महाराष्ट्र के बदलापुर में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी सफाईकर्मी को सोमवार को ठाणे में पुलिस मुठभेड़ में कथित तौर पर मार गिराया गया. परिजनों ने पुलिस के दावे को चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि पुलिस ने यौन उत्पीड़न मामले में कबूलनामे के लिए उस पर दबाव डाला था.
ठाणे के एक स्कूल में 12-13 अगस्त को प्री-प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ने वाली चार साल की दो बच्चियों के साथ 23 वर्षीय सफाईकर्मी ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया. घटना के विरोध में मंगलवार को बदलापुर रेलवे स्टेशन पर बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसे लेकर पुलिस ने 300 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है.
महाराष्ट्र महिला आयोग की प्रमुख रूपाली चाकणकर ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य में बाल विवाह की मामलों में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि ग्रामसभाओं को बाल विवाह पर सख़्ती से अंकुश लगाने के लिए प्रस्ताव पारित करना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए.
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हिरेन बैंकर ने कहा कि भाजपा के नेता केरल में महिलाओं के बारे में बात करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के गृह राज्य गुजरात में 40,000 से अधिक महिलाएं गायब हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 में राज्य से 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हुई हैं.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में औसतन 31 प्रतिशत शादियां ‘निषिद्ध उम्र’ में होती हैं. कार्रवाई करने के संबंध में उन्होंने कहा कि यह दंडात्मक अभियान राज्य में उच्च मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से है. यह एक तटस्थ और धर्मनिरपेक्ष कार्रवाई होगी.
बीते 17 जुलाई को केरल के कोल्लम ज़िले में एक निजी शिक्षण संस्थान में आयोजित नीट परीक्षा के दौरान कथित तौर युवतियों और लड़कियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए अंत:वस्त्र हटाने को कहा गया था. इस संबंध में दर्ज की गई एफ़आईआर के बाद यह कार्रवाई की गई है.
बीते 17 जुलाई को केरल में कोल्लम ज़िले के अयूर स्थित एक निजी शिक्षण संस्थान में आयोजित नीट परीक्षा के दौरान कथित तौर युवतियों और लड़कियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए अंत:वस्त्र हटाने को कहा गया था. केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर छात्राओं को ऐसा करने के लिए मजबूर करने वाली एजेंसी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
गैर-सरकारी संगठन ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (क्राइ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर भारत के चार प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बच्चों के लापता होने के मामलों में काफी वृद्धि हुई है. 2021 में मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में पांच गुना अधिक है.
भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा तैयार किए गए आंकड़े के अनुसार बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और राजस्थान में 2020 में लड़कियों की तुलना में लड़कों के जन्म के पंजीकरण में बहुत अधिक अंतर दर्ज किया गया. लड़कियों की संख्या पंजीकृत किए गए लड़कों से लगभग 4 प्रतिशत कम है.
गैर सरकारी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन’ द्वारा पिछले साल फरवरी में दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार और तेलंगाना की शहरी झुग्गियों में किए गए सर्वेक्षण अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान 67 प्रतिशत लड़कियां ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हुईं. अध्ययन में यह भी पाया गया है कि 10 से 18 वर्ष के बीच की 68 प्रतिशत लड़कियों ने इन राज्यों में स्वास्थ्य और पोषण सुविधाएं पाने में चुनौतियों का सामना किया.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी कहा कि ग़ैर-मुस्लिम लोगों को बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज़ करना चाहिए, ताकि वो अनैतिकता की चपेट में नहीं आएं. जमीयत ने अपने बयान में समाज के प्रभावशाली और धनी लोगों से अपने-अपने क्षेत्र में लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल और कॉलेज खोलने की अपील की.
आईएलओ और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में बाल मज़दूरों की संख्या 16 करोड़ हो गई है. यह चेतावनी भी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अंत तक वैश्विक स्तर पर 90 लाख और बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिए जाने का ख़तरा है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए अपने शरीर पर अधिकारहीनता की स्थिति कोरोना वायरस महामारी के कारण और भी ज़्यादा बदतर हुई है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि महामारी के कारण पिछले वर्ष लिंग आधारित हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई और कई देशों में यौन हिंसा को युद्ध की क्रूर युक्ति एवं राजनीतिक दमन के तौर पर इस्तेमाल किया गया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह अध्ययन महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर सबसे बड़ा अध्ययन है. इसमें 2010 से 2018 की अवधि को शामिल किया गया है. रिपोर्ट में अंतरंग साथी द्वारा हिंसा को महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का सबसे अधिक व्याप्त रूप बताया गया है, जिससे 64 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं प्रभावित हैं.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूनिसेफ के रिपोर्ट के मुताबिक, दशक के अंत से पहले एक करोड़ अतिरिक्त बाल विवाह हो सकते हैं. इससे इस प्रथा को कम करने की वर्षों की प्रगति को ख़तरा उत्पन्न हो सकता है. दुनिया में आज अनुमानित 65 करोड़ लड़कियों और महिलाओं का विवाह बचपन में हुआ है. इनमें से आधी संख्या बांग्लादेश, ब्राज़ील, इथियोपिया, भारत और नाइज़ीरिया में है.