गुजरात: अदालत ने तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व डीजीपी श्रीकुमार को दो जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा

अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफ़आईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साज़िश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.

Ahmedabad: Crime branch officials produce social activist Teesta Setalvad at Metropolitan Magistrate Court, in Ahmedabad, Sunday, June 26, 2022. (PTI Photo)(PTI06_26_2022_000108B)

अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफ़आईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साज़िश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.

बीते रविवार को अहमदाबाद पुलिस के क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को यहां की एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया. (फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात में अहमदाबाद की एक अदालत ने 2002 गुजरात दंगों के संबंध में झूठे साक्ष्यों के आधार पर निर्दोष लोगों को फंसाने के आरोप में रविवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को दो जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.

अभियोजन ने सीतलवाड़ और श्रीकुमार की 14 दिन की हिरासत का अनुरोध किया था. उसने अदालत को बताया कि तीस्ता जांच के दौरान पुलिस को सहयोग नहीं कर रही हैं.

लोक अभियोजक मितेश अमीन ने कहा कि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसपी पटेल की अदालत ने सीतलवाड़ और श्रीकुमार को दो जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. उन्होंने बताया कि दोनों को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा शनिवार (25 जून) को दर्ज की गई एक एफआईआर के संबंध में गिरफ्तार किया गया था.

गुजरात पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने बीते 25 जून को सीतलवाड़ को मुंबई स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया था, जिसके बाद सीतलवाड़ ने पुलिस पर उनके साथ बदसलूकी करने और हाथ में चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था.

सीतलवाड़ को फिर अहमदाबाद लाया गया और शनिवार को शहर की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया. अदालत के निर्देश पर सीतलवाड़ को चिकित्सा जांच के लिए भी सिविल अस्पताल ले जाया गया था.

मितेश ने कहा, ‘अदालत ने मेडिकल प्रमाण-पत्र को अपने रिकॉर्ड में लिया है. हमने इस आधार पर 14 दिन की हिरासत का अनुरोध किया था कि दोनों आरोपियों ने हलफनामे जैसे गढ़े हुए सबूत पेश किए. यह जानने के लिए उनसे पूछताछ करने की आवश्यकता है कि उनके राजनीतिक आका कौन हैं, क्योंकि शीर्ष अदालत ने कहा है कि मामले का राजनीतिकरण किया गया था.’

हिरासत में लेने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को बीते रविवार और श्रीकुमार को बीते 25 जून को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, बनासकांठा जिले की पालनपुर जेल में बंद पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं मामले के तीसरे आरोपी संजीव भट्ट को स्थानांतरण वॉरंट के जरिये अहमदाबाद लाया जाएगा.

भट्ट हिरासत में मौत के मामले में पालनपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. एक अन्य मामले में एक वकील को फंसाने के लिए प्रतिबंधित सामग्री रखवाने का भी आरोप उन पर लगा है.

अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ बीते 25 जून को एक एफआईआर दर्ज की थी. तीनों पर 2002 के सांप्रदायिक दंगों के मामलों के संबंध में गलत सबूत गढ़कर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.

सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका को खारिज किए जाने के एक दिन बाद दर्ज हुई.

सीतलवाड़ के एनजीओ ने जकिया जाफरी की कानूनी लड़ाई के दौरान उनका समर्थन किया था. जाफरी के पति एहसान जाफरी, जो कांग्रेस के सांसद भी थे, दंगों के दौरान अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में हुए नरसंहार में मार दिए गए थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में सीतलवाड़ और उनका एनजीओ जकिया जाफरी के साथ सह-याचिकाकर्ता थे.

सीतलवाड, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में उपयोग करना), 120बी (आपराधिक साजिश), 194 (गंभीर अपराध का दोष सिद्ध करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना), 211 (घायल करने के लिए किए गए अपराध का झूठा आरोप) और 218 (लोक सेवक को गलत रिकॉर्ड देना या अपराध की सजा से व्यक्ति या संपत्ति को जब्त होने से बचाना) का जिक्र है.

इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) को गुमराह करने की साजिश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.

एफआईआर में सीतलवाड़, भट्ट और श्रीकुमार ‘और अन्य’ पर झूठे सबूत गढ़कर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके जो मौत की सजा के साथ दंडनीय हो.

गौरतलब है कि एफआईआर में सुप्रीम कोर्ट के बीते शुक्रवार (24 जून) के फैसले के एक हिस्से का हवाला दिया गया है, जिसमें जकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमें एसआईटी द्वारा सामूहिक हिंसा के पीछे एक बड़ी साजिश को खारिज करने को चुनौती दी गई थी.

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था,

अंत में हमें यह प्रतीत होता है कि गुजरात राज्य के असंतुष्ट अधिकारियों के साथ-साथ अन्य लोगों का एक संयुक्त प्रयास खुलासे करके सनसनी पैदा करना था, जो उनके अपने ज्ञान के लिए झूठे थे. वास्तव में, प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा होना चाहिए और कानून के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए.

एफआईआर अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच में एक पुलिस इंस्पेक्टर दर्शन सिंह बी. बराड की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद बीते रविवार को गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने उन्हें अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा (Crime Brance) को सौंप दिया था.

रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस उपायुक्त (अपराध) चैतन्य मांडलिक ने बताया कि आपराधिक साजिश में अधिक लोग शामिल हो सकते हैं और इस एंगल से जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों श्रीकुमार और सीतलवाड़ में से कोई भी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है.

मांडलिक ने बताया कि क्राइम ब्रांच सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट द्वारा जांच आयोग, विशेष जांच दल (एसआईटी) और अदालतों को 2002 के सांप्रदायिक दंगों के मामलों की जांच के हिस्से के रूप में जमा किए गए दस्तावेजों को एकत्र करेगी.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘इस मामले में जांच चल रही है और हम उन दस्तावेजों जमा कर रहे हैं, जो आरोपी व्यक्तियों द्वारा जांच आयोग, (2002 के दंगों के मामलों की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित) एसआईटी और विभिन्न अदालतों के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे. हलफनामे और अन्य दस्तावेज एफआईआर का मुख्य आधार है और हम अन्य दस्तावेज भी एकत्र करने का प्रयास कर रहे हैं.’

मांडलिक ने कहा, ‘एफआईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले में की गई टिप्पणी पर आधारित है, जिसमें कहा गया है, वास्तव में प्रक्रिया के इस तरह के दुरुपयोग में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा करने और कानून के अनुसार आगे बढ़ने की आवश्यकता है.’

सीतलवाड़, भट्ट और श्रीकुमार के खिलाफ एसआईटी जांच करेगी

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अफसरों आरबी श्रीकुमार एवं संजीव भट्ट के खिलाफ दर्ज मामले की तफ्तीश विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगा जिसके प्रमुख गुजरात के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) होंगे.

एक अधिकारी ने बताया कि एसआईटी के प्रमुख गुजरात एटीएस के डीआईजी दीपन भद्रन होंगे और उसमें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और गुजरात एटीएस में पुलिस अधीक्षक (एसपी) सदस्य के तौर पर होंगे.

डीआईजी भद्रन ने बताया कि जांच में अहमदाबाद विशेष अभियान समूह (एसओजी) में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) मदद करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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