भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को मिलने वाले सरकारी समर्थन को लेकर दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है. फिर भी पाकिस्तान की सरकारें लश्कर-ए-तैयबा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में असमर्थ रही हैं.
न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ दर्ज पुलिस केस के सही-गलत होने की बात न भी करें, तब भी उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए कथित साज़िशकर्ताओं का पता लगाने और उन पर मुक़दमा चलाने को लेकर मोदी सरकार के रुख़ पर कई सवाल उठते हैं.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार भारत के मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) का नया पद बनाने की सोच रही है और 15 सितंबर को रिटायर होने से पहले ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा यह पद दिया जा सकता है. सीबीआई और ईडी के प्रमुख सीआईओ को रिपोर्ट करेंगे, जिसकी जवाबदेही सीधे पीएमओ को होगी.
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) आतंकवादी वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था है. पाकिस्तान को लगभग चार साल पहले एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाला गया था. वहीं, संस्था ने म्यांमार को पहली बार अपनी काली सूची में शामिल किया है.
भारत ने इस बात के पर्याप्त प्रमाण दिए हैं कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की साज़िश पाकिस्तान में रची गई थी. यह मामला पाकिस्तान में बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है और भारत द्वारा आरोपित प्रमुख आतंकवादी ठोस सबूतों के बावजूद तेरह साल बाद भी आज़ाद घूम रहे हैं.
2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड ठहराए गए संगठन जमात-उद-दावा के तीन नेताओं को पाकिस्तान की एक अदालत ने जेल की सज़ा सुनाई है. इस आतंकी हमले में अमेरिका और अन्य देशों के नागरिकों सहित कुल 160 लोगों की मौत हो गई थी.