जन गण मन की बात की 125वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था को लेकर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की टिप्पणी और सरदार भगत सिंह पर चर्चा कर रहे हैं.
यशवंत सिन्हा लिखते हैं, ‘प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को नज़दीक से देखा है. उनके वित्त मंत्री सुनिश्चित कर रहे हैं कि देशवासियों को भी इसे उतने ही पास से देखने का मौका मिले.’
चिदंबरम ने कहा, सरकार आर्थिक गिरावट को लेकर बेखबर, अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी रखने वाले और उद्योग जगत के लोग भयभीत हुए बिना बोलें.
बिगड़ती अर्थव्यवस्था और मोदी सरकार की नाकामी को लेकर पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के लेख पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.
राहुल का जेटली पर तंज, 'देवियों एवं सज्जनों, मैं आपका सह पायलट एवं वित्त मंत्री बोल रहा हूं. कृपया अपनी सीट बेल्ट बांध लें. हमारी जहाज के पंख गिर गए हैं.'
एडीबी के मुताबिक निजी खपत, कारखानों के उत्पादन और कारोबारी निवेश कमजोर रहने की वजह से वृद्धि दर की गति कम रहने का अनुमान है.
यादव ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हर साल युवाओं को दो करोड़ नौकरियां देने का वादा हो या किसानों को अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का, किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया.
कारीगरों का कहना है कि लागत बढ़ने की वजह से इस बार छोटे पुतलों के आॅर्डर आ रहे हैं, वहीं कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की मांग न के बराबर रह गई है.
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार बता रहे हैं कि टैक्स वसूलने को लेकर सरकार और व्यापारियों के बीच एक तरह की जंग चल रही है. व्यापारी डर के मारे बोल नहीं पा रहे हैं. कैमरा आॅन होता है तो तारीफ करने लगते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी से जीडीपी में 40 फीसदी का योगदान देने वाले असंगठित क्षेत्र और छोटे और मझौले कारोबार को दोहरा झटका लगा है.
वॉशिंगटन में राहुल बोले, नोटबंदी से लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. नोटबंदी का फ़ैसला आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ.
जीएसटी के चलते डायलिसिस, पेसमेकर लगाने, आर्थोपेडिक्स में सहायक उपकरणों और कैंसर उपचार के लिए अधिक ख़र्च करना पड़ सकता है.
जन गण मन की बात की 95वीं कड़ी में विनोद दुआ जीएसटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में हुए विवाद पर आई पुलिस रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं.
नई कर व्यवस्था में सैनिटरी नैपकिन को 12 प्रतिशत कर दर के दायरे में रखा गया है.
पहले से ही बदहाली के दौर से गुजर रहा कालीन उद्योग जीएसटी के बाद बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है.