पुस्तक समीक्षा: अपनी किताब ‘नो नेशन फॉर वीमेन’ में प्रियंका दुबे इस बात की पड़ताल करती हैं कि कैसे भारत में महामारी की तरह फैले बलात्कार का कारण हवस कम, पितृसत्ता ज़्यादा है. कैसे औरत को ‘उसकी जगह’ दिखाने के लिए बलात्कार का सहारा लिया जाता है.
हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले में बीते 12 सितंबर को 19 वर्षीय युवती का अपहरण करने के बाद सामूहिक बलात्कार किया गया था. पुलिस इससे पहले मुख्य आरोपी सहित तीन लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अध्ययन ‘चाइल्ड एब्यूज़ इन इंडिया’ के मुताबिक भारत में 53.22 प्रतिशत बच्चों के साथ एक या एक से ज़्यादा तरह का यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न हुआ है. ऐसे में कौन कह सकता है कि मेरे घर में बच्चों का लैंगिक शोषण नहीं हुआ?
चेन्नई के एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स की घटना. मामले की सुनवाई के लिए ले जाते समय आरोपियों को वकीलों ने पीटा. कॉम्प्लेक्स के सिक्योरिटी गार्ड के अलावा लिफ्ट आॅपरेटर और पानी सप्लाई करने वाले 22 लोग हैं आरोपी.
विकास के दावों के बीच भारत के अनुभव और ज़मीनी सच्चाई बता रही है कि समाज और सरकारें बच्चों का संरक्षण सुनिश्चित कर पाने में तो नाकाम हैं ही आगे भी इनके नाकाम रहने की आशंका है.
राज्य में लगातार जारी बलात्कार की घटनाओं के बीच तीन साल से सत्ता पर काबिज़ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पिछली सरकारों ने बेटियों को बचाने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया.
हरियाणा के जींद में दलित लड़की की बलात्कार के बाद नृशंस हत्या. पानीपत में हत्या के बाद दलित लड़की की लाश के साथ बलात्कार.