वीडियो: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से अमित सिंह की बातचीत.
अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो सत्ता की सीमाओं और ज़िम्मेदारियों को समझते थे.
1984 के राजीव गांधी और 1993 के नरसिम्हा राव की तरह वाजपेयी इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री के तौर पर भी याद किए जाएंगे, जिन्होंने पाठ तो सहिष्णुता का पढ़ाया, मगर बेगुनाह नागरिकों के क़त्लेआम की तरफ़ से आंखें मूंद लीं.
स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जब दीन-दुनिया से बेख़बर रहने लगे, तो क्या संघ परिवार के उन नेताओं में से ज़्यादातर ने, जो आज उनके लिए मोटे-मोटे आंसू बहा रहे हैं, कभी उनका हालचाल जानने की ज़हमत भी उठायी?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ.
नरेंद्र मोदी से इतर वे अपने ख़िलाफ़ लिखने वाले या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा निर्मित उनके विश्व बोध से इत्तेफ़ाक़ न रखने वाले पत्रकारों के प्रति भी विनम्रता और कोमलता के साथ पेश आते थे.
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय समाज के उस मर्म को बखूबी समझते रहे कि अति की सोच भारत जैसे लोकतांत्रिक-सेक्युलर देश में संभव नहीं है. इसलिए पीएम की कुर्सी पर बैठे भी तो उन विवादास्पद मुद्दों को दरकिनार कर जिस पर देश में सहमति नहीं है.
वीडियो: गुजरात दंगों के बाद पहली बार राज्य के दौरे पर गए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जब एक पत्रकार ने पूछा कि मुख्यमंत्री के लिए क्या संदेश है तब उन्होंने कहा, ‘राजधर्म का पालन करें.’
तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी कुल मिलाकर 47 साल तक संसद के सदस्य रहे. वह 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए.
भीड़ के हमले में अजमल मोहनिया की मौत हो गई है जबकि गंभीर रूप से घायल एक अन्य शख्स भारू माथुर पलाश का इलाज चल रहा है.
स्वास्थ्य राज्यमंत्री कुमार कानानी ने कहा कि पूरे राज्य में गोलगप्पे बेचने पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगेगा. मौसमी बीमारियां न फैलें यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया यह फैसला.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, गुजरात, केरल और कर्नाटक की सरकारों को चार हफ़्ते में जवाब देने का निर्देश दिया.
सूरत की रहने वाली एक युवती ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में 10 जुलाई को आवेदन देकर भाजपा उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक जयंतीभाई भानुशाली के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करने की मांग की थी.
अशांत क्षेत्र क़ानून लाने का उद्देश्य मजबूरन बिक्री और सांप्रदायिक तनाव के समय होने वाली अंतरधार्मिक ख़रीद-फ़रोख़्त को रोकना था, लेकिन गुजरात में पिछले तीन दशकों से इसका इस्तेमाल मुस्लिमों को मिली-जुली आबादी से बाहर खदेड़ने के लिए किया जा रहा है.
सूरत में भी बच्चा चोरी के आरोप में 43 साल की उम्र में मां बनी महिला को अपनी ही बेटी का चोर बताकर पीट दिया गया.