कोरोना वायरस चलते पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बीच किसान रबी फसलों की बिक्री को लेकर चिंतित हैं. कई राज्यों में फसलें कट भी चुकी हैं. किसानों को उनके उत्पाद की ब्रिकी को लेकर सरकार से उचित घोषणा और प्रबंधन का इंतज़ार है.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए कृषि मंत्रालय के आंतरिक गोपनीय दस्तावेज़ों से पता चलता है कि सरकार ख़ुद ये स्वीकार करती है कि अधिक एमएसपी किसानों को कीमतों में उतार-चढ़ाव की स्थिति से निकालने के लिए ज़रूरी है. हालांकि इसके बावजूद केंद्र पिछले कई सालों से लागत का डेढ़ गुना दाम देने की मांग को दरकिनार करती आ रही है.
द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ बताते हैं कि महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों ने केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी पर सहमति नहीं जताई थी. राज्यों ने अपने यहां की उत्पादन लागत के हिसाब से समर्थन मूल्य तय करने की सिफ़ारिश की थी, लेकिन केंद्र ने सभी प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया.
इन दिनों उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के 11 ज़िले और गुजरात के कुछ क्षेत्रों के किसान टिड्डियों के हमले से प्रभावित हैं. सरकारी अधिकारियों के अनुसार टिड्डियों के हमले से तक़रीबन 3.70 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो चुकी है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों की तुलना में केंद्र का बजट ज़्यादा पारदर्शी होता है. हालांकि केंद्र स्तर पर भी अभी भी कई ज़रूरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में औसतन 35 बेरोज़गारों और स्वरोज़गार से जुड़े 36 लोगों ने हर दिन ख़ुदकुशी की. इस साल 12,936 बेरोज़गारों और स्वरोज़गार से जुड़े 13,149 लोगों ने ख़ुदकुशी की.
हालांकि किसानों की ये क़र्ज़ माफ़ी वास्तविकता के बजाय काग़ज़ों पर ही अधिक हुई हैं. इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक क़र्ज़ माफ़ नहीं किए जा सके हैं. सबसे ख़राब प्रदर्शन मध्य प्रदेश का रहा है. मध्य प्रदेश में महज़ 10 प्रतिशत क़र्ज़ माफ़ किए गए हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2018 में किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु दूसरे, पश्चिम बंगाल तीसरे, मध्य प्रदेश चौथे और कर्नाटक पांचवें स्थान पर है. इन पांच राज्यों में ही किसान आत्महत्या के करीब 51 फीसदी मामले दर्ज किए गए.
इस योजना को महात्मा ज्योतिराव फुले ऋण माफी योजना कहा जाएगा. राज्य के खजाने पर इस कदम से कितना वित्तीय भार पड़ेगा, इस पर महाराष्ट्र सरकार ने अभी कुछ नहीं कहा.
पंजाब में प्रति कृषि परिवार की मासिक औसत आय 18,059 रुपये है, जबकि हरियाणा में प्रति कृषि परिवार की मासिक औसत आय 14,434 रुपये, जम्मू कश्मीर में 12,683 रुपये और केरल में 11,888 रुपये है.
देश के अधिकांश शहरों में प्याज़ के भाव 100 रुपये किलो के पार पहुंचे. प्याज के प्रमुख उत्पादक केंद्र महाराष्ट्र के नासिक में शुक्रवार को इसकी दर 75 रुपये किलो थी.
लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्याज के कम उत्पादन और बढ़ती कीमतों पर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के सवाल का जवाब दे रही थीं. इसी दौरान एक सांसद ने उन्हें बीच में टोकते हुए पूछा, 'क्या आप प्याज खाती हैं?'
राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई कार्यक्रम अमल में लाए जा रहे हैं लेकिन आत्महत्या करने वाले किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान वर्तमान में चलाई जा रही किसी नीति में नहीं है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज़ की कीमत 76 रुपये किलो, मुंबई में 92 रुपये किलो, कोलकाता में 100 रुपये किलो और चेन्नई में 80 रुपये किलो रही. बढ़ती कीमतों के बीच कई जगहों पर प्याज़ चोरी होने की घटनाएं भी सामने आई हैं.
महाराष्ट्र सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया कि बेमौसम बरसात से 44,33,549 किसान प्रभावित हुए और आठ जिलों में 41,49,175 हेक्टेयर जमीन पर फसल बर्बाद हुई.