जुलाई महीने का जीएसटीआर दाख़िल करने की अंतिम तारीख़ 10 अक्टूबर, सरकार का और समय देने से इनकार.
जीएसटी, ऊंची डीजल क़ीमतों, सड़क पर ट्रक चालकों का उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और टोल नीतियों को लेकर दो दिवसीय चक्का जाम.
खेल उत्पादों के 12 से 28 फीसदी कर के दायरे में आने से खेल सामग्री का कारोबार 70 फीसदी तक कम हो गया है जिससे यह बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है.
कांग्रेस ने कहा, भारत की जीएसटी दर दुनिया में सबसे ऊंची, ‘एक देश, एक कर’ का जो सपना था वह आज ‘एक देश, सात कर’ बन गया है.
गुजरात के द्वारका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास का सपना सवा सौ करोड़ भारतीयों का है और मैं इसमें रंग भर रहा हूं.
जन गण मन की बात की 130वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था पर प्रधानमंत्री के भाषण और पत्रकारों के ख़िलाफ़ हिंसा पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 129वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था को लेकर दिए गए अरुण शौरी के बयान और ताजमहल पर चर्चा कर रहे हैं.
यशवंत सिन्हा के बाद मोदी सरकार पर अरुण शौरी का हमला, बोले ढाई लोग मिलकर चला रहे सरकार, विशेषज्ञों की बात नहीं सुनते.
डूबती अर्थव्यवस्था को लेकर कई भाजपा नेता लगातार वित्त मंत्री पर हमला कर रहे हैं, लेकिन जिन आर्थिक फैसलों से यह स्थिति आई है, उन्हें लेने में प्रधानमंत्री की भूमिका पर एक चुप्पी छाई हुई है.
जन गण मन की बात की 127वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था को लेकर यशवंत सिन्हा के बयान और दिल्ली में हिरासत में लिए गए बीएचयू छात्रों पर चर्चा कर रहे हैं.
अरुण जेटली ने सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है.
हम भी भारत की दूसरी कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय मज़दूर संघ के पवन कुमार और एटक की अमरजीत कौर के साथ चर्चा कर रही हैं.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, हमें उम्मीद थी कि जब हमारी सरकार बनेगी तो अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में आगे बढ़ेंगे लेकिन जिस गति से योजनाओं पर काम होना था वो नहीं हुआ.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहाकि वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है.
2019 के चुनावों से 18 महीने पहले, भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार 2022 तक पूरे किए जाने वाले नामुमकिन वादों की झड़ी लगाने का सिलसिला जारी है.