यूपी के बहराइच से भाजपा सांसद अक्षयवर लाल गोंड ने कहा कि जो लोग कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे किसान नहीं हैं, बल्कि 'सिखिस्तान' और 'पाकिस्तान' समर्थित राजनीतिक दलों के लोग हैं. इससे पहले सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी किसानों के विरोध-प्रदर्शन को 'प्रायोजित' बताया था.
पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारी मांगें माने जाने तक किसान आंदोलन मजबूती के साथ शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा. राजनीतिक दलों की आंतरिक कलह या दूसरे दलों के साथ झगड़े से आंदोलन प्रभावित नहीं होगा.
चालीस से अधिक किसान संघों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान अपनी मर्ज़ी से विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अलग-अलग राज्यों की पुलिस और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वहां रहने के लिए मजबूर किया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों और पुलिस प्रमुखों को इस आरोप पर नोटिस भेजे हैं कि किसानों के जारी विरोध प्रदर्शनों से औद्योगिक इकाइयों और परिवहन पर ‘प्रतिकूल प्रभाव’ पड़ा है और आंदोलन स्थलों पर कोविड-19 सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया गया है.
किसान आंदोलन के अराजनीतिक होने को उसकी अतिरिक्त शक्ति के रूप में देखें, तो कह सकते हैं कि हिंदू-मुस्लिम सद्भाव की यह मुहिम राजनीतिक हानि-लाभ से जुड़ी न होने के कारण अधिक विश्वसनीय है और ज़्यादा उम्मीदें जगाती है.
वीडियो: संयुक्त किसान मोर्चा ने मुज़फ़्फ़रनगर की किसान महापंचायत से एक बार फिर अपने आंदोलन को धार देने का प्रयास किया. इस महापंचायत में किसानों का बड़ा हुजूम देख देखा गया. खासकर, पश्चिम उत्तर के किसान बड़ी तादाद में यहां पहुंचे. द वायर ने महापंचायत में शामिल किसानों से बात की.
उत्तर प्रदेश के अलावा कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन तेज़ करने की रणनीति के तहत कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से मुज़फ़्फ़रनगर में महापंचायत का आयोजन किया गया. महापंचायत का जहां विपक्ष के नेताओं ने समर्थन किया है, वहीं भाजपा ने इसे चुनावी रैली क़रार दिया है. हालांकि भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि किसानों के साथ फ़िर से बातचीत शुरू करनी चाहिए.
दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि पुलिस केंद्र सरकार के इशारे पर इस प्रकार के असंवैधानिक और अवैध कार्य कर रही है, क्योंकि जिन किसानों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनके नाम एफ़आईआर में नहीं हैं और न ही उन्होंने किसी हिंसक गतिविधि में भाग लिया है. बीते 26 जनवरी को कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान संगठनों द्वारा दिल्ली में ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया गया था. इस
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने विधानसभा में बताया कि राज्य में कृषि क़ानूनों के विरोध में हुए प्रदर्शनों के संबंध में ज़्यादातर मामले कुरुक्षेत्र, सोनीपत, भिवानी, हिसार, सिरसा और फ़तेहाबाद ज़िलों में दर्ज किए गए हैं. ये मामले दंगा, घातक हथियार से लैस होने, आदेश की अवज्ञा, लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने सहित विभिन्न धाराओं से संबंधित हैं. सभी 138 मामले सितंबर 2020 से अब तक दर्ज किए गए हैं.
भारतीय किसान संघ ने कहा है कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत समेत फ़सल की लाभदायक कीमत देने की मांग पर आठ सितंबर को देशव्यापी आंदोलन होगा. तीन नए कृषि क़ानूनों में एमएसपी सुनिश्चित करने के बारे में कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए एक अलग क़ानून बनाना चाहिए. इसके अलावा आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के बारे में भी अपनी संघ ने आपत्ति जताई, जो बड़ी कंपनियों को कुछ वस्तुओं को स्टॉक करने की अनुमति देता है.
तीन कृषि क़ानूनों को पूरी तरह से समझने पर ज़ोर देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विरोध का माहौल बनाया जा रहा है और किसानों को इसे समझना चाहिए. न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भ्रम भी पैदा किया गया. किसानों ने सच जानना शुरू कर दिया है और उन्होंने अपने लाभ तथा हानि की गणना करनी शुरू कर दी है.
वीडियो: दिल्ली के जंतर मंतर पर बीते नौ अगस्त को प्रदर्शनकारी महिला किसानों ने किसान संसद का आयोजन किया था. इस दौरान महिला किसानों ने केंद्र सरकार के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव पारित किया. महिला किसान संसद में भाग लेने के लिए दिल्ली और आसपास के इलाकों की महिलाएं जंतर मंतर पहुंचीं और मंच से अपनी बात रखी.
वीडियो: बीते 4 अगस्त को कुछ किसान संगठन दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे में किसानों और सरकार के बीच वार्ता फिर से शुरू होने की उम्मीद में एकत्र हुए. उन्होंने वीएम सिंह के नेतृत्व में एक नया संगठन ‘राष्ट्रीय किसान मोर्चा’ बनाया है, जो कृषि क़ानूनों की वापसी नहीं, बल्कि उसमें संशोधन चाहता है. वीएम सिंह से द वायर की बातचीत.
किसान संगठनों के नवगठित संगठन ‘राष्ट्रीय किसान मोर्चा’ ने पत्र में संसद के मौजूद मानसून सत्र में विवादित कृषि क़ानूनों में चार संशोधनों का प्रस्ताव पारित कराने की मांग की है, जिसमें किसानों की ज़मीनों के साथ कोई समझौता न होने की गारंटी, किसानों को कोर्ट जाने की आज़ादी, एमएसपी की गारंटी और सरकारी ख़रीद केंद्रों पर फ़सल का तत्काल भुगतान की गारंटी शामिल है. उसने कहा है कि यह बातचीत के लिए पूर्व शर्त है.
बीते मई में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर अन्य आरोपों के साथ राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किसान दलबीर सिंह को ज़मानत देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है.