जिस भी समाज में धर्मभीरुता बढ़ जाती है, उससे अपने धर्म के उदात्त मूल्यों की हिफाजत संभव नहीं हो पाती. पहले वह बर्बरता, बीमारी व असामाजिकता के सन्निपातों, फिर अनेक असली-नकली असुरक्षाओं से पीड़ित होने लग जाता है.
मुसलमानों पर हिंसा करने वाले हिंदू कम हो सकते हैं. लेकिन एक सच यह भी है कि हिंदुओं में बहुलांश को मुसलमानों पर हिंसा से फ़र्क नहीं पड़ता.
हिंदुत्व वॉच के एक अध्ययन के मुताबिक़, हेट स्पीच वाले कार्यक्रमों में से एक तिहाई ( 33%) में स्पष्ट रूप से मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और 12% में हथियार उठाने का आह्वान किया गया था. लगभग 11% में मुसलमानों के बहिष्कार के आह्वान किए गए.
सुप्रीम कोर्ट एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया है कि जुलाई 2021 में उन पर धर्म के नाम पर हमला हुआ, बदसलूकी की गई और यूपी पुलिस ने घृणा अपराध की शिकायत तक दर्ज नहीं की. अदालत ने कहा कि जब नफ़रत की भावना से किए जाने वाले अपराधों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब ऐसा माहौल बनेगा, जो ख़तरनाक होगा.
एक अमेरिकी एनजीओ द्वारा प्रकाशित ‘भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक’ नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ घृणा अपराध की ज़्यादातर घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, कई मामलों में राजनीतिक प्रभाव में आकर पुलिस पीड़ितों की मनमानी गिरफ़्तारी करती है या उनकी शिकायत दर्ज करने से मना कर देती है.
ग़ैर सरकारी संगठन यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने उसकी हेल्पलाइन पर मदद के लिए आईं फोन कॉल्स के हवाले से दावा किया है कि वर्ष 2022 के पहले सात महीनों में देश में ईसाइयों ख़िलाफ़ हुए हमलों में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर और छत्तीसगढ़ दूसरे पायदान पर रहा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव से भीड़ हिंसा और नफ़रत भरे भाषण जैसी अप्रिय स्थितियों को रोकने के लिए निवारक, सुधारात्मक और उपचारात्मक उपायों के संबंध में उसके पूर्व के दिशानिर्देशों के अनुपालन को लेकर राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से सूचना एकत्रित कर कोर्ट को इसकी जानकारी देने को कहा है.
एक वीडियो में भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा का सिर क़लम करने वाले को अपना घर उपहार में देने की बात कहने वाले अजमेर दरगाह के एक ख़ादिम मौलवी सलमान चिश्ती को गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस ने कहा कि वह एक हिस्ट्रीशीटर है और उसने नशे की हालत में वीडियो रिकॉर्ड किया.
उदयपुर की हत्या की वीभत्सता, नृशंसता को हम इतना भी अजनबी न मानें. यह हमारे समाज का स्वभाव है. पर क्या इस हत्या पर हमारा ध्यान इसलिए टिका हुआ है कि मारा जाने वाला कौन है और उसे मारा किसने है?
महाराष्ट्र में हुई यह घटना राजस्थान के उदयपुर में दर्ज़ी कन्हैया लाल की हत्या से एक हफ्ते पहले की है. पुलिस ने बताया कि बीते 21 जून को राज्य के अमरावती शहर में केमिस्ट प्रह्लादराव कोल्हे की चाकू मारकर हत्या कर दी. उन्होंने भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर कथित तौर पर कुछ टिप्पणी की थी. पुलिस ने संदेह जताया है कि इसी पोस्ट को लेकर उनकी हत्या कर दी गई. पांच लोगों को
वीडियो: पिछले कुछ दिनों में दो घटनाएं हुईं. पहली, बीते 28 जून को राजस्थान के उदयपुर में दो लोगों ने धारदार हथियार से एक कन्हैया लाल नाम के एक दर्ज़ी की हत्या कर दी थी और उसका वीडियो सार्वजनिक कर कहा कि वे ‘इस्लाम के अपमान’ का बदला ले रहे हैं. दूसरी, ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. इन घटनाओं की पड़ताल करती द वायर की रिपोर्ट.
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिक ने उदयपुर में एक शख़्स की नृशंस हत्या के बाद राजस्थान में उपजे सांप्रदायिक तनाव के बीच यह टिप्पणी की. वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि घृणा संबंधी अपराधों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को कोई छूट नहीं मिले.
उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा एक ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था. इसी तरह दिल्ली में हिंदु युवा वाहिनी के एक कार्यक्रम में सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चव्हाणके ने कहा था कि वह भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए ‘लड़ने, मरने और मारने’ के लिए तैयार हैं.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा पुलिस और प्रशासन पर हिंसा से निपटने में ‘ईमानदारी की कमी’ प्रदर्शित करने का आरोप लगाया है. टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि यह दिखाने के लिए बड़ी कॉन्सपिरेसी थ्योरी तैयार की गई कि सांप्रदायिक हिंसा को उजागर करने वाली स्वतंत्र पत्रकारिता एक चुनी गई सरकार को ‘राज्य के दुश्मनों द्वारा कमज़ोर करने’ का एक प्रयास है.
वीडियो: राजधानी दिल्ली के द्वारका इलाके में बने एक चर्च में बीते दिनों कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की. बताया जा रहा है कि ये लोग कथित तौर पर बजरंग दल से जुड़े हुए हैं. पिछले 11 महीनों में हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े लोगों द्वारा ईसाई समुदाय के खिलाफ 300 से अधिक हमले हुए हैं. द वायर ने इन हमलों और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों के बारे में ईसाई समुदाय और दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के सदस्यों से बातचीत की.