टिस मेहता ने कहा, ‘यह किस तरह का अत्याचार है? लोगों को खंभे से बांधना, सार्वजनिक तौर पर उनकी पिटाई करना और वीडियो बनाना. फिर आप चाहते हैं कि यह अदालत दखल दे.’ अक्टूबर 2023 में गुजरात हाईकोर्ट ने चार आरोपी पुलिसकर्मियों को 14 दिन की कैद और 2-2 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. इन पर 4 अक्टूबर 2022 को तीन मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें खंभे से बांधकर सार्वजनिक रूप से लाठियों से पीटने का आरोप था. गिरफ्तार किए गए लोगों पर खेड़ा जिले के उंधेला गांव में गरबा कार्यक्रम में पथराव करने का आरोप लगाया गया था.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने राज्य पुलिस को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गुवाहाटी में प्रवेश करने से रोके जाने के बीच ‘भीड़ को उकसाने’ के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज करने का निर्देश दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मंगलवार को असम में अपनी प्रमुख ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ फिर से शुरू करने के बाद गुवाहाटी में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे राहुल गांधी के साथ लगभग 5,000 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोक दिया गया. इसके बाद पार्टी कार्यकर्ता पुलिस अधिकारियों से भिड़ गए और पुलिस बैरिकेड को तोड़ दिया. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया. इसके बाद गुवाहाटी सीमा के करीब एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता कभी भी नियम नहीं तोड़ेंगे और कानून-व्यवस्था को बाधित नहीं करेंगे; हालांकि, ‘इसका मतलब यह नहीं है कि हम कमज़ोर हैं.’

कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय छात्र वीज़ा पर 2 साल की सीमा तय कर दी है. द हिंदू के मुताबिक, कनाडा ने घोषणा की है कि वह आवास संकट से निपटने और संस्थागत ‘बुरे तत्वों’ को लक्षित करने के लिए नए अंतरराष्ट्रीय छात्र वीज़ा पर तत्काल दो साल की सीमा लगा रहा है. अख़बार के अनुसार, इस कदम से देश में अध्ययन करने की योजना बना रहे भारतीयों पर असर पड़ने की संभावना है. कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि यह सीमा तय करने से साल 2024 में नए स्टडी वीज़ा में 35% की कमी होगी, जहां लगभग 3,64,000 नए स्वीकृत परमिट होने की उम्मीद है. पिछले साल लगभग 5,60,000 स्टडी वीज़ा जारी किए गए थे. उन्होंने यह भी बताया कि यह सीमा दो साल के लिए लागू रहेगी और 2025 में जारी किए जाने वाले परमिटों की संख्या का इस साल के अंत में पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा.

असम के विद्रोही समूह उल्फा को ‘संप्रभु असम’ के मकसद से हुए इसके गठन के 44 साल बाद और सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओएस) पर दस्तखत करने के कुछ दिनों बाद औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया. डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन को खत्म करने का निर्णय उत्तरी असम के दरांग जिले के चामुआपारा गांव में इसकी आखिरी ‘जनरल काउंसिल’ बैठक में लिया गया, जहां संगठन के 65 कैडर एक निर्दिष्ट शिविर में रखे गए हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट ने 29 दिसंबर 2023 को एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. उल्फा के संस्थापकों में से एक अनूप चेतिया ने अख़बार से बातचीत में कहा, ‘आज हम सभी के लिए यह एक भावनात्मक और दर्दनाक पल है. जिस संगठन को हमने 1979 में शुरू किया, उसे आज बिना उद्देश्य प्राप्त किए इस तरह से भंग करना पड़ा. परिस्थितियों के कारण हम अपनी सशस्त्र लड़ाई में विफल रहे लेकिन हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था.

दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएम केयर्स फंड संबंधी जानकारी का खुलासा करने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी)  के एक आदेश को रद्द कर दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सीआईसी ने आयकर विभाग को कहा था कि वह आवेदक गिरीश मित्तल को सूचना के अधिकार के तहत पीएम केयर्स फंड को दी गई कर छूट संबंधी जानकारी का ख़ुलासा करे. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि आयकर अधिनियम आरटीआई अधिनियम से अधिक प्रबल होता है. संबंधित जानकारी केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रदान की जा सकती है.

​महाराष्ट्र में मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ ज़िलों में साल 2023 में 1,088 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई थी. एनडीटीवी ने मराठवाड़ा संभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि साल 2023 में मराठवाड़ा के बीड ज़िले में सबसे अधिक 269 मौतें दर्ज की गईं. इसके बाद औरंगाबाद ज़िले में 182, नांदेड़ में 175, धाराशिव में 171 और परभणी ज़िले में 103 मौतें हुईं. एक अधिकारी ने बताया कि 2022 की तुलना में यह आंकड़ा 65 अधिक है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश भर में प्रति दिन औसतन 30 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है.