एशियाई विकास बैंक ने भारत का वृद्धि अनुमान घटाकर 7 प्रतिशत किया, चीन का बढ़ाया

एडीबी के मुताबिक निजी खपत, कारखानों के उत्पादन और कारोबारी निवेश कमजोर रहने की वजह से वृद्धि दर की गति कम रहने का अनुमान है.

6 करोड़ नौकरी का वादा पूरा नहीं हुआ, 3 करोड़ की नौकरी और चली गई: शरद यादव

यादव ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हर साल युवाओं को दो करोड़ नौकरियां देने का वादा हो या किसानों को अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का, किसी भी वादे को पूरा नहीं किया गया.

जीएसटी की मार से घटा रावण का कद

कारीगरों का कहना है कि लागत बढ़ने की वजह से इस बार छोटे पुतलों के आॅर्डर आ रहे हैं, वहीं कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की मांग न के बराबर रह गई है.

जीएसटी की मार से व्यापारी बेहाल

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार बता रहे हैं कि टैक्स वसूलने को लेकर सरकार और व्यापारियों के बीच एक तरह की जंग चल रही है. व्यापारी डर के मारे बोल नहीं पा रहे हैं. कैमरा आॅन होता है तो तारीफ करने लगते हैं.

नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू होने से जीडीपी पर पड़ा बुरा असर: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी से जीडीपी में 40 फीसदी का योगदान देने वाले असंगठित क्षेत्र और छोटे और मझौले कारोबार को दोहरा झटका लगा है.

नफ़रत की राजनीति भारत को बांट रही है: राहुल गांधी

वॉशिंगटन में राहुल बोले, नोटबंदी से लाखों छोटे कारोबार तबाह हो गए. नोटबंदी का फ़ैसला आर्थिक सलाहकार या संसद की सलाह के बिना लिया गया. इससे अर्थव्यवस्था को काफ़ी नुकसान हुआ.

‘तुझको तेरी जेटली की कसम, ओ प्यारे मोदी ये ज़ुल्म न कर’

धार्मिक भावना से लैस राजनीति और नेता में धार्मिक प्रवृत्ति, जनता के बड़े समूह का चरित्र किस तरह से बदल देती है, सूरत का आंदोलन उसकी मिसाल पेश कर रहा है.

जीएसटी से एक लाख कंपनियों के बंद होने का मोदी का दावा कितना सही है?

जीएसटी लागू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन एक लाख कंपनियों पर ताला लगने का दावा किया है, उनके संबंध में वस्तुगत स्थिति का अब तक खुलासा नहीं हो पाया है.

‘बड़े संगठन हमेशा से छोटे व्यापारियों के नाम पर राजनीति करते आए हैं’

जीएसटी के मसले पर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल के साथ द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.

जीएसटी: ‘नई आज़ादी’ के आधी रात के जश्न में गुम न हो जाएं ये सवाल

जीएसटी को लागू किए जाने से पहले सरकार ने छोटे कारोबारियों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया. किसी को जीएसटी के जटिल प्रारूप के कारण छोटे व्यापारियों पर पड़नेवाले प्रभावों का आकलन करने की फुर्सत नहीं है, जिन पर वकील और सीए अभी से ही शिकारी बाज़ की तरह झपट पड़े हैं.