गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने आठ दंगा प्रभावित ज़िलों में ज़किया जाफरी को छोड़कर 159 लोगों को प्राप्त सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया है. इनमें नरोदा पाटिया नरसंहार केस में माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को सज़ा सुनाने वालीं रिटायर्ड जज ज्योत्सना याज्ञनिक भी शामिल हैं.
गुजरात दंगों से जुड़े मामलों के सिलसिले में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर 'झूठे सबूत गढ़कर नरेंद्र मोदी समेत कई निर्दोष लोगों को फंसाने की साज़िश रचने का आरोप लगाया है. सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम ज़मानत के चलते अब तक उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया था.
गुजरात दंगों से जुड़े मामलों के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार तथा संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके, जो मौत की सज़ा के साथ दंडनीय हो.
वीडियो: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए जून महीने में गिरफ़्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत मिलने के बाद उन्हें बीते शनिवार को साबरमती जेल से रिहा किया गया है. उनसे बातचीत.
गुजरात की साबरमती जेल से रिहा किए जाने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को ज़मानत की औपचारिकताओं के लिए सत्र न्यायालय में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें बिना अनुमति देश नहीं छोड़ने को कहा है. सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए बीते जून महीने में गिरफ़्तार किया गया था.
गुजरात पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को बीते जून महीने में साल 2002 के गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए गिरफ़्तार किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को एसआईटी द्वारा क्लीनचिट दिए जाने को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका बीते 24 जून को ख़ारिज कर दी थी. पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में कहा है कि इस निर्णय का सबसे ख़तरनाक हिस्सा यह है कि अदालत एक सिद्धांत के साथ सामने आई है, जो राज्य को उन व्यक्तियों को गिरफ़्तार कर मुक़दमा चलाने का आदेश देता है, जो जांच एजेंसियों
कांग्रेस ने ज़किया जाफ़री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को निराशाजनक क़रार देते हुए सवाल किया कि क्या व्यापक सांप्रदायिक दंगों के मामलों में सिर्फ कलेक्टर और पुलिस उपाधीक्षक की ज़िम्मेदारी होती है, राजनीतिक पदों पर आसीन लोगों की नहीं? अगर राज्य हिंसा और दंगों की चपेट में आता है तो क्या मुख्यमंत्री, कैबिनेट और राज्य सरकार कभी जवाबदेह नहीं होंगी?
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज की गई थी.
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफ़आईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साज़िश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.
वीडियो: साल 2002 में गुजरात की मुस्लिम विरोधी हिंसा में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के निचली अदालत के फैसले का बरक़रार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़किया जाफ़री की याचिका ख़ारिज किए जाने के एक दिन से भी कम समय में राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने याचिकाकर्ताओं में से एक तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ़्तार कर लिया है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी से द वायर की सीनियर एडिटर
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ने गुजरात दंगों में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री की क़ानूनी लड़ाई के दौरान उनका समर्थन किया था. अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज मामले में तीस्ता के अलावा आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार को भी आरोपी बनाया गया है.
गुजरात दंगों के दौरान ज़किया जाफ़री के पति कांग्रेस सांसद रहे एहसान जाफ़री अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को दंगों से संबंधित मामलों में दी गई क्लीनचिट के फैसले को चुनौती देने वाली ज़किया की अपील को बीते शुक्रवार को ख़ारिज कर दिया था.
ज़किया जाफ़री के पति कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. 2017 में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को दंगों से संबंधित मामलों में क्लीनचिट दे दी गई थी, को बरक़रार रखा था.
गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने वर्ष 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीनचिट को चुनौती दी है. उन्होंने दंगों के दौरान बड़ी साज़िश और सुनियोजित तरीके से हिंसा होने का आरोप लगाया है.