अशांत क्षेत्र क़ानून लाने का उद्देश्य मजबूरन बिक्री और सांप्रदायिक तनाव के समय होने वाली अंतरधार्मिक ख़रीद-फ़रोख़्त को रोकना था, लेकिन गुजरात में पिछले तीन दशकों से इसका इस्तेमाल मुस्लिमों को मिली-जुली आबादी से बाहर खदेड़ने के लिए किया जा रहा है.
सूरत में भी बच्चा चोरी के आरोप में 43 साल की उम्र में मां बनी महिला को अपनी ही बेटी का चोर बताकर पीट दिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए सरकार भले ही आशांवित नज़र आ रही है लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात के किसानोंं ने इसके ख़िलाफ़ एकजुट होकर लड़ाई का ऐलान किया है.
मीडिया बोल की 55वीं कड़ी में उर्मिलेश मॉब लिंचिंग की घटनाओं और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता वाले सहकारी बैंक में नोटबंदी के बाद सर्वाधिक रकम जमा होने पर वरिष्ठ पत्रकार पूर्णिमा जोशी और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय हेगड़े से चर्चा कर रहे हैं.
गांधीनगर के मनसा तालुका के परसा गांव में पुलिस की सुरक्षा में दलित युवक की शादी संपन्न हुई.
नीति आयोग की ताज़ा रपट तक में कहा गया है कि आधे से ज़्यादा देशवासी या तो प्यासे हैं या दूषित पानी पीने को अभिशप्त. गांवों में यह समस्या इस अर्थ में और विकट है कि वहां 84 प्रतिशत ग्रामीण इसकी ज़द में हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं. 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी और देश की जीडीपी में छह प्रतिशत की कमी देखी जाएगी.
गुजरात के मेहसाणा जिले में भी मोजड़ी पहनने के चलते राजपूत समुदाय के लोगों ने एक दलित नाबालिग की पिटाई कर दी.
अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि पोक्सो क़ानून की जानकारी न होने से युवाओं का जीवन ख़राब हो रहा है. इससे लोगों को अवगत कराना ज़रूरी है.
अनेक ‘शुभचिंतक’ दलों के बावजूद भेदभावों के ख़िलाफ़ दलितों की लड़ाई अभी लंबी ही है. ये ‘शुभचिंतक’ दल दलितों के वोट तो पाना चाहते हैं लेकिन उन पर हो रहे अत्याचारों के लिए जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं.
महिलाओं ने सुसाइड नोट में लिखा कि समलैंगिक संबंधों को लेकर समाज के रवैये से हो रही थीं मुश्किलें. तीन साल बेटी को भी नदी में फेंका.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक आरोपी पिछले महीने पीड़ित महिला के रिश्तेदार द्वारा अपने नाम में 'सिंह' जोड़ने को लेकर दर्ज करवाई गई शिकायत से नाराज़ थे.
विकास और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े माने जाने वाले राज्य मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय की स्थिति बाल मृत्युदर के मामले में गुजरात से बेहतर है. वहीं, ज़्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में बाल मृत्यु दर कम है.
वर्ष 2018 के शुरुआती पांच महीनों में अस्पताल में जन्मे या जन्म के बाद भर्ती कराए गए 777 नवजातों में से 111 की मौत हो गई थी. सरकार ने एक समिति बनाकर जांच के आदेश दिए थे.
अस्पताल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 के शुरुआती पांच महीनों में अस्पताल में जन्मे या जन्म के बाद भर्ती कराए गए 777 नवजातों में से 111 की मौत हो गई. सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं.